जितना बन पड़े देश व समाज के हित में कार्य करना चाहिए
महारानी लक्ष्मी बाई की जयंती पर आदिवासी कन्या छात्रावास में वक्ताओं ने कहा
उज्जैन । जितना बन पड़े देश व समाज के हित में कार्य करना चाहिए। इससे न केवल सभी का हित होता है वरन स्वयं को भी आनंद की प्राप्ति होती है। महारानी लक्ष्मीबाई ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। आज हम सब देशवासी उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
सेवा भारती द्वारा संचालित आदिवासी कन्या छात्रावास में 19 नवंबर को महारानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने ये विचार प्रकट किए।
समाज सेवी एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री बीके कुमावत ने अपना जन्मदिन कन्याओं के बीच मनाया। उन्होंने बताया कि वे प्रतिवर्ष इन्हीं आदिवासी बच्चों के बीच महान देशभक्त महारानी लक्षमीबाई के जन्मदिन के साथ अपना जन्मदिन मानते हैं। वे प्रतिवर्ष अपनी मां का श्राद्ध भी इन्ही बच्चियों के बीच करते हैं। यहां बच्चियों को भोजन कराकर तथा उनके बीच जन्मदिन मना कर उन्हें आत्मिक शांति प्राप्त होती है। विगत 5 वर्षों से वे यहां अपना जन्मदिन मना रहे हैं।
इस अवसर पर प्रमुख वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व संभागायुक्त डॉक्टर मोहन गुप्त ने कहा कि मनुष्य की मूल प्रकृति सेवा और प्रेम की है। उसे सेवा से विशेष आनंद की प्राप्ति होती है। वह सबके साथ रहना चाहता है, सबको सहयोग करना चाहता है एवं सबका सहयोग चाहता है। उन्होंने कहा कि आज भी समाज में बहुत अच्छाई व्याप्त है। शास्त्र बताते हैं कि 7 लोग धरती को धारण किए हुए हैं 'सप्तभिर धार्यते महि' । इनमें गाय, ज्ञानी व्यक्ति, तेजस्वी स्त्रियां, दानवीर व्यक्ति, वैदिक ज्ञान, सत्यवादी एवं निर्मोही व्यक्ति शामिल है।
कार्यक्रम में डॉ शिव चौरसिया, डॉक्टर चौधरी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।कार्यक्रम में श्रीमती स्नेहलता श्याम सुंदर निगम, श्री पाटीदार आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के शुभारंभ में मां सरस्वती एवं महारानी लक्ष्मी बाई के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण किया गया। छात्रावास की बालिकाओं ने गीता के बारहवें अध्याय का सस्वर पाठ किया, जिसे सभी ने बहुत सराहा।