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अभी एक दिन छोड़कर जलप्रदाय, वह भी गंदा, गर्मी में क्या होगा



कांग्रेस पार्षद दल ने नर्मदा लाकर रोज पानी देने की मांग की-शहरवासियों की मूलभूत समस्याओं के निराकरण के लिए पार्षद दल मिला नगर निगम कमिश्नर से
उज्जैन। शहर में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय किया जा रहा है वह भी दूषित और गंदा। कुछ समय बाद ग्रीष्मऋतु आरंभ होने वाली है, ऐसे में स्थिति और भीषण होने की संभावना है। इस जलसंकट को टालने तथा शहर की मूलभूत समस्याओं के निराकरण के संबंध में कांग्रेस पार्षद दल गुरूवार को निगमायुक्त विजयकुमार जे से मिला। पार्षद दल ने निगमायुक्त से शहरवासियों को प्रतिदिन जल एवं शुध्द जल प्रदान करने तथा वार्डों में खराब पड़े हैंडपंपों को सुधारने की मांग की ताकि उनका जलसंकट में उपयोग किया जा सके। 
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार वर्तमान में उज्जैन शहर में पेयजल सप्लाई की स्थिति काफी खराब है, कम दबाव से दूषित गंदा जल सप्लाई शहर में किया जा रहा है। जिसके कारण बच्चों को डायरिया, हैजा जैसी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। कई कॉलोनियों, बस्तियों के लोगों को तो पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा। करोड़ो खर्च कर नर्मदा को क्षिप्रा से जोड़ा गया लेकिन जब जरूरत है तब शहर की जनता को नर्मदा के पानी से वंचित रखा जा रहा है। शहर के वार्डों की कई कॉलोनियों, गलियों में पानी की पाईप लाईन डालने हेतु संबंधित विभाग को निर्देशित करने की भी आवश्यकता है। पार्षद माया राजेश त्रिवेदी, जफर एहमद सिद्दीकी, आत्माराम मालवीय, रहीम लाला, गुलनाज नासिर खान, प्रमिला मीणा, सपना सांखला, हिम्मतसिंह देवड़ा, रेखा गेहलोत, मीना जितेन्द्र तिलकर, ताराबाई मालवीय ने कहा कि सभी वार्डों में स्थापित हैंडपपों में अधिकतर खराब अवस्था में है तो कुछ बंद पड़े हैं जिसकी तरफ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। शहर की अनेकों बस्तियों एवं निचली बस्तियों में पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है। 
निर्माण कार्य अवरूध्द, रहवासी परेशान
राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार शहर के वार्डों में कई कॉलोनियों ऐसी हैं जहां पर पहुंच मार्ग, नालियां ही उपलब्ध नहीं है जिसके कारण वर्षों से निवासरत रहवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बारिश के दिनों में तो इनका जीवन यापन मुश्किल हो जाता है। कई वार्डों में महत्वपूर्ण निर्माण कार्यों का टेंडर होकर वर्क ऑर्डर जारी हो चुका है परंतु ठेकेदारों द्वारा कार्य समय पर प्रारंभ नहीं किये जा रहे हैं जिसके कारण शहर के निर्माण कार्य अवरूध्द हो गए और रहवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
भ्रष्ट अफसरोें पर कार्यवाही हो
नगर निगम में पदस्थ कई अफसर ऐसे हैं जो बिना पैसे लिये कार्य नहीं करते हैं। किसी भी व्यक्ति को नगर निगम से संबंधित कार्य कराने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं जिसके कारण नगर निगम की छबि जनता के सामने धूमिल हो रही है। जिस तरह नगर निगम झोन क्रमांक 1 में पदस्थ उपयंत्री चंद्रकांत शुक्ला जिन्हें लोकायुक्त टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है उनके साथ नगर निगम में पदस्थ ऐसे भ्रष्ट अफसरों पर उचित कार्यवाही की जानी चाहिये। 
पार्षद की सहमति के बाद ही निर्माण कार्यों के प्रकरण स्वीकृत हों
राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि वार्डों के अंतर्गत कई निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी जा रही है, ऐसे निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गई जिसकी आवश्यकता नहीं है। मेयर इन कौंसिल नियम 1998 वित्तीय अधिकार धारा 5 में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा अन्य जनप्रतिनिधियों के वार्डों में किये जाते हैं तो उस वार्ड के क्षेत्रीय पार्षद की लिखित में अनुमति लेना अनिवार्य होगी। नगर निगम एक लोकल गवर्मेंट है, ऐसी स्थिति में क्षेत्र के पार्षदों को इस बात का ज्ञान होता है कि कहां पर निर्माण कार्य आवश्यक है कहां पर नहीं। किसी जनप्रतिनिधि द्वारा करोड़ो रूपये के कार्यों की अगर सूची दी जाती है और उस पर नगर निगम कार्यवाही करती है तो यह कार्य नगर निगम नियमों एवं विधानों के विरूध्द होगा। निगम कमिश्नर से मांग की कि इस संबंध में नगर पालिक निगम से संबंधित विभागों को निर्देशित किया जाए कि किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा अन्य जनप्रतिनिधियों के वार्डों में निर्माण कार्य किये जाते हैं तो उसकी लिखित स्वीकृति संबंधित वार्ड पार्षद से ली जावे। 

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