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आचार्य क्षपणक अपने ज्ञानकर्म को आचरण में उतारकर साहित्य जगत को नई दिशा दी


    उज्जैन । महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ उज्जैन एवं श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में अमृत महोत्सव के अन्तर्गत क्षपणक व्याख्यान का आयोजन श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान चिन्तामन जवासिया में किया गया। क्षपणक व्याख्यान के मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ.तुलसीदास परोहा ने इस अवसर पर कहा कि आचार्य क्षपणक अपने ज्ञानकर्म को आचरण में उतारकर साहित्य जगत को नई दिशा दी। आचार्य क्षपणक शाश्वत सदभाव के लिये समर्पित थे। आचार्य क्षपणक को विभिन्न रूपों कोशकार, वैयाकरण, ज्योतिषी, नीतिज्ञ, पदशास्त्र के महान ज्ञाता आदि के रूप में प्रतिष्ठित किया। क्षपणक के मूलार्थ को प्रतिपादित करते हुए उन्होंने कहा कि क्षपयति विषय संगम क्षपणक अर्थात अपने आचार-विचार से संकीर्ण मनोवृत्ति को जो दूर करे, वह क्षपणक कहलाता है। इस आशय की जानकारी श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के प्रभारी डॉ.पीयूष भार्गव ने दी।
    विक्रम अमृत महोत्सव के अन्तर्गत क्षपणक व्याख्यान के विशिष्ट अतिथि के रूप में शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य डॉ.सदानन्द त्रिपाठी ने क्षपणक को भाषाशास्त्र का महान ज्ञाता एवं अवदान बताया। क्षपणक द्वारा विरचित अनेकार्यय्वनिमंजरी ग्रंथ को शब्द सम्पदा की नीति के रूप में बताया और कोशकारों की परम्परा का भी उल्लेख किया।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय अनुसंधान परम्परा में क्षपणक का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इनके द्वारा विरचित ग्रंथों की सूची प्राप्त है, किन्तु ग्रंथ अप्राप्त हैं। डॉ.पुरोहित ने क्षपणक को महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में अग्रण्य माना है। डॉ.पुरोहित ने इसके लिये अनेक उदाहरण भी प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने क्षपणक एवं महाकाल के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन कर किया गया। अतिथियों का स्वागत शोधपीठ के निदेशक द्वारा किया गया। अन्त में आभार श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण शोध संस्थान के प्रभारी डॉ.पीयूष त्रिपाठी ने किया। व्याख्यानमाला में संस्थान के छात्र, आचार्य तथा शोधपीठ के कर्मचारी उपस्थित थे।

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