top header advertisement
Home - उज्जैन << मानव जीवन का चरम अर्थ मोक्ष है - श्री शंकराचार्य जी महाराज

मानव जीवन का चरम अर्थ मोक्ष है - श्री शंकराचार्य जी महाराज



श्री महाकालेष्वर प्रवचन हाॅल में हुई धर्मसभा

उज्जैन। श्री महाकालेष्वर प्रवचन हाॅल क्षिप्रा लोक संस्कृति समिति, उज्जैन एवं श्री महाकालेष्वर मंदिर प्रबन्ध समिति के संयुक्त तत्वावधान में सायं 06ः30 बजे परम पूज्य पूर्वाम्नाय श्री गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में धर्मसभा का आयोजन किया गया।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए परमपूज्य श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि, प्राणी ने जीवनकाल में ही देहत्याग के पहले ही आपने श्गवत् स्वरूप के आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया तो जीवन सार्थक हो जायेगा। धर्म, अर्थ, काम मोक्ष पुरूषार्थ है, इनकी उपेक्षा नही की जा सकती है। धर्म के द्वारा ही अर्थ व काम प्राप्त होता है और मोक्ष का मार्ग प्रषस्त होता है। जीवन का चरम अर्थ ही मोक्ष अर्थात मुक्ति है और मानव जीवन का लक्ष्य मुक्ति को पाना है। जीवों की गतिविधी मृत्यु है, मृत्यु का परिवसान जन्म है। जिसका जन्म हुआ है, उसका मरण भी सुनिष्चित है। जीविका जीवन के लिए है, जीवन जीविका के लिए नही है। जीव जीवन रूपी धन का जगदीष्वर की प्राप्ति में उपयोग करता है तभी जीव के जीवन का उपयोग एवं विनियोग करना सार्थक है। तभी जीव अपनी प्रवृत्ति और निवृत्ति का प्रामाणिक रूप से अवलोकन कर सकता है। उन्होने कहा कि, जब भी प्राणी अतृप्त वासना को लेकर धर्म करता हैं, तब वह पुनः जन्म लेने पर बाध्य होता हैं। इसी प्रकार जब तक यह ज्ञान नही होगा कि, मैं ज्ञान स्वरूप हू, तब-तक मृत्यु का श्य होगा। जब तक “अहं ब्रह्म“ विद्या का आलम्बन नही लेगे, तब तक जन्म-मत्यु के बंधनों सं मुक्त नही हो सकते।
कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री मोहन यादव विधायक उज्जैन(दक्षिण), श्री मोहन गुप्त, श्री श्यामनारायण व्यास आदि द्वारा परमपूज्य स्वामी श्री शंकराचार्य जी का स्वागत किया गया। उसके पश्चात श्री मोहन गुप्त ने कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए कहा कि, वेदो से लेकर आज तक की आगम परम्परा को समझना आवष्यक है। भारत पूर्व में भी विष्व गुरू बनकर मार्गदर्षन करता रहा है, और आगे भी भारत ही इस परम्परा का निवर्हन करेगा। क्रान्ति सदैव महर्षियो एवं संतो द्वारा ही की गयी है। श्री मोहन यादव विधायक उज्जैन(दक्षिण) ने कहा कि, उज्जैन सदैव पुण्यात्माओं से सुसज्जित रहा है और वर्तमान के दौर में योग, दर्षन व आध्यात्म के माध्यम से मार्गदर्षन हेतु आप जैसें संतो का सानिघ्य व उपदेष महत्वपूर्ण व प्रेरणा स्त्रोत है। डाॅ. रामेष्वर दास ने कहा कि, वैज्ञानिक युग में मनुष्य सुविधा बढ़ाओं समय बचाओ पर ध्यान दे रहा है, समय बचाने की होड़ में सुविधा बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा ठीक नहीं है। मनुष्य को आध्यात्म से जुडे रहना भी आवष्यक है।
28 नवम्बर को शाम 5 बजे से श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा श्री महाकाल प्रवचन हॉल में आध्यात्मिक प्रवचन एवं धर्मोपदेश का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। श्री महाकालेष्वर मंदिर प्रबंध समिति, उज्जैन सभी धर्मप्राण जनता को सपरिवार मित्रजन सहित कार्यक्रम का लाभ लेने एवं अपने मानव जीवन को सार्थक व कृतार्थ करने हेतु सादर आमंत्रित करती है। अगले दिन 29 नवम्बर को पूर्वाह्न 11 बजे पं.सूर्यनारायण व्यास हरसिद्धि धर्मशाला में विद्वत संगोष्ठी का कार्यक्रम करने के बाद इसी दिन दोपहर में उज्जैन से देवास के लिये प्रस्थान करेंगे।

Leave a reply