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सिंहस्थ में शिप्रा में स्नान कर सकेंगे संत-श्रद्धालुजन


अब शिप्रा न तो दूषित होगी और न ही उसमें कभी पानी की कमी महसूस की जाएगी। दरअसल शिप्रा को प्रवाहमान-स्वच्छ बनाने के लिए कान्ह क्लोज डक्ट, सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी एवं हरियाखेड़ी के प्रोजेक्ट पर काम होने जा रहे हैं। इससे सिंहस्थ में संत-श्रद्धालु शिप्रा के जल से स्नान कर सकेंगे। शहर की पेयजल आपूर्ति में भी मदद मिलेगी।

शिप्रा के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण व आधुनिक कान्ह क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट हैं, जो कि सीएम डॉ. मोहन यादव की परिकल्पना अनुसार बनाया है। इसके लिए काम भी शुरू हो गया है। प्रोजेक्ट के तहत कान्ह नदी के गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकते हुए उसे कट एंड कवर वाली करीब 30 किमी लंबी नहर से डायवर्ड किया जाएगा। प्रयास है कि सितंबर 2027 तक यह प्रोजेक्ट पूर्ण होगा और कान्ह का दूषित पानी शहर की सीमा से बाहर गंभीर डाउन स्ट्रीम में स्वच्छ कर छोड़ा जाएगा। इसके अलावा 614.53 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति वाली सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना पर भी काम होना है।

इसका मुख्य उद्देश्य वर्षा ऋतु में शिप्रा नदी के जल को सिलारखेड़ी जलाशय में एकत्रकर पुनः आवश्यकतानुसार शिप्रा नदी में प्रवाहित कर शिप्रा नदी को लगातार प्रवाहमान बनाना है। तथा सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए पर्व के दौरान संत-श्रद्धालुओं के स्नान के लिए शिप्रा नदी का जल उपलब्ध कराना है। प्रोजेक्ट के पूर्ण होने से शिप्रा तो प्रवाहमान होगी ही शहर की पेयजल की मांग की पूर्ति में भी मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। श्री महाकाल महालोक बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी है। उज्जैन का चारों ओर 5-5 किमी का विस्तार हो गया है। रहवासी भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में गंभीर बांध से जल आपूर्ति संभव नहीं हो सकेगी। जलप्रदाय आपूर्ति के लिए 100 एमएलडी का जल शोधन संयंत्र हरियाखेड़ी में स्वीकृत है। आधुनिक कान्ह क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है।

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