व्यंग्य एक जटिल कर्म है- सुशील सिद्धार्थ
उज्जैन। व्यंग्य में विचार महत्वपूर्ण होता है और विचार के अभाव में लेखन की सार्थकता नहीं है। व्यंग्य एक जटिल कर्म है तथा एक सुयोग्य व्यंग्यकार को घटना और अनुभव के बीच अंतर करते आना चहिये। व्यंग्यकार को अपना एक आदर्श रखना चहिये। व्यंग्यकार को कथ्य के नेपथ्य में जाकर शब्दों का संधान करना चहिये।
ये विचार प्रख्यात व्यंग्यकार और संपादक सुशील सिद्धार्थ नई दिल्ली ने साहित्य मंथन के तत्वावधान में व्यंग्यकार डॉ. हरीशकुमार सिंह के व्यंग्य संग्रह पर मुख्य अतिथि के रूप में चर्चा प्रसंग में व्यक्त किये। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. शिव शर्मा ने कहा कि मालवा की मिट्टी में कुछ ऐसा प्रताप है कि यहाँ के व्यंग्यकार शरद जोशी की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। व्यंग्य की चार दिशाएं परसाई, शरद, त्यागी और श्रीलाल शुक्ल हैं और प्रत्येक व्यंग्यकार इन्ही का अनुसरण कर रहा है। विशेष अतिथि प्रख्यात कला समीक्षक अशोक वक्त ने कहा कि मालवा में व्यंग्य प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है और हरीश के व्यंग्य उसी परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं। संग्रह पर चर्चा करते हुए डॉ. बीना चौधरी ने कहा कि इन व्यंग्यों में समाज की तमाम विसंगतियों पर हरीश ने अपनी दृष्टि डाली है और यह संग्रह श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाओं का संग्रह है। व्यंग्यकार डॉ. पिलकेंद्र अरोरा ने कहा कि हरीश के व्यंग्य में नवोन्मेष है तथा उनके व्यंग्य सभी दिशाओं में प्रहार करते हैं। साहित्यकार डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कहा कि व्यंग्य के लिए विसंगतियां अनंतकाल से चली आ रहीं हैं और व्यंग्य के लिए समय कभी अनुकूल नहीं रहा ऐसे में हरीश के व्यंग्य विषय के साथ न्याय करते हैं। प्रख्यात व्यंग्यकार अश्विनीकुमार दुबे ने समकालीन व्यंग्य पर चर्चा करते हुए कहा कि व्यंग्यकार को विषय के लिए नवाचार करते रहना चाहिए जैसा इन व्यंग्य में हरीश ने किया है।
अतिथियों ने व्यंग्य संग्रह ‘डॉ. हरीशकुमार सिंह के चुनिंदा व्यंग्य‘ का लोकार्पण किया। दीप आलोकन और सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ चर्चा प्रसंग की शुरुआत हुई। स्वागत साहित्य मंथन के महासचिव मुकेश जोशी, सुरेन्द्र सर्किट, राहुल भटनागर, रमेशचन्द्र शर्मा, डॉ. क्षमा सिसोदिया, जगदीश ज्वलंत, रतन रायकवार, मृदुल कश्यप, संजय जोशी, योगेश यादव, अनिल कुरेल ने किया। आयोजन में शिव चौरसिया, श्रीराम दवे, संदीप सृजन, डॉ अभिलाषा शर्मा, डॉ. उर्मी शर्मा, डॉ. प्रतिभा शर्मा, गड़बड़ नागर, राजेंद्र देवधरे, मुकेश व्यास, राकेश उपाध्याय, विनोद जुआरिया सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित रहे। संचालन डॉ. हरीशकुमार सिंह ने किया और आभार अशोक भाटी ने माना।