गुरूकुल शिक्षा को पुनः प्रतिष्ठित करने हेतु होगा विराट गुरूकुल सम्मेलन
28, 29, 30 अप्रैल को होगा तीन दिवसीय आयोजन-देशभर के 1250 से अधिक गुरूकुल सहित विदेशों के गुरूकुल भी करेंगे सहभागिता- आयोजन की तैयारियों को लेकर हुई बैठक
उज्जैन। गुरूकुल शिक्षा को पुनः प्रतिष्ठित करने के लिए प्रथम चरण के रूप में वर्तमान में चल रहे गुरूकुलों का संकलन किया जा रहा है। इस निमित्त 28, 29, 30 अप्रैल को उज्जैन में विराट गुरूकुल सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस अंतरष्ट्रीय स्तर के विराट गुरुकुल सम्मेलन में भारत के 1250 से अधिक गुरुकुल सहित नेपाल, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, इंडोनेशिया और साउथ अफ्रीका के गुरुकुल, पूज्य शंकराचार्य, संत समाज, 100 से अधिक शासकीय विश्वविद्यालय के कुलपति, देश भर के शिक्षाविद आएंगे।
भारतीय शिक्षण मंडल के विस्तारक अवधेश प्रताप सिंह के अनुसार इस आयोजन की तैयारियों के लिए एक बैठक भारतीय शिक्षण मंडल की राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री अरूणा सारस्वत के निवास पर हुई। जिसमें उज्जैन महानगर प्रमुख राजेंद्र शर्मा गुरु, स्मिता भावलकर, डॉ. गौतम उपाध्याय, मदन मोहन गौतम, मनु गौरहा, अखलेश तिवारी, दिलीप भार्गव, निर्भय त्रिवेदी, डॉ. योगेंद्र कुमार कोठारी, देवेंद्र सारस्वत आदि शामिल हुए। बैठक में निर्णय लिया कि महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान पर होने वाले विराट गुरूकुल सम्मेलन का उद्घाटन 28 अप्रैल को होगा तथा 29 एवं 30 अप्रैल को विभिन्न गुरूकुलों की प्रस्तुतियां, भविष्य की कार्ययोजना एवं गुरूकुल शिक्षा पध्दति पर चर्चा होगी। सम्मेलन में भारत देश के वेद विज्ञान गुरूकुलम बंगलुरू, हेमचंद्रााचर्य संस्कृत पाठशाला साबरमती, प्रबोधिनी गुरूकुलम हरिहरपुर कर्नाटक, मैत्रेयी गुरूकुलम मंगलुर कर्नाटक, सिध्दगिरि ज्ञानपीठ कणेरी महाराष्ट्र, श्री आदिनाथ संस्कार विद्यापीठ चेन्नई, श्री वीर लोकाशाह संस्कृत ज्ञानपीठ जोधपुर राजस्थान, महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान पुणे, महर्षियाज्ञवल्क्यज्ञानपीठ अहमदाबाद गुजरात के अलावा नेपाल के महेश संस्कृत गुरूकुल विद्यापीठम् तनहूं, संस्कृत विद्याश्रम शांतिनगर भैरहवा, दुर्गा संस्कृत वैदिक विद्यापीठ टिकुलीगढ़, कांतिभैरव गुरूकुल विद्यालय उत्तरवाहिनी काठमांडू, महर्षि गुरूकुल वेद विद्याश्रम नारायणस्थान पोखरा, कालीगण्डकी ज्ञानविज्ञान प्रतिष्ठान स्याड्जा का सहयोग रहेगा। भारतीय शिक्षण मंडल गुरूकुल प्रकल्प, संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश सरकार तथा महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में गुरूकुलों के आचार्य, व्यवस्थापक, संत समाज, शिक्षाविद, कुलपति, संस्थाचालक, सामाजिक कार्यकर्ता सहभागिता करेंगे।
गलाकाट शिक्षण पध्दति के बीच विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए होगा सम्मेलन
अवधेश प्रताप सिंह के अनुसार भारतीय शिक्षण मंडल शिक्षा में भारतीय प्रारूप को पुनसर््थापित करने का कार्य कर रहा है। इस दृष्टि से गुरूकुल शिक्षा को युगानुकुल रूप में फिर एक बाद समाज में प्रचलित करने का विनम्र प्रयास किया जा रहा है। संगठित प्रयास से गुरूकुल शिक्षा फिर एक बाद मुख्यधारा की शिक्षा बन सकती है। वर्तमान में प्रचलित आधुनिक शिक्षा पध्दति से समाज त्रस्त हुआ है। गलाकाट प्रतियोगिता और केवल स्मृति पर आधारित शिक्षण पध्दति के कारण एक ओर जहां छात्रों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है वहीं दूसरी ओर शिक्षा का व्यवसायीकरण भी प्रचंड गति से हो रहा है। इन दोनों बातों से त्रस्त अभिभावक समुचित विकल्प खोज रहे हैं। इन अभिभावकों को यदि युगानुकुल गुरूकुलों का विकल्प उपलब्ध करादिया जाए तो वे इसे सहर्ष स्वीकार करेंगे। भारतीय शिक्षण मंडल के प्रयासों से भारत सरकार भी गुरूकुल शिक्षा पध्दति पर विचार कर रही है। अभी हाल ही में एचआरडी मंत्रालय से इस प्रकार की सूचना प्राप्त हुई।