"शिव स्तुति" से प्रारंभ हुई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बेला
उज्जैन @ सात दिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह के तीसरे दिन गुरुवार की शाम को आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत उज्जैन की कथक नृत्यांगना सुश्री अरुणा सिंह एवं उनके दल द्वारा "शिव स्तुति" से की गई |
उल्लेखनीय है कि सुश्री अरुणा सिंह लखनऊ घराने की कथक नृत्यांगना है और उन्होंने पंडित बिरजू महाराज के बड़े सुपुत्र पंडित जय किशन महाराज से लखनऊ घराने की तालीम ली | उन्होंने शिव स्तुति के पश्चात लखनऊ घराने के पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी जिसमें तीन ताल में नृत्य पक्ष प्रस्तुत किया | नृत्य में लखनऊ घराने की पारंपरिक बंदिशों त्रीपल्ली और फरमाइशी आदि प्रस्तुत की | अंत में कथक के माध्यम से दशावतार प्रस्तुत किया | इनकी संगत तबले पर डॉक्टर प्रद्युम्न उद्धव, गायन में श्री लोकेंद्र सिंह, सितार पर श्री मनोज बावरा, हारमोनियम पर श्री राजेंद्र नागले, और पढ़ंत पर सुश्री पूजा कोढंपे ने की |
इसके पश्चात वाराणसी के श्री व्योमेश शुक्ल के निर्देशन में महाकवि भास के कालजई संस्कृत नाटक पंचरात्रम की हिंदी प्रतिकृति का मंचन किया गया | इस नाट्य में अत्यंत रोचक तरीके से दर्शाया गया कि कैसे दुर्योधन द्रोणाचार्य और भीष्म के समक्ष शर्त रखता है की यदि वह पांच रातों में पांडवों का पता लगा लें तो वह पांडवों को अपना आधा राज्य सौंप देगा | द्रोणाचार्य और भीष्म किस प्रकार पांडवों को अज्ञातवास से बाहर लाते हैं, और किस प्रकार उन्हें कौरवों के समक्ष लाते हैं | गौरतलब है कि यह अनुपम नाटक महाभारत से लिया गया है लेकिन इसका अंत भाईचारे और शांति के छोर पर संपन्न होता है |
नाटक की परिकल्पना धीरेंद्र मोहन और संगीत आशीष मिश्रा ने दिया | दुर्योधन का किरदार स्वाति, द्रोणाचार्य का किरदार नंदिनी, विभीषण का किरदार काजोल, अर्जुन का किरदार तापस और शकुनि का किरदार जय ने निभाया | कला प्रेमी दर्शकों ने शास्त्रीय नृत्य और नाटक से भाव विभोर होकर मनोरंजन किया |