भस्मारती को चलायमान करने की मांग का विरोध
उज्जैन। महाकाल मंदिर एवं देश के बड़े मंदिरों में आरती के समय चलायमान
व्यवस्था नहीं है। सिंहस्थ में चलायमान व्यवस्था शासन व समिति की मजबूरी
रही होगी लेकिन चलायमान व्यवस्था से कोलाहल होता है, मंत्र बोलने, आरती
करने में परेशानी उत्पन्न होती है, जिससे पुण्यक्षिण होता है तथा
धर्मशास्त्र के मुताबिक आरती को पीठ भी नहीं दी जाती है। सिंहस्थ में
चलायमान आरती का जो दोष हुआ उसका प्रायश्चित मंदिर समिति को करना चाहिये
तथा कतिपय लोग आरती के वक्त चलायमान दर्शन आरती की मांग करते हैं उसका
महाकाल सेना विरोध करती है।
सेना प्रमुख महेश पुजारी ने भस्मारती व्यवस्था की सराहना की है तथा
ऑफलाईन से अधिक से अधिक दर्शनार्थियों को दर्शन प्राप्त होता है तथा
अनुमति लेने में किसी प्रकार की दलाली का भी खंडन करते हुए सेना प्रमुख
ने कहा कि जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिलते है तो वह उसे खट्टा बताकर बदनाम
करती है। छुट भैय्ये नेता जो सनातन धर्म की व्यवस्था को तोड़ने, खंडित
करने तथा धर्म के साथ खिलवाड़ करने की चेष्टा करते हैं, जैसे पूर्व में
कतिपय संत, विद्वत परिषद के विद्वान आदि ने हिंदू पूजा पध्दति पर टिका
टिप्पणी करते हुए धर्म विरोधी मांग की थी उसका हिंदू समाज ने पुरजोर
विरोध कर परंपराओं को स्थापित रखने में अपनी भूमिका निभाई थी। मंदिर
प्रबंध समिति ऐसे तथाकथित मांगों से सावधान रहे।