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कार्तिक अगहन मास की आखरी सवारी निकाली गई भक्तों ने किये भगवान श्री महाकाल के चन्द्रमोलेष्वर स्वरूप के दर्शन


उज्जैन । सदाशिव भगवान श्री महाकालेष्वर की कार्तिक-अगहन मास की चैथी व आखरी सवारी श्रावण मास में निकाली जाने वाली शाही सवारी की तरह हीं आज सोमवार 13 नवंबर को शाम 4 बजे परम्परानुसार एवं पूर्ण गरिमामय तरीके से निकाली गई। श्रावण मास की तरह ही कार्तिक अगहन मास की शाही सवारी निकली परंतु अगहन मास की सवारी में केवल भगवान महाकाल की पालकी ही निकली अन्य विग्रह (मुखौटे) आदि नहीं निकाले गये। सवारी निकलने के पूर्व सभामंडप में भगवान महाकाल का पूजन- अर्चन किया गया। पूजन-अर्चन में ए.डी.जी.पी. श्री व्ही. मधुकुमार, मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य श्री प्रदीप पुजारी, श्री जगदीष शुक्ला, प्रषासक श्री प्रदीप सोनी, पूर्व प्रषासक एवं संयुक्त कलेक्टर श्री रजनीष कसेरा, पूर्व प्रषासक श्री आनंदीलाल जोषी, सहायक प्रषासक सुश्री प्रीति चैहान, सहायक प्रषासनिक अधिकारी श्री एस.पी. दीक्षित, श्रीमती सरोज अग्रवाल आदि उपस्थित थे। सभामंडप में पूजा-अर्चना पं. आषीष पुजारी ने संपन्न कराई। पूूजा-अर्चना के बाद सवारी जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंची वहाॅ पर पालकी में विराजित भगवान महाकाल को सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने सलामी दी।
श्रावण -भादों मास की तरह कार्तिक -अगहन मास की शाही सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होकर श्री महाकाल रोड, गुदरी चैराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट पहुंची। रामघाट पर भगवान महाकाल का क्षिप्रा के जल से अभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। पूजन- अर्चन करने के पश्चात परंपरागत मार्ग से सवारी गणगौर दरवाजा के रास्ते होकर, मोढ़ की धर्मशाला होकर कार्तिक चैक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढ़ाबा रोड, टंकी चैराहा, मिर्जा नईमबेग मार्ग, तेलीवाडा चैराहा, कंठाल, सतीगेट, सराफा, छत्रीचैक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चैराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुॅंची।
शाही सवारी में तोपची तोप छोडते हुए नगर वासियों को राजाधिराज भगवान महाकाल के नगर भ्रमण की सूचना देते हुए चल रहे थे। उसके बाद घुड़सवार, सषस्त्र पुलिस बल  के जवान, बैंड, भजन मंडलियाॅ सवारी में शामिल हुई। सवारी में मंदिर के पुजारी/पुरोहित के अलावा भक्तजन आदि साथ चल रहे थे। 

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