कालजयी वेदों का चिन्तन-मनन आवश्यक –सांसद प्रो.मालवीय कालिदास अकादमी में 'कल्पवल्ली' का शुभारम्भ
उज्जैन । कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन के अभिरंग नाट्य गृह में वेद-दर्शन-साहित्य-कला-संवलित कल्पवल्ली का शुभारम्भ सांसद प्रो.चिन्तामणि मालवीय के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम 22 फरवरी तक चलेगा। सांसद प्रो.मालवीय ने इस अवसर पर कहा कि हमें अपनी जड़ों से दूर नहीं होना चाहिये। भारतीय संस्कृति का आधार वेद है। कालजयी वेदों का पुन: चिन्तन-मनन आवश्यक है। हमारी प्राचीन वेद परम्परा पांच हजार वर्ष से अधिक की है, जो विश्व की सबसे प्राचीन परम्परा है। हमारे वैदिक विद्वानों ने अभी तक वेदों को सुरक्षित रखा है। हमारे वेद ज्ञान का भण्डार हैं। उन्होंने कहा कि सप्तस्वर वेदों से निकले हैं। वेदों की गलत व्याख्या से भ्रम फैलता है। आवश्यक है कि कालजयी वेदों का पुन: चिन्तन-मनन करते हुए सही तथ्यों को समाज के सामने रखा जाये, क्योंकि वेदों में कहा गया है कि ब्रह्म सत्य है और जगत मिथ्या।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए वैदिक विद्वान डॉ.केदारनाथ शुक्ल ने कहा कि वेद पूर्णता के प्रतीक हैं। समाज कल्याण तथा समरसता वेदों का ध्येय है, क्योंकि द्विपद चतुष्पद के साथ पेड़-पौधों के प्रति भी सम्मान व्यक्त किया गया है। नईदिल्ली के प्रो.देवेन्द्रप्रसाद मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि वेद सभी विधाओं के स्त्रोत हैं। वेद विश्व के कल्याणधारक ग्रंथरत्न हैं। वेदों में मानवमात्र के कल्याण के लिये ही नहीं, अपितु चराचर जगत के कल्याण के लिये सन्देश ग्रंथित हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो.बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि कंठस्थीकरण से वेदों की परम्परा यथावत प्राप्त हो रही है। वेद ज्ञान का बोध देता है और इसका अर्थबोध आवश्यक है, परन्तु उससे पूर्व मूल की रक्षा आवश्यक है। वेदों में किसी भी तथ्य की दुर्व्याख्या नहीं होना चाहिये। ऋग्वेद वाणी और मन से समानता का सन्देश देते हैं। कार्यक्रम के प्रारम्भ में वैदिक विद्वानों में सर्वश्री पं.दिलीप कोरान्ने, अजय दाणी, दिगंबर लाखे, पतंजली पाण्डेय, जयनारायण शर्मा, सोहन भट्ट, अंकित जोशी, स्वप्निल लाखे, आकाश राव, पंकज रामदासी, मोहनलाल शर्मा, आशुतोष शास्त्री, ज्योतिस्वरूप तिवारी, धर्मेन्द्र शर्मा सहित वैदिक बटुकों ने अपने-अपने वेद से स्वाध्याय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया। अतिथियों का स्वागत अकादमी निदेशक सुश्री प्रतिभा दवे ने किया एवं स्वागत भाषण और आभार डॉ.संतोष पण्ड्या ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.पीयूष त्रिपाठी ने किया।