गोपाल मंदिर पर बरसो पुरानी परम्परा जिंदा हुई
स्वर्णिम भारत मंच ने रंगपंचमी पर मालवी रापट रोलिया का आयोजन किया
उज्जैन। बरसों पहले पुराने शहर में गोपाल मंदिर पर खेली जाने वाली होली की संस्कृति को रंगपंचमी पर स्वर्णिम भारत मंच ने जिंदा किया। दूसरे वर्ष भी रंगपंचमी को गोपाल मंदिर पर मालवी रापटरोलिया का भव्य आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगो ने टमाटर, मुलतानी मिट्टी, फूल, सूखे गुलाल, रंगों से होली खेली।
स्वर्णिम भारत मंच के संयोजक दिनेश श्रीवास्तव के अनुसार द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण के दरबार मे होली खेलने की यह पुरानी परम्परा धीरे धीरे खत्म हो चुकी थी सब लोग नए शहर में आयोजन करने लग गए जिससे कान्हा के सामने कोई आयोजन नही हो रहा था पुनः इस संस्कृति को स्वर्णिम भारत मंच ने जिंदा किया है। मालवी रापट रोलिया के सूत्रधार मोनु पाठक व राज ठाकुर थे जिन्होंने द्वारकाधीश श्री कृष्ण के आंगन में दूसरे वर्ष भी बड़ी धूम धाम से मालवी रापट रोलिया का आयोजन करके शहर वासियों को होली खेलने का अवसर उपलब्ध कराया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल, केशरसिंह पटेल, अभय नरवरिया, पीयूष चौहान, अमित सक्सेना, चेतन श्रीवास्तव, रूपकिशोर कुलश्रेष्ठ, गोविंद खंडेलवाल, रवि राय, सुरेंद्र चतुर्वेदी, स्वामी मुस्कुराके, अभिलाष श्रीवास्तव, शील लश्करी, अनुपमा श्रीवास्तव, हेमंत पटेल, राहुल मोदी, संजय श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।
शहर में पहली टमाटर होली ....
स्वर्णिम भारत मंच ने पहली बार गोपाल मंदिर पर रापट रोलिया में टमाटर की होली खेली जब लोग उधर से निकल रहे थे उन पर जब टूटे हुए टमाटर की बरसात हुई तो लोग चोंक गए। लोगो ने टमाटर होली का खूब आनंद लिया।
बोहरा समाज के धर्म गुरु सैयदना साहब के सम्मान में जल्दी समाप्त किया कार्यक्रम
स्वर्णिम भारत मंच की रापट रोलिया होली को निर्धारित समय के पूर्व ही समापन बोहरा समाज के धर्म गुरु सैयदना साहब के संम्मान में किया क्योंकि लगातार गोपाल मंदिर से सैयदना साहब के आगमन होने से उनके अनुयायी बड़ी संख्या में निकल रहे थे। ऐसे में बाहर से आये मेहमान को तकलीफ न हो इस बात का ध्यान आयोजको ने रखा।