श्री महाकाल मंदिर में होगा शैव महोत्सव
बारह ज्योतिर्लिंग के पुजारी, प्रबंधन अधिकारी, स्थानीय विद्ववानों
एवं सामाजिक कार्यकार्ताओं को किया जायेगा आमंत्रित
पूजन एवं परम्पराओें पर किया जावेगा वैचारिक मंथन
उज्जैन । द्वादष ज्योतिर्लिंग सम्मेलन शैव महोत्सव के रूप में 5 से 7 जनवरी 2018 को
मनाया जावेगा। यह आयोजन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, संस्कृति संचालनालय भोपाल और श्री
महाकालेष्वर मंदिर प्रबंध समिति के संयुक्त तत्वावधान में होगा। शैव महोत्सव के प्रथम दिन भव्य
शोभायात्रा निकाली जावेगी। साथ ही महोत्सव के अन्य दिवसों में भारत के वैदिक विद्वान को वैदिक
अलंकरण सम्मान से सम्मानित किया जावेगा। सभी मंदिरों कंे अधिदैविक, अधिभैतिक व आध्यात्मिक
महात्मय, पूजन एवं परम्पराओं चर्चा की जावेगी तथा कर्मकाण्ड, वेद-वेदांग, प्रबन्धन सामाजिक समरसता
आदि विषयों पर संगोष्ठी व विभिन्न सत्रों के माध्यम से मंथन किया जावेगा।
शिव के विभिन्न स्वरूपों की प्रदर्शनी
शैव महोत्सव का उद्देष्य एक एैसा मंच तैयार करना है, जिसके माध्यम से बारह ज्योतिर्लिंगों के
विषय में किसी भी स्थान पर कोई चर्चा होती है तो धार्मिक एवं राष्ट्र उत्थान के महत्व को ध्यान में रखते
हुए सभी एक साथ उस विषय पर सहमति दे सके। साथ ही प्राचीन परम्पराओं, पद्धतियों का पुर्नजीवन एवं
सामाजिक समरसता का ध्यान रखते हुए जातिगत भेद दूर करने का संदेश दिया जा सकेगा। धर्म, दर्षन,
कर्मकाण्ड, प्रबन्धन, पूजा-पद्धति, उपासना, परम्परा आदि का आदान-प्रदान भी किया जा सकेगा।
बारह ज्योतिर्लिंग के सम्मेलन में शैव के अतिरिक्त अन्य मंदिरो श्री तिरूपति बालाजी, श्री वैष्णों
देवी, पद्मनाभ मंदिर, द्वारका, पुरी आदि के पुजारी व प्रबंधन अधिकारियों के अतिरिक्त आध्यात्मिक एवं
सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जावेगा। साथ ही मंदिर प्रबन्ध समिति द्वारा सभी
मंदिरों की अनादिकाल से चली आ रही पूजा-पद्धति, उत्सवों परम्पराओं का संग्रह कर उनपर एक पुस्तक का
प्रकाशन भी किया जावेगा, जिससे दर्षनार्थियों को भी उसका लाभ मिलेगा। साथ ही अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर के
लोगों को भी शामिल किया जावे।
शैव महोत्सव हेतु 17 उपसमितियों का गठन
श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा शैव महोत्सव के सफल संचालन हेतु 17 उपसमितियों बनायी
गई है। कलेक्टर एवं श्री महाकालेष्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री संकेत भोंडवे ने गठित समितियों
केा व्यवस्थाओं के सफल संचालन आदि की जिम्मेदारियां भी सौंप दी है। जिसमें सत्कार समिति,
टेन्ट/लाईट/माईक हेतु समिति, मंचीय कार्यक्रम हेतु समिति, यातायात समिति, भोजन व्यवस्था हेतु समिति,
आवास व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, प्रकाषन एवं प्रचार-प्रसार समिति, संास्कृतिक कार्यक्रम की समिति,
प्रदर्षनी, षोभा यात्रा, वित्त प्रबन्धन, सूचना प्रोद्योगिकी एवं स्वच्छता व पेयजल की व्यवस्था हेतु समितियों
का गठन किया गया है।
देष के बारह ज्योर्तिलिंग
1- श्री सोमनाथ मंदिर सौराष्ट्र- गुजरात राज्य के प्रभास क्षेत्र में श्री सोमनाथ सौराष्ट्र विराजमान है। इस
प्रसिद्ध मंदिर को अतीत में अनेक बार ध्वस्त एवं निर्मित किया गया है।
2- श्री मल्लिकार्जुन मंदिर- आन्ध्रप्रदेष प्रान्त के कुर्नूल जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर श्री
मल्लिकार्जुन मंदिर विराजमान है। इसे दक्षिण का कैलाष कहते है।
3- श्री महाकाल मंदिर उज्जैन- प्राचीन नगरी अवन्तिकापुरी के अधिष्ठाताः भगवान श्री महाकालेष्वर एक मात्र
दक्षिणमुखी स्वयम्भू ज्योर्तिलिंग जो कि भक्तजनों के मुक्ति प्रदाता एवं अप्रत्याषित अकाल मृत्यु से सुरक्षा
कवच प्रदान करने वाले है। श्री महाकालेष्वर अग्नि तत्व की प्राधान्यता के कारण देष के बारह ज्योर्तिलिंग में
एकमात्र उज्जयिनी में भस्मार्ती में महाकाल को अभिषिक्त होती है। महाकाल मंदिर में षिवरात्रि, श्रावण माह
व नागपंचमी पर विषेष कार्यक्रम आयोजित होते है।
4- श्री ओंकारेष्वर मंदिर- मध्यप्रदेष राज्य के निमाड़ क्षेत्र खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे स्थित मध्य
मान्धाता पर्वत पर श्री ओंकारेष्वर मंदिर स्थित है। श्री ओंकार ममलेष्वरम् लिंग को स्वयंभू समझा जाता है।
5- श्री वैद्यनाथ का मंदिर- महाराष्ट्र में ही परभनी के पास परली ग्राम के निकट श्री वैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग
का मंदिर है।
6- श्री भीमाषंकर मंदिर- महाराष्ट्र प्रान्त के मंुबई से पूर्व ओर पुणे से उत्तर की ओर भीमानदी के किनारे
सह्मद्रि पर्वत पर श्री भीमाषंकर मंदिर है।
7- श्री रामेष्वर मंदिर- तमिलनाडु प्रान्त के रामनाड़ जिले में श्री रामेष्वर का मंदिर विराजित है। यहां लंका
विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने अपने आराध्यदेव शंकर की पूजा स्थापना की थी।
8- श्री नागेष्वर मंदिर- महाराष्ट्र प्रान्त के हिंगोली जिले में श्री नागेष्वर ज्योर्तिलिंग श्री औन्ढा नागनाथ के
नाम से प्रसिद्ध है। यहां का निर्माण कार्य महाभारतकालीन माना जाता है।
9- श्री विष्वनाथ जी का मंदिर- उत्तर प्रदेष वाराणसी स्थित काषी के श्री विष्वनाथ जी सबसे प्रमुख
ज्योर्तिलिंगो में एक है। गंगा तट स्थित काषी विष्वनाथ षिवलिंग के दर्षन हिन्दुओं के लिये सबसे पवित्र है।
10- श्री त्रयंम्बकेष्वर मंदिर- महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले में ब्रम्हगिरी के निकट गोदावरी के किनारे श्री
त्रयंम्बकेष्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर विराजित है। इस स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी है।
11- श्री केदारनाथ मंदिर- उत्तराखंड राज्य को रूद्र प्रयाग जिले में श्री केदारनाथ मंदिर स्थित है। मंदिर के
षिखर के पूर्व की ओर अलकनंदा के तट पर श्री बद्रीनाथ अवस्थित है और पष्चिम में मन्दाकिनी के किनारे
श्री केदारनाथ है।
12- श्री घुष्मेष्वर मंदिर- महाराष्ट्र के प्रान्त में ही औंरगाबाद जिले में बेरूल गांव के पास श्री घुष्मेष्वर
ज्योर्तिलिंग को घुसृणेष्वर या घृष्णेष्वर भी कहते है।