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गजलकार समर कबीर द्वारा लिखी गई पुस्तक "कोकब" का हुआ विमोचन


उज्जैन @ शहर के समर कबीर देश के लब्ध प्रतिष्ठ ग़ज़लकार और अरुजी {छंद शास्त्री} हैं इनके अब तक तीन गजल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं इनकी गज़लों में रवानगी ,ताजगी और बुनावट में समाज और मानव केंद्र में है. मानव की संरचना, अनुभूति ,बनते बिगड़ते रिश्ते, रिश्तो की पुनर्स्थापना, विश्व में व्याप्त आतंक और भय का वातावरण , समाज का दोहरा चरित्र , घर आंगन की उदासी , के कारण और निरंतर गिरता स्तर पर दर्शाया गया है।  गहरी चिंता भी व्यक्त की गई है और सुधार का पुरजोर आग्रह भी परिलक्षित हुआ है शहर ही नहीं ग़ज़ल की दुनिया के कलाकार समर कबीर अपने अपने तीसरे गजल संग्रह "कौकब" मैं शायर ने जमीनी हकीकत को तलाशा है। मानव और समाज को केंद्र में रखकर समर साहब ने वह सब कुछ कहने का प्रयास किया है जो गजल संग्रह पढ़कर आप सब को भली भांति पता चल जाएगा। इस संबंध में प्रेस क्लब में पत्रकारवार्ता लेकर कोकब का विमोचन किया गया जिसमे 100 से अधिक गजलों का संग्रह किया है।  समर कबीर द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन संभागीय काजी जनाब हिज्बुर्रहमान , मोहम्मद आरिफ , शिव चौरसिया, कादिर मौलाना, संतोष सुपेलर , आदि द्वारा किया गया। इस अवसर पर सभी ने समर कबीर का शाल शश्रीफल से सम्मान भी किया। 

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