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कालिदास की रचनाएं काव्य को सत्य तक व सत्य को शिव तक ले जाती हैं



कालिदास समारोह पूरे भारत की कला-संस्कृति की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति –प्रो.शास्त्री
सात दिवसीय अ.भा.कालिदास समारोह का समापन और पुरस्कार वितरण आयोजित
    उज्जैन । मध्य प्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, कालिदास संस्कृत अकादमी और मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित किये गये सात दिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह का सोमवार को समापन हुआ। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला पुरस्कार तथा विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं का पुरस्कार वितरण भी अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नईदिल्ली के आचार्य प्रो.परमेश्वर नारायण शास्त्री थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र के सांसद प्रो.चिन्तामणि मालवीय मौजूद थे।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री दिवाकर नातू ने की। अतिथियों द्वारा पं.सूर्यनारायण व्यास और कालिदास के चित्र के समक्ष दीप दीपन और माल्यार्पण कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया गया। इसके पश्चात शासकीय संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा नान्दीपाठ एवं कीर्तिगान किया गया। स्वागत भाषण विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ.एचपी सिंह द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा कि विश्व साहित्य में कालिदास का नाम विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है। महाकवि कालिदास साहित्य के सभी पक्षों के कोष हैं। वर्तमान युग में भी उनकी रचनाएं प्रासंगिक हैं और सम्पूर्ण विश्व के साहित्य से जुड़े लोगों में वे बहुत महत्वपूर्ण स्थान पर हैं।
    स्वागत भाषण के पश्चात कालिदास अकादमी के निदेशक श्री आनन्द सिन्हा द्वारा समारोह का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने सात दिवसीय समारोह के दौरान आयोजित किये गये। सारस्वत आयोजन, व्याख्यानमाला और सांस्कृतिक कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कार्यक्रमों के अलावा समारोह के दौरान दुर्लभ वाद्ययंत्रों और प्राचीन सिक्कों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।
    प्रो.पीएन शास्त्री ने अपना उद्बोधन समापन समारोह में संस्कृत में दिया। उन्होंने कहा कि महाकवि कालिदास ने अपने सभी प्रमुख ग्रंथों की रचना संस्कृत में की। परन्तु उनकी भाषा सहज और सरल होती है, जिससे उनकी रचनाएं आमजन को भी आसानी से समझ में आयें। संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा में से एक है। इससे कई अन्य भाषाओं का जन्म भी हुआ है, इसलिये यह सबकी माता के समान है। उन्होंने कहा कि मेरा विश्वास है कि महाकवि कालिदास के नगर में रहने वाले आमजन संस्कृत और उसके महत्व से भलीभांति परिचित होंगे, इसलिये उन्होंने अपना भाषण संस्कृत में देने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि विश्वविख्यात विश्वकवि कालिदास को मैं नमन करता हूं। अखिल भारतीय कालिदास समारोह में विभिन्न कोनों से कलाकार आते हैं और विभिन्न संस्कृतियों का इस समारोह के दौरान मिलन होता है। हमारी संस्कृति को पूरे विश्व से परिचय कराने का कालिदास समारोह एक श्रेष्ठ मंच है। यहां आयोजित होने वाले व्याख्यानमालाओं से संस्कृत और हिन्दी साहित्य की गरिमा और भी बढ़ती है। इस तरह के महत्वपूर्ण आयोजन करने वाला मध्य प्रदेश देश का प्रथम राज्य है। प्रो.शास्त्री ने कहा कि यह समारोह भविष्य में और भव्यता प्राप्त करे, यही उनकी शुभकामनाएं हैं।
    सांसद प्रो.चिन्तामणि मालवीय ने समापन समारोह में कहा कि किसी भी समारोह के समापन पर मन उदास जरूर होता है, लेकिन हम सबको गर्व है कि हम इस तरह के अखिल भारतीय समारोह आयोजित करते हैं, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आये विश्वविख्यात कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। विगत सात दिनों में यहां उत्कृष्ट श्रेणी के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। यह समारोह हम सबके लिये गौरव और प्रतिष्ठा का विषय है। उज्जैन की ख्याति और विशिष्ट छवि पूरी दुनिया में इस समारोह के कारण बनी है और निरन्तर फैलती जा रही है। आज शास्त्रीय संगीत और नृत्यकला से जुड़ा प्रत्येक कलाकार चाहता है कि वह इस समारोह में आकर प्रस्तुति दे। आने वाले वर्षों में इस समारोह को और भव्य और उच्चतम स्तर तक ले जाने का प्रयास किया जायेगा। पं.सूर्यनारायण व्यास हमारी श्रद्धा के पात्र हैं कि उन्होंने इस समारोह का शुभारम्भ किया। कालिदास की रचनाओं में काव्य को सत्य तक और फिर सत्य को शिव तक ले जाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने अपनी ओर से समारोह के सफल आयोजन हेतु सभी को बधाई दी।
    अध्यक्षीय भाषण देते हुए श्री दिवाकर नातू ने कहा कि उज्जैन की जनता को महाकवि कालिदास को अपना मानकर उनसे जुड़ाव और लगाव उत्पन्न करना होगा। किसी भी समारोह के गरिमापूर्ण आयोजन की जिम्मेदारी स्थानीय नागरिकों की भी होती है। हमें महाकवि कालिदास और उनकी ख्याति को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिये मिलकर प्रयास करना होगा, तभी हम भविष्य में इस तरह के आयोजन प्रतिवर्ष कर सकेंगे। कार्यक्रम का संचालन कालिदास समिति के सचिव प्रो.बालकृष्ण शर्मा ने संस्कृत भाषा में किया। इस अवसर पर आयुक्त नगर निगम डॉ.विजय कुमार जे. भी मौजूद थे।
    उद्बोधन के पश्चात अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अन्तर्गत आयोजित किये गये विभिन्न कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं का पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया। इसमें अतिथियों द्वारा विजेताओं को शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह और प्रमाण-पत्र वितरित किये गये। प्रोत्साहन पुरस्कार भी प्रदाय किये गये। विक्रम कालिदास पुरस्कार के अन्तर्गत पांच लोगों को      50 हजार रूपये की राशि, स्मृति चिन्ह और प्रमाण-पत्र भेंट किये गये। इसके अलावा अन्तर्विश्वविद्यालयी संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता, अन्तर्महाविद्यालयी कालिदास काव्यपाठ प्रतियोगिता, हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता, संभाग स्तरीय उमावि, माध्यमिक विद्यालयी और प्राथमिक विद्यालयी स्तर पर भाषण और श्लोकपाठ प्रतियोगिता तथा चित्रकला प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार विजेताओं को प्रदाय किया गया। इसके अलावा प्रोत्साहन पुरस्कार भी वितरित किये गये। अन्त में आभार श्री संतोष पण्ड्या ने व्यक्त किया।

 

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