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गीता अंतिम समय में सुनने के लिए नहीं, आजीवन पढ़ने के लिए है- अनिरूध्द प्रभु



उज्जैन। गीता जीवन के अंतिम समय में सुनने के लिए नहीं बल्कि आजीवन पढ़ने
के लिए है। दैनिक स्वाध्याय में गीता को अवश्य ही पढ़ना चाहिए।
यह आव्हान अनिरुद्ध प्रभु (इस्कॉन मंदिर) ने श्री हरिहरानंद त्यागी
आश्रम, बैकुंठ धाम संत नगर में अखिल विश्व गायत्री और युग गीता स्वाध्याय
मंडल द्वारा आयोजित गीता जयंती समारोह में किया। विशेष अतिथि जे. पी.
विजयवर्गीय ने गीता की अध्यायवार विवेचना की। कवि आनंद एवं बालकृष्ण
शर्मा द्वारा कविता पाठ किया। स्वाध्याय मंडल के वरिष्ठ सदस्य रमेशचंद्र
लेबे का जन्मदिन भी समारोह में मनाया गया। समारोह में भक्तों को प्रसाद
स्वरूप गीता प्रदान की गई। गायत्री परिवार के जे. सी. श्रीवास तथा एम.
एल. रणधबल ने भजन और आरती का गायन किया। संचालन आर.सी. लेवे ने किया तथा
आभार ओ. पी. विश्वप्रेमी ने माना।

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