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गोकुल महोत्सव के प्रथम चरण में जिले में 677 ग्रामो में घर जाकर पशुओं का उपचार किया गया


 

उज्जैन  ।जिले में गोकुल महोत्सव कब प्रथम चरण में 28 अक्टूबर से 30 नवंबर तक जिलेवार जिले में ग्रामवार
पशु चिकित्सा शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।  इन शिविरों के तहत पशुओं का उपचार ,पशु बधियाकरण बछड़ों और  बछियो को
कृमि  नाशक दवाएं पिलाना तथा टीकाकरण का कार्यक्रम चल रहा है।
उप  संचालक पशु चिकित्सा डॉ  एच वी त्रिवेदी ने यह जानकारी देते बताया कि गोकुल महोत्सव के दौरान जिले में अब तक
2लाख 76 हजार  पशुओं को मुंह पका रोग नियंत्रण के लिए टीकाकरण किया गया है ।इसी तरह घर घर जाकर पशुओं का उपचार करने
के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 677 गांव में पशु चिकित्सा विभाग की टीम जा चुकी है और अब तक लगभग 2 लाख 30 हजार
पशुओं   का उपचार किया गया  है। इसी तरह पशु चिकित्सको द्वारा 75 हजार बछड़ों एवं बछियो  को कृमिनाशक दवा पिलाकर उनको
रोग मुक्त किया गया है ।पशुपालन विभाग द्वारा जिले  में गोकुल महोत्सव आयोजित किया जा रहा है । इस महोत्सव का उद्देश्य
पशुओं को उनके क्षेत्र में जाकर पशु चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। पशुओं को विभिन्न बीमारियों से बचाव हेतु , बीमारियों का
प्रतिबंधात्मक टीकाकरण करना ,नस्ल सुधार के उद्देश्य ग्राम से सांडो का बधियाकरण करना तथा गाय भैंस में बांझपन के निवारण
हेतु उपचार करना है। ग्राम के पशुओं को कृमि नाशक औषधि या देकर कमी से होने वाले नुकसान से बचाव करना एवं पशुपालकों को
विभागीय गतिविधियों एवं योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराना है। उज्जैन जिले में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं तथा आने वाले
समय में इसी तरह के शिविर आयोजित होंगे।

गोकुल महोत्सव की गतिविधियां

गोकुल महोत्सव के अन्तर्गत जिले के सभी ग्रामों में पशु चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इसके
तहत शिविर में आने वाले रोगग्रस्त सभी प्रकार के छोटे-बड़े पशु-पक्षियों आदि को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
रोगों से ग्रस्त पशुओं का इलाज किया जाता है तथा बांझपन निवारण हेतु चिकित्सा प्रदान की जाती है। पशुओं की छोटी
व्याधियों को दूर करने के लिये लघु शल्यक्रियाएं भी की जा रही हैं। शिविर में विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाव हेतु टीका
लगाने का कार्य हो रहा है। इसके अन्तर्गत एचएस, बीयू, एफएमडी, पीपीआर एवं रेबिज के टीके लगाये जा रहे हैं। नस्ल
सुधार हेतु छोटे-बड़े पशुओं का परीक्षण कर बधियाकरण का कार्य किया जा रहा है। इससे नस्ल सुधार में सहायता मिलती है।
शिविर में आने वाले पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान का कार्य भी हो रहा है। दवाएं नि:शुल्क दी जा रही है तथा शिविर में न आने
वाले पशुओं का भी घर-घर जाकर परीक्षण किया जा रहा है। इसी के साथ विभागीय हितग्राहीमूलक योजनाओं से भी पात्रता
अनुसार हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है। पशुपालकों में जागरूकता लाने हेतु उन्नत पशुपालन, पशु प्रबंधन, चारा
संरक्षण, संतुलित आहार, चारे अथवा भूरे का यूरिया से उपचार एवं स्टॉल फिडिंग की जानकारी से पशु पालकों को अवगत
कराया जा रहा है।

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