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हाय रे लाचारी..राजाधिराज के दर्शन करने को कचरे भरी सड़क पर बैठना मज़बूरी


सात्विक सोले को पहन कर गन्दी सड़क पर बैठने से कहाँ रही शुचिता

राजाधिराज महाकाल के दर्शनों को यूँ तो देश विदेशों से श्रद्धालूं अपने मन में असीम भावनाएं लिए उज्जैन आते है और घंटों लाइन लगकर भगवान् महाकाल के दर्शनों से अभिभूत होते है | वहीँ भगवान् महाकाल की प्रमुख आरतियों में भस्मारती में राजाधिराज के दर्शनों के लिए और महाआरती में सम्मिलित होने वालें दर्शनार्थियों की संख्या में कमी नहीं होती | पर भस्मारती में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालुओं की लाचारी ये है उन्हें तड़के होने आरती में सम्मिलित होने के लिए  मंदिर समिति द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं के विपरीत इंतज़ार के लिए गन्दी सड़कों पर शुद्ध सोले के साथ बैठना पड़ता है |

यूँ तो महाकाल मंदिर प्रबंध समिति अपनी व्यवस्थाओं और स्वच्छता का दिधोरा पिटते हुए हमेशा से ही सुर्ख़ियों में नज़र आती है परन्तुं विश्वप्रसिद्ध इस मंदिर में व्यवस्थाओं के नाम पर भस्मारती में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालों के लिए प्राथमिक रूप की व्यवस्थाएं ही सम्मिलित नहीं है | ठण्ड गर्मी बरसात में भी सड़क पर इंतज़ार करते हुए अपनी बैठने की व्यवस्था स्वयं बनाते इन श्रद्धालुओं का मौन महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की दर्शन व्यवस्थाओं के बारे में अनकही कहानी बयाँ कर जाता है | प्रबंध समिति के पास भस्मारती दर्शनार्थियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था होने के बावजूद भी दर्शनार्थी पवित्र सोले को पहने अपनी शुचिता बनाते हुए कचरे से पटी सड़क पर समाचार पत्रों का आसन लगाकर इंतज़ार करने को मजबूर है | जबकि ठीक इसके विपरीत भस्मारती दर्शन में धर्शराथियों को दिए जाने वाले अनुमति पत्रों के आधार पर रोज़ ही दर्शनार्थियों की संख्या प्राप्त हो जाती है और मंदिर प्रबंध समिति इनके लिए पर्याप्त व्यवस्था करने भी सक्षम है | फिर आखिर अव्यवस्थाओं पर से आँखे बंद किये कौन बैठा है .. मंदिर प्रबंध समिति या मौन श्रद्धालू ?

शुद्ध पवित्र सोले से मंदिर में प्रवेश कर पूजन में शामिल होने वालों के शुद्ध वस्त्र भी कचरे वाली सड़क पर बैठने से गंदे होते है इसका ख़याल कौन रखेगा ? जबकि मंदिर प्रबंध समिति के पास धर्मशाला,प्रवचनहॉल,फेसिलिटी सेण्टर और कई स्थान है जहां भस्मारती दर्शानार्थोयों के लिए उचित व्यवस्थाएं की जा सकती है बहरहाल अव्यवस्थाओं से बेखबर अपनी व्यवस्थाओं का ढिंढोरा पीटने वाले अधिकारी ऐसी खबरों पर भी अपनी लपेट लगा ही देते है 

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