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शादियों में मिलावटी मावा की आवक बढ़ी, अब तक कार्रवाई नहीं


Ujjain @ शादियों का सीजन शुरू हुए करीब 15 दिन बीत गए है। शादियां नजदीक आते ही शहर में मिलावटी मावे की भी दस्तक शुरू हो जाती है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से इन पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। दिसंबर में शादियों के विशेष मुहूर्त हैं। शहर से लगे हुए कई क्षेत्रों से शादियों में मावा की कमी को पूरा करने के लिए मिलावटी मावा इन दिनों सप्लाई किया जा रहा है। ज्यादातर मावा आसपास के समीपवर्ती क्षेत्रों से आता है। मिलावटी मावा बनाने के लिए यूरिया डिटर्जेंट पाउडर से तैयार सिंथेटिक दूध से तैयार हो रहा है। शहर में इन दिनों मावा 140-160 रुपए किलो के भाव में बिक रहा है जबकि मावा बनाने के लिए पांच लीटर दूध को उबालने पर एक किलो मावा प्राप्त होता है। गौरतलब है कि गत दिनों खराब मावे के चलते कई लोगों के बीमार होने की खबरे मिली है। उसके बाद भी प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। इस संबंध में बी.एस. जामोद, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, उज्जैन से चर्चा करने की कोशिश की पर संपर्क नहीं हो पाया।


ऐसे होगी मिलावटी मावे की पहचान : असली मावा पानी डाला जाए तो आसानी से घुल जाता है, और अगर मावा में मिलावट है तो वह पानी में पूरी तरह नहीं घुलेगा। मिलावटी मावे पर स्प्रिट लगाते ही वह काला हो जाता है और मावा में मिलावट नहीं है तो स्प्रिट जिस रंग का है, मावा पर भी वहीं रंग जाएगा। फूड सेफ्टी ऑफिसर को मिठाई की जांच करने एवं सैंपल लेने का अधिकार है। जांच रिपोर्ट 15 से 20 दिन में आती है। इतने दिन में पुरा सीजन ही निकल जाता है।

 

खराब मावे से होता स्वास्थ्य प्रभावित : इधर डॉक्टरों के अनुसार मिठाइयों में मिलावटी मावा का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। मिठाई में उपयोग होने वाले रंगों से लोगों को कैंसर तक होने का खतरा बढ़ जाता है। जिस कारण समय समय पर मावा की जांच की जाती है। वही लोगों को कम से कम मावा और रंग वाली मिठाइयों का उपयोग करना चाहिए।

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