संस्कृत मृत नहीं, अमृत भाषा- राघव माधव
उज्जैन। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है यह मृत नहीं अमृत भाषा है।
संस्कृत को बोलने मात्र से शरीर के रोग नष्ट हो जाते है, नकारात्मकता घर
में प्रवेश नहीं करती। संस्कृत को जानें और समझकर राष्ट्र उत्थान में
इसका उपयोग करें।
यह बात ढांचा भवन स्थित आलोक हायर सेकेंडरी स्कूल में संस्कृत भारती
द्वारा आयोजित संभाषण शिविर में आचार्य राघव माधव ने कही। आपने कहा कि हम
अपने शरीर के किसी अंग पर ध्यान देना बंद कर दें तो वह बीमार रहने लगता
है और एक समय वह लुप्त होने लगता है। सभी भाषाओं का ज्ञान अर्जित करें
किंतु संस्कृत का अध्ययन भी जरूर करें संस्कृत से ही भारतीय संस्कृति को
आगे बढ़ाया जा सकता है। हमारे पिताजी ने ऑटो चलाई, माता गृहणी लेकिन फिर
भी हमें उन्होंने स्वयं संस्कृत पढ़ने और पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इस
अवसर पर प्राचार्य शशिकला पाठक ने आचार्य राघव माधव का स्वागत किया।
संचालन लीना कुशवाह ने किया एवं आभार किरण कुशवाह ने माना।