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पीएनबी फोकट्या कवि सम्मेलन में चली हास्य की पिचकारी



उज्जैन। होली उत्सव की पूर्व बेला में तरणताल परिसर के उद्यान में मस्ती, आनंद और ठहाकों की पिचकारियां एवं हास्य के गुब्बारे जमकर चले। पीएनबी (पैसा नहीं भाई फोकट्या) कवि सम्मेलन का देशी अंदाज में आयोजन हुआ। नीरव मोदी भैरव एवं विजय माल्या अंकल के उल्टे फोटो पर जूतों की माला पहनाकर फोकट्या सम्मेलन कर शुभारंभ किया।
सूत्रधार स्वामी मुस्कुराके ने चुटीले अंदाज में मस्ताने श्रोताओं से जमकर नारे लगवाये, हिंदू मुस्लिम, सिख, इसाई सबको सीधा करे लुगाई। हंसी ठिठोली के प्रथम ठलवे के रूप में ठंडाई को पंडाई के अंदाज में सेवन करने वाले अरविंद सनन ने हास्य की रचना बामण है तो भूखो मतम र, तरा, तरा का लड्डू खा से तालियां बटोरी। हास्य व्यंग्य के घातक कवि सौरभ गुप्ता चातक ने वेलंटाईन का बेलन चलाया। सास बहू की चुहलबाजी से हास्य रसिकों में मस्ती का झरना बहाया। भगवान की कृपा व्यंग्य से खूब दाद बटोरी। मुर्दों को भी हंसाने की ताकत का दंभ रखने वाले उतरी पाल के कवि गौरीशंकर उपाध्याय ने म्हारो जियो धड़के, म्हारी आंख फड़के, पियो गयो परदेश चील गाड़ी चढ़के, मालवी कविता से जी भर कर गुदगुदाया। फोकटी कवियत्री वैशाली पटेरिया ने मधुर गीतों से रसिकों को झुमा एवं घूमा दिया। होली गीत लगा-लगा रे गुलाबी रंग होले होले, होली के मौसम में म्हारो मन डोले, होली आई खुशिया लाई, घर आंगन सब झूमे, बच्चे बूढ़े भंगिया पीकर धरती अंबर झूमे पर तालियों के रंग परवान चढ़े। 
काले कव्वों के दादाजी एवं कोयल के नानाजी ब्लैक बेरी कवि दौलतसिंह दरबार ने मस्ती आनंद का बार सजाया कुछ इस तरह की खुला-खुला आकाश है, मौसम कुछ खास है, बोतल कहीं से ले आओ, नमकीन हमारे पास है, रचना से हास्य के गुब्बारे छोड़े। 
बीएसएनएल के टेलीफोनिक भूत, हास्य व्यंग्य के अनूठे सर्किट सुरेन्द्र सर्किट की एक घरवाली पे सात साली व्यंग्य रचना पर खूब ताली बजी। जीजा साली और रस मलाई कविता से हास्य की सुनामी लहर पैदा की। 
स्वामी मुस्कुराके ने घर-घर हो बाथ टब योजना लांच की एव ंदहेज में बाथ टब दिये जाने की योजना पर श्रोताओं ने तालियों से मोहर लगाई। अंत में बाथ टब की आरती का सामूहिक गायन किया गया। 

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