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नारी अजेय है इसका कोई शत्रु नहीं है- अरुणा सारस्वत


उज्जैन। न$अरि=नारी अर्थात जिसका कोई शत्रु नहीं है। इस प्रकार नारी अजेय है। फिर हमारी प्रगति में किसी को बाधक नहीं ठहराया जा सकता है, बस नारी को अपनी सोच बदलने के जरूरत है। सोच बदलने से सीधा संबंध आध्यात्मिक सोच की ओर है, क्योंकि यही भारतीय सोच है।

यह उ्दगार भा. शिक्षण संस्थान की अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री एवम बाल न्यायालय की न्यायाधीश अरुणा सारस्वत ने गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित महिला सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप व्यक्त किये। आपने यहाँ उपस्थित प्रबुद्ध महिलाओं से फ्रांस से प्रचलित इस दिवस के स्थान पर भारतीय महिलाओं के गौरव से जुड़े किसी दिन पर समारोह करने के लिए सहमति बनाने की अपील भी की। संध्या सक्सेना ने बताया कि भारत में नारी शक्ति को सदैव बड़ा माना गया है अतः यही नारी शक्ति ही भारत को पुनः जगद्गुरु बनाने के लिए अग्रणी भूमिका निभानी पड़ेगी। अपने उद्बोधन में डॉ प्रेरणा मनाना ने कहा कि जिस तरह सूर्य के चारों ओर सभी ग्रह चक्कर काटते हैं उसी तरह स्त्री शक्ति के चारों ओर सभी गुण चक्कर लगाते हैं। रुचि खंडेलबाल ने उपस्थित महिलाओं से अनुरोध किया कि महिलाएं स्वयं को भी चाहें स्वयं से भी प्यार करें। उर्मिला तोमर दीदीजी ने महिलाओं का आवाहन किया कि भारतीय संस्कार परम्परा के प्रचलन के लिए सभी महिलाओं को संकल्पित होना चाहिए। आयोजन की संयोजिका माधुरी सोलंकी ने बताया कि नगर में गायत्री परिवार की गतिविधियों को चलाने में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए गीता पाटीदार, रेखा वर्मा, विनीता वाघे का सम्मान भी समारोह में किया गया। डाँ वंदना जोशी ने काव्यपाठ किया। संचालन मंजु त्रिपाठी और रश्मि शर्मा ने किया आभार श्रीमति उर्मिला जोशी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर झोन अध्यक्ष विनीता शर्मा, कविता मंगलम, अंजू सिंह, श्रीमती रांका भी मंच पर उपस्थित थीं।

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