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भाई की रहस्यमयी मौत की सीबीआई जांच व संपत्ति हड़पने वालों पर पुलिस कार्रवाई को लेकर अकेली वृद्धा की फरीयाद


एक साल से ६३ साल की वृद्धा भटक रही दर-दर, पुलिस-प्रशासन नहीं कर रहा कोई कार्रवाई, अब सुनवाई नहीं तो आत्मदाह की चेतावनी

उज्जैन। अपने भाई की रहस्यी मौत व उसके जिंदा रहते कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति हड़पने वाले आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होने से व्यथीत वृद्धा ने मीडिया के सामने अपनी पीड़ा सुनाई। एक साल से पुलिस, प्रशासन कि चौखट पर फरीयाद सुना चुकी वृद्धा की न्याय मिलने की आस धुंधली होने पर अब उसने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है।

मंगलवार को मीडिया के समक्ष दानीगेट निवासी ६३ वर्षीय शकुंतला त्रिवेदी ने दस्तावेज प्रस्तुत करने के साथ बताया की ९ मई २०१६ को उसके भाई चिंतामण त्रिवेदी की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई। वो नशे का आदि होने के चलते सालों से घर से बाहर था। दानीगेट स्थित भवन क्रमांक ४६-४७ पैतृक निवास में किराए से रहने वाले देवेंद्र पिता मोहन लाल शर्मा व संतोष शर्मा निवासी कार्तिक चौक भार्गव घाटी ने अवैध कब्जें को मालिकाना हक में तब्दील करने वे उसे दानीगेट निवास पर लाएं। उसके साथ कूटरचित दस्तावेज तैयार कर भवन के एक भाग की फर्जी रजिस्ट्री करवाकर उसे बंधक बनाकर रखा। उसकी संदीग्ध परिस्थिति में मौत होने पर आरोपियों ने ना हमें जानकारी दी और ना ही पोस्टमार्टम कराएं सीधे चक्रतीर्थ ले जाकर अंत्येष्टी कर दी। चक्रतीर्थ कि रसीद में पता भी मेरे घर का लिखाया गया। मृत्यु के दो दिन बाद ११ मई २०१६ को परिजनों को चिंतामण की मृत्यु की खबर लगी। तत्काल महाकाल थाना पुलिस व तत्कालिन एसपी को शिकायत दी गई। लेकिन सिंहस्थ का समय होने से प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। आरोपी गण में से एक देवेंद्र शर्मा के वकील होने के कारण पुलिस दबाव में है और कार्रवाई नहीं कर रही। उसके द्वारा वृद्धा के मकान के एक भाग में अवैध कब्जा कर रखा है। वृद्धा शंकुतला त्रिवेदी ने चिंतामण कि मृत्यु व उसे बाले-बाले जलाने कि सीबीआई से जांच कराने व फर्जी ढंग से की रजिस्ट्री को निरस्त कर इनके खिलाफ ४२० का प्रकरण दर्ज कराने की मांग रखी। महिला ने चेतावनी दी की अब प्रशासन ने उसकी नहीं सुनीं तो मजबूरी में उसे आत्मदाह करने पर विवश होना पड़ेगा। 

वसीयत में नाम नहीं, बावजूद फर्जी रजिस्ट्री करा ली 

वृद्धा शकुंतला त्रिवेदी के अनुसार साल २००२ में दानीगेट स्थित उक्त भवन की मालिक मेरी ७५ वर्षीय माँ कमलाबाई त्रिवेदी ने मेरे (शकुंतला), भाई नागेश्वर व धु्रवनारायण के पक्ष में उक्त मकान की वसीयत की थीं। इसमें चिंतामण का कोई हिस्सा नहीं रखा गया। क्योंकि वह नशे का आदि होने के कारण घर से अन्यत्र चला गया था। इसकी जाहिर सूचना उक्त दौरान ही अखबारों में प्रकाशित की गई थी। बावजूद आरोपी देवेंद्र शर्मा ने चिंतामण से भवन के एक चौथाई हिस्से की फर्जी रजिस्ट्री करवाकर दुकान पर अवैध कब्जा जमा लिया। उज्जैन से लेकर भोपाल तक शिकायत करने पर भी किसी ने सुनवाई नहीं की।

मृत्यु के ११ दिन पहले रजिस्ट्री, लगाएं अंगूठे

वृद्धा ने मीडिया के सामने जो दस्तावेज पेश किए उसके अनुसार देवेंद्र शर्मा ने चिंतामण से २८ अप्रैल २०१६ को भवन के चौथाई भाग की फर्जी रजिस्ट्री कराई। इसके ११ दिन बाद ९ मई को चिंतामण की रहस्यमयी तरीकें से मौत हुई। बाले-बाले अंत्येष्टी भी। पुलिस ने समय रहते कोई जांच तक नहीं की। वहीं चिंतामण हस्ताक्षर करना जानता था बावजूद उससे रजिस्ट्री संपादन दौरान अंगूठे के निशान लगवाएं जाना भी आरोपियों के षडय़ंत्र को साफ करता है। कारण दिया कि चिंतामण कि अंगुली में चोंट लगी है।

यू रचा गया खेल, रजिस्ट्रार अमला भी दोषी

- देवेंद्र शर्मा ने नशे के आदी चिंतामण से फर्जी ढंग से लिखा-पढ़ी कराई। जबकी चिंतामण का उक्त संपत्ति में कोई हिस्सा ही नहीं था।

- उसकी हरकतों के कारण उसे बेदखल किया जा चुुका था, जिसके प्रमाण मौजूद है।

- आरोपियों ने उसे यहां लाकर मनगढ़ंत कागजात तैयार कराएं। फिर इसी आधार पर रजिस्ट्री करवा ली। बाद में उसे रास्ते से हटाकर कब्जा जमा लिया।

- रजिस्ट्रार ऑफिस वालों ने भी मालिकाना हक देखें बगैर देवेंद्र शर्मा के पक्ष में रजिस्ट्री कर दी।

- रजिर्स्ट्री होने के ११ दिन बाद ही भाई चिंतामण की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई।

- उसकी मृत्य की सूचना समय से परिवार को नहीं देना, सिंहस्थ के दरमियान ही उसकी चक्रतीर्थ पर अंत्येष्टी करा देना। ये सब षडय़ंत्र चालाकी से रचा गया।

- यदि मामलें की पड़ताल व मृत्यु दिनांक पर दानीगेट क्षेत्र के सीसीटीवी फूटेज खंगाले जाएं तो सारी परतें खुल सकती है।

- अनूरोध है की कलेक्टर-एसपी महोदय इस प्रकरण को सीबीआई को सौंपें। वे ही इसकी सूक्ष्मता से पड़ताल कर दोषियों को सजा दिलवा सकते है।

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