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व्यापार के अनुचित तरीके या दोषपूर्ण सेवा पर उपभोक्ता शिकायत कर सकता है


 

उज्जैन। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत व्यापारी द्वारा व्यापार के अनुचित
तरीके अपनाने के परिणामस्वरूप हुई क्षति या खरीदी हुई वस्तु में दोष होने या भाड़े पर ली गई या प्राप्त की
गई सेवाओं में किसी प्रकार का दोष होने पर उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। वस्तुओं पर
प्रदर्शित निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य मांगने पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। स्वरोजगार में लगे
व्यक्ति आजीविका कमाने के लिये खरीदी वस्तु में पाई गई कमियों को दूर करने के लिये भी शिकायत कर
सकते हैं। उपभोक्ता अपनी शिकायत जिला फोरम, राज्य फोरम या राष्ट्रीय फोरम पर परिस्थिति अनुसार दर्ज
करा सकते हैं।
जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री डीएस मुझाल्दे ने बताया कि यदि किसी वस्तु या सेवा का मूल्य
और मांगा गया हर्जाना पांच लाख रूपये से कम है, तो इस स्थिति में जिला फोरम में शिकायत की जा
सकती है। पांच लाख रूपये से अधिक व 20 लाख रूपये से कम की स्थिति में राज्य फोरम तथा 20 लाख
रूपये से अधिक की स्थिति में राष्ट्रीय फोरम पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। उन्होंने बताया कि
शिकायत मूल वाद के एक वर्ष के अन्दर की जा सकती है। शिकायत दर्ज कराने के लिये कोई शुल्क नहीं
लगता। शपथ-पत्र के लिये स्टाम्प पेपर की आवश्यकता नहीं होती। शिकायत स्वयं शिकायतकर्ता या उसके
किसी अधिकृत एजेन्ट या डाक द्वारा भेजी जा सकती है। प्रतिवादी पार्टी से नोटिस प्राप्त करने के तीन
महीनों के अन्दर ही मंच या आयोग द्वारा शिकायतों का निर्णय करना होता है। जब वस्तुओं के परीक्षण या
विश्लेषण की आवश्यकता होती है, शिकायतों का निर्णय पांच महीनों के अन्दर किया जाता है। मंच या
आयोग जिन राहतों का आदेश दे सकता है, उनमें वस्तुओं की कमियों को दूर करना, वस्तुओं का बदलना,
भुगतान की गई कीमत की वापसी, हानि या क्षतिग्रस्त के लिये क्षतिपूर्ति शामिल है। उपभोक्ता जिला विधिक
सेवा प्राधिकरण से नि:शुल्क विधिक सलाह या सहायता प्राप्त कर सकता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत सेवा से तात्पर्य यह है कि ऐसी सभी सेवाएं, जो मूल्य
लेकर प्रयोगकर्ता को उपलब्ध कराई जाती हैं, इसमें बैंक, बीमा, परिवहन, विद्युत, भोजन, निवास, भवन
निर्माण, मनोरंजन, आमोद-प्रमोद, समाचार-पत्र, तार, दूरभाष, रेल आदि शामिल हैं। इसके अलावा उपयोग की अवधि समाप्त होने के पश्चात बेची जा रही औषधियां या खाद्य पदार्थ तथा अपने प्रतिष्ठान से कोई वस्तु
खरीदने के लिये बाध्य करना भी इसमें शामिल होता है। उपभोक्ता के अलावा कोई भी पंजीकृत स्वयंसेवी
संगठन, केन्द्र सरकार या राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन तथा समान हित वाले उपभोक्ताओं का
समूह शिकायत दर्ज करा सकता है। यहां उपभोक्ता कौन है, इसको भी स्पष्ट किया गया है। कहा गया है कि
हम सभी वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ता हैं। उपभोक्ता अर्थात ऐसा व्यक्ति जो कोई वस्तु खरीदने या
सेवाएं भाड़े पर लेने के लिये कुछ भुगतान करता अथवा करने का वचन देता है अथवा आंशिक रूप से
भुगतान करता है तथा शेष भुगतान का वचन देता है अथवा अस्थगित भुगतान की कोई विधि अपनाता है,
वह उपभोक्ता कहलाता है।

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