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जन-जन को जोड़ने वाली है एकात्म यात्रा –राघवेन्द्र गौतम


 

19 दिसम्बर से आदिशंकराचार्य की प्रतिमा हेतु धातु संग्रहण अभियान प्रारम्भ होगा
उज्जैन। आदिशंकराचार्य की प्रतिमा के लिये धातु संग्रहण का अभियान एकात्म यात्रा
19 दिसम्बर से उज्जैन के महाकाल मन्दिर से प्रारम्भ होगी। एकात्म यात्रा की तैयारियों को लेकर आज मेला
कार्यालय में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में उज्जैन से निकलने वाली यात्रा के प्रभारी एवं
जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री राघवेन्द्र गौतम ने कहा कि एकात्म यात्रा जन-जन को जोड़ने वाली है।
इस यात्रा के माध्यम से समाज में जुड़ने का अवसर मिल रहा है। सम्पूर्ण समाज में समरसता लाने के लिये
इस तरह की यात्रा की आवश्यकता है।
बैठक में मप्र पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष श्री तपन भौमिक ने कहा कि धातु एकत्रीकरण का
कार्य प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं नगर पंचायतों से किया जायेगा। तांबा, पीतल के कलशों में गांव की मिट्टी
रखकर एकत्रित की जायेगी। एकत्रित किये गये कलश 21 दिसम्बर को खंडवा कलेक्टर को सौंपे जायेंगे।
उन्होंने बताया कि ओंकारेश्वर में अष्टधातु की 108 फीट की आदिशंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जायेगी।
22 जनवरी को मूर्ति स्थापना के लिये भूमि पूजन कार्यक्रम एवं शिलान्यास कार्यक्रम आयोजित होगा। यह
प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की जायेगी, जहां आदिशंकराचार्य ने अपने गुरू से शिक्षा प्राप्त की है। तीन
एकड़ जमीन के क्षेत्र में बगीचे सहित यह प्रतिमा रहेगी। आयोजन समिति की बैठक में स्वामी उमेशनाथजी
महाराज, आचार्य शेखर, श्री रामेश्वरदासजी, ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन, जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री
प्रदीप पाण्डेय, विधायक श्री बहादुरसिंह चौहान, यूडीए अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के
अध्यक्ष श्री सुरेश आर्य, श्री इकबालसिंह गांधी, श्री श्याम बंसल, श्री प्रकाश चित्तौड़ा, महापौर श्रीमती मीना
जोनवाल, नगर निगम अध्यक्ष श्री सोनू गेहलोत, श्री विशाल राजौरिया सहित गणमान्य सन्त एवं नागरिक
मौजूद थे।
बैठक में जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय ने कहा कि उज्जैन से शुरू होने वाली
एकात्म यात्रा के माध्यम से सम्पूर्ण देश व विदेश में एक सन्देश जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि उज्जैन से
निकलने वाली यात्रा में राजकोट के सन्त श्री परमानन्द सरस्वती लगातार 35 दिनों तक यात्रा में प्रमुख सन्त
के रूप में शामिल होंगे। बैठक में श्री उमेशनाथजी महाराज ने कहा कि शंकराचार्य सभी समाज के गुरू रहे हैं,
इसलिये इस यात्रा से समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ना चाहिये। उन्होंने कहा कि वाल्मिकी धाम की ओर से
21 सन्त इस यात्रा में शामिल होंगे। आचार्य शेखर ने कहा कि यह एक यात्रा बिखरे मोतियों को एकत्र करने
का काम करेगी। उन्होंने कहा कि वे यात्रा के 35 दिनों में से 20 दिन यात्रा के साथ रहेंगे। आचार्य शेखर ने
यात्रा मार्ग में कावड़ यात्रियों, पुलिस बैण्ड एवं स्कूल-कॉलेज के छात्रों को भी शामिल करने का आव्हान किया।
ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन ने कहा कि यात्रा महाकाल मन्दिर से प्रारम्भ होगी। इस अवसर पर वातावरण
बनाने के लिये एक दिन पूर्व वाहन रैली का आयोजन किया जाना चाहिये। विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्री
जगदीश अग्रवाल ने कहा कि यात्रा भव्य होना चाहिये। गरिमा के अनुकूल हो, इसके लिये सवारी के साथ
चलने वाली भजन मण्डलियां, बैण्ड-बाजे एवं झांझ-मजीरा पार्टी भी महाकाल सवारी की तरह इस शोभायात्रा में

शामिल की जानी चाहिये। शोभायात्रा के मार्ग में पुष्पवर्षा कर इसका स्वागत हो। साथ ही उन्होंने कहा कि
शहर के 54 वार्डों में यात्रा को लेकर समितियां बनाई जायें। उन्होंने कहा कि संभव हो तो शहर के चौराहों पर
वेदपाठी बटुकों द्वारा प्रतिदिन शंकराचार्य विरचित श्लोकों का पाठ कराया जाये। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के
अध्यक्ष श्री सुरेश आर्य ने यात्रा मार्ग में ग्रामीणों को बड़ी संख्या में यात्रा से जोड़ने का आव्हान किया। बैठक
में कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे ने कहा कि एकात्म यात्रा के प्रचार के लिये गांव-गांव में दीवार लेखन करवा
दिया गया है, कोटवारों द्वारा मुनादी की जा रही है, प्रचार-प्रसार की वृहद गतिविधियां जारी हैं। ग्राण्ड होटल
में चित्रकला प्रतियोगिता एवं रामघाट पर स्लोगन प्रतियोगिता भी आयोजित की जायेगी।

प्रेस से चर्चा की

एकात्म यात्रा को लेकर मप्र पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष श्री तपन भौमिक एवं एकात्म यात्रा
प्रभारी श्री राघवेन्द्र गौतम ने प्रेस से उज्जयिनी होटल में चर्चा की। श्री गौतम ने बताया कि शंकराचार्य ने
अद्वैतवाद का सिद्धान्त समाज को दिया। आठ वर्ष की आयु में शंकराचार्य केरल से पदयात्रा कर नर्मदा तट
ओंकारेश्वर पहुंचे थे और यहां पर उन्होंने गुरू से ज्ञान प्राप्त किया था। शंकराचार्य की प्रतिमा ओंकारेश्वर में
स्थापित की जायेगी। प्रतिमा स्थापित करने के लिये भूमि पूजन के पूर्व सम्पूर्ण प्रदेश में एकात्म यात्रा के
माध्यम से धातु संग्रहण किया जायेगा। ये यात्रा पूरे समाज को जोड़ने के लिये है। अद्वैतवाद के सिद्धान्त
के आधार पर प्रदेश के लोग जात-पात छोड़कर संवाद करेंगे।
एकात्म यात्रा

आयोजन समिति की बैठक में जनअभियान परिषद के संभागीय प्रमुख श्री वरूण आचार्य ने एकात्म
यात्रा के बारे में पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। बताया गया कि मध्य
प्रदेश शासन द्वारा भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक एकता के महान दार्शनिक, सन्त एवं
संस्कृत साहित्यकार, अद्वैत वेदान्त के प्रणेता, सनातन धर्म के ओजस्वी शक्तिप्रदाता आदि गुरू शंकराचार्य
के योगदान के सम्बन्ध में जन-जागरण करने तथा ओंकारेश्वर में शंकराचार्यजी की प्रतिमा स्थापित करने के
लिये धातु संग्रहण हेतु 19 दिसम्बर से एकात्म यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। एकात्म यात्रा चार
स्थानों यथा- ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा रीवा एवं अमरकंटक से एकसाथ प्रारम्भ होकर 21 जनवरी 2018
को ओंकारेश्वर में समाप्त होगी। 51 जिलों से सांकेतिक धातु संग्रहण एवं जन-जागरण करते हुए यात्रा
ओंकारेश्वर पहुंचेगी। 22 जनवरी 2018 को प्रतिमा की स्थापना हेतु भूमि पूजन, शिलान्यास तथा जन-संवाद
कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
भारतीय अस्मिता और राष्ट्रीय चेतना के आधार स्तंभ, सांस्कृतिक एकता और मानवमात्र में
एकात्मता के उद्घोषक तथा अद्वैतवाद के अजेय योद्धा आदिशंकराचार्य ने मां नर्मदा के तट पर ज्ञान प्राप्त
किया। सुदूर केरल से आठ वर्ष के बाल सन्यासी के रूप में वे 1200 वर्ष पूर्व दो हजार किलो मीटर की
पदयात्रा कर गुरू की खोज में गुरू गोविन्दपाद के आश्रम में पहुंचे। वहां तीन वर्ष में ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के
पश्चात उपनिषदों, ब्रह्मसूत्र एवं गीता पर भाष्य लिखा एवं अद्वैत मत की स्थापना के लिये सम्पूर्ण भारत
की यात्रा पर निकल पड़े। जीव ही ब्रह्म है का उद्घोष करते हुए सम्पूर्ण भारत में सामाजिक विद्रुपता तथा
पाखण्ड का नाश कर सामाजिक समरसता, एकात्मता एवं सहजता का ध्वज फहराया। आशुतोष शिव के रूप
में अवतरित आदिशंकराचार्य ने भारत की चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर आध्यात्मिक,
सांस्कृतिक सामन्जस्य एवं एक्य संस्थापन का महत्वपूर्ण कार्य किया।

भारत की आध्यात्मिक शक्ति के अविरल प्रवाह को सशक्त रूप से प्रवाहमान बनाये रखने में
आदिशंकराचार्य के कार्य एवं दर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। आदिशंकराचार्य ने परमात्मा के साकार एवं
निराकार दोनों रूपों को मान्यता दी। उन्होंने सगुण धारा की मूर्तिपूजा और निर्गुण धारा के ईश्वर दर्शन की
अपने ज्ञान एवं तर्क के माध्यम से सार्थकता सिद्ध की। आदिगुरू का एकात्मवाद सम्पूर्ण विश्व को धर्म,
पथ, रंग, जाति, लिंग, प्रजाति एवं भाषा आदि की विविधताओं से परे एक सूत्र में बांधने का दर्शन है।
आदिगुरू शंकराचार्य ने भारत को सांस्कृतिक एकता में बांधने का महान कार्य किया। भारतीय संस्कृति के
विस्तार में भी इनका अमूल्य योगदान रहा। एक ऐसे समय जब देश और दुनिया को भौगोलिक रूप से ही
नहीं, वरन मानवीय संवेदनाओं के आधार पर विभाजित करने का प्रयत्न किया जा रहा है, तब आदिगुरू
शंकराचार्य का जीवन एवं उनकी शिक्षाएं अत्यन्त प्रासंगिक हो जाती हैं।
आदिशंकराचार्य के जीवन में यात्राओं का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। ज्ञान एवं चेतना के विस्तार एवं
सामाजिक बुराईयों को समाप्त करने हेतु की गई इन यात्राओं में कुछ स्थान ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा
रीवा एवं अमरकंटक भी सम्मिलित रहे हैं। एकात्म यात्रा इन चार पवित्र स्थानों से प्रारम्भ की जा रही है।
इस यात्रा के दौरान आदिशंकराचार्य के जीवन दर्शन पर आधारित जन-संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया
जायेगा। इसमें आदिशंकराचार्य के जीवन एवं कर्तव्य का पावन स्मरण कर ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची
धातु की विशाल प्रतिमा के निर्माण हेतु समाज के सभी वर्गों से धातु का संग्रहण किया जायेगा।

एकात्म यात्रा की रणनीति

आदिशंकराचार्य की प्रतिमा हेतु धातु संग्रहण एवं जन-जागरण अभियान के आयोजन हेतु मुख्यमंत्री की
अध्यक्षता में 102 सदस्यीय राज्य स्तरीय आयोजन समिति का गठन किया गया है। इसी तरह जिला स्तर पर प्रभारी
मंत्री की अध्यक्षता में जिला स्तरीय आयोजन समिति बनाई गई है। चयनित चारों यात्रा मार्गों हेतु समन्वयक, रूट
प्रभारी नियुक्त किये गये हैं। प्रत्येक यात्रा दल का नेतृत्व धर्माचार्यों द्वारा किया जायेगा। प्रस्तावित चार दलों के द्वारा
प्रतिदिन एक जन-संवाद कार्यक्रम आयोजित होगा। यात्रा के 35 दिवस में 140 जिला स्तरीय जन-संवाद आयोजित होंगे।
जन-संवाद के दौरान आदिशंकराचार्य के जीवन वृत्तांत पर जानकारी दी जायेगी। आमजनों से सांकेतिक रूप से धातु
संग्रहण के लिये आव्हान किया जायेगा। यात्रा के लिये चारों स्थानों पर एक-एक केरावान वाहन लगाये जायेंगे। इन
वाहन में साधु, सन्त एवं विशेषज्ञ रहेंगे। यात्रा के आकर्षण हेतु आदिशंकराचार्य द्वारा विरचित स्त्रोतों का गायन होगा।
यात्रा के दौरान ध्वज का उपयोग किया जायेगा। रात्रि विश्राम के समय आदिशंकराचार्य पर निर्मित फिल्म का प्रदर्शन
होगा।
यात्रा दलों को यथासंभव किसी मन्दिर, धर्मशाला अथवा किसी सामाजिक संस्था के भवन में रात्रि विश्राम
करवाया जायेगा। चारों यात्रा दल 21 जनवरी 2018 की रात्रि तक ओंकारेश्वर पहुंचेंगे। 22 जनवरी 2018 को ओंकारेश्वर
में प्रतिमा स्थापना हेतु भूमि पूजन तथा शिलान्यास कार्यक्रम जन-संवाद के साथ होगा। जिला स्तर पर आदिशंकराचार्य
विषय पर विद्यालयीन छात्र-छात्राओं के मध्य चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। जिला स्तर पर
महाविद्यालयीन एवं विश्वविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के मध्य ‘अद्वैत वेदान्त दर्शन-जीव, जगत एवं जगदीश की
सार्वभौमिक एकता’ विषय पर संभाषण प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी।
उज्जैन से प्रारम्भ होने वाली एकात्म यात्रा इन्दौर, देवास, राजगढ़, गुना, अशोक नगर, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना,
भिंड, ग्वालियर, दतिया होते हुए ओंकारेश्वर पहुंचेगी। यह यात्रा 12 जिलों में होकर लगभग 2175 किलो मीटर की दूरी
तय करेगी।

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