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राजेन्द्र शोध संस्थान सभी का, पूरे प्रदेश के लोग यहां आकर अध्ययन करें –मंत्री श्री जैन


मंत्री श्री जैन एवं कलेक्टर ने आचार्यों का अभिनन्दन किया
राजेन्द्र शिक्षा महाविद्यालय में आचार्यों का स्वागत कार्यक्रम हुआ

    उज्जैन । प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन एवं कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे ने गुरूवार को देवास रोड स्थित श्री राजेन्द्र सूरी शताब्दी शोध संस्थान व राजराजेन्द्र सूरी शिक्षा महाविद्यालय में आये आचार्य श्री विजय नित्यसेन सूरीजी और आचार्य श्री विजय जयरत्नसेन सूरीजी महाराज का अभिनन्दन किया। इस अवसर पर यूडीए अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल, श्री दिवाकर नातू, श्री मनोहर बैरागी एवं अन्य अतिथिगण मौजूद थे। कार्यक्रम में आचार्यश्री द्वारा व्याख्यान भी दिया गया। सर्वप्रथम गुरू वन्दना और मंगलाचरण किया गया। इसके पश्चात मंत्री श्री पारस जैन एवं अन्य अतिथियों द्वारा श्रीमद विजय राजेश्वर सूरीजी और श्रीमद विजय जयन्तसेन सूरीजी महाराज की स्वर्ण प्रतिमा का अनावरण किया गया।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता मंत्री श्री जैन द्वारा की गई। इस अवसर पर वार्षिक पत्रिका 'जीजीविशा' का लोकार्पण भी किया गया। स्वागत भाषण श्री अभय सेठिया ने दिया। इस अवसर पर शोध संस्थान के ग्रंथ आचार्यों को भेंट किये गये। मंत्री श्री जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजेन्द्र शोध संस्थान किसी एक समाज का नहीं बल्कि सभी का है। पूरे प्रदेश के विद्यार्थी यहां आकर अध्ययन करें और शोध कर अपने ज्ञान को बढ़ायें। संस्थान के विकास के लिये कोष में मंत्री श्री जैन ने उनके गुरू और संस्थापक गुरू अखाड़ा श्री काशीनाथजी डकारे के सम्मान में गुरू अखाड़े की ओर से दो लाख रूपये देने की घोषणा की। मंत्री श्री जैन ने कहा कि शिक्षा में विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने के लिये राजेन्द्र शोध संस्थान का विशेष महत्व है। यह संस्थान एक धरोहर है जो आचार्यजी द्वारा शिक्षा के विकास के लिये बनाई गई थी। उल्लेखनीय है कि राजेन्द्र महाविद्यालय में विद्यार्थी डीएड एवं बीएड पाठ्यक्रम का अध्ययन करते हैं।
    संस्थान आज पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया है। जो छोटे-मोटे कार्य शेष बचे हैं, उन्हें भी आने वाले समय में पूर्ण कर लिया जायेगा। संस्थान में दो हजार लोगों की क्षमता का सभा मण्डप बनाये जाने का प्रस्ताव भी मंत्री श्री जैन ने मंच के माध्यम से दिया और एक भव्य मन्दिर भी बनाये जाने का सुझाव दिया। इसके पश्चात मंत्री श्री जैन ने संस्थान के अन्य दानदाता सदस्यों का माला पहनाकर स्वागत किया।
    आचार्य विजयश्री नित्यसेन सूरीजी ने अपने प्रवचन में कहा कि राजा केवल अपने देश में पूजा जाता है किन्तु विद्वान सम्पूर्ण जगत में पूजे जाते हैं। आचार्य राजेन्द्र सूरीजी महाराज तो विश्वपूज्य हैं। उन्होंने राजेन्द्र कोष की स्थापना की, जो सम्पूर्ण विश्व के विश्वविद्यालयों में एक बड़ा ग्रंथ माना गया है। इस कोष में सब समस्याओं का समाधान है। इस शोध संस्थान में सिर्फ जैन ही नहीं बल्कि दूसरे धर्म के शोधार्थियों को आना चाहिये और अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिये, तभी संस्थान के द्वारा ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फैल सकेगा। उन्होंने मंत्री श्री जैन के सहज और सरल स्वभाव की प्रशंसा की और कहा कि संस्थान के प्रमुख ट्रस्टी और सभी सदस्य एकजुट होकर कार्य करें। तभी यह संस्थान भविष्य में मानवता के लिये ज्ञान के वटवृक्ष के रूप में विद्यमान होगा।
    आचार्य श्री जयन्तसेन सूरीजी महाराज ने कहा कि शोध संस्थान में विकास के लिये निरन्तर कार्य किये जायें। उन्होंने संस्थान के कोष हेतु एक करोड़ रूपये दान देने की घोषणा की। इसके साथ ही यह भी कहा कि संस्थापक गुरूदेव की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष यहां शोध संगोष्ठी आयोजित की जाये।
    कार्यक्रम के पश्चात आचार्य विजयश्री नित्यसेन सूरी और श्री जयन्तसेन सूरी ने कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे से सौजन्य भेंट की और उन्हें आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम में आभार श्री सुशील गिरिया ने व्यक्त किया।                   

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