अखिल भारतीय कालिदास समारोह के दूसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजी शाम
उज्जैन @ सात दिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह के दूसरे दिन बुधवार की शाम कालिदास संस्कृत अकादमी के भरत विशाला मंच पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। शास्त्रीय गायन और भरत नाट्यम शैली की शाकुंतलम नृत्य नाटिका ने कलाप्रेमी दर्शकों का मन मोह लिया। सर्वप्रथम उज्जैन की सुश्री अर्चना तिवारी एवं उनके दल ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। तबले पर उनकी संगत पंडित माधव तिवारी, हार्मोनियम पर संगत डॉ. रोहित चावरे और तानपुरा पर संगत कुमारी नेहा तिवारी तथा रोशनी अरोरा ने की। शास्त्रीय गायन में सर्वप्रथम राग गौरख कल्याण ताल विलंबित एक ताल में निबद्ध बड़ा खयाल प्रस्तुत किया गया, जिसके बोल ‘कैसे धीर धरू नाथ तुमरे बिन’ थे। इसके पश्चात ‘छोटा खयाल’ राग गौरख कलमाण ताल तीन ताल मध्य लय में प्रस्तुत किया गया, जिसके बोल घर सौं निकलीं भरण पनिया’ थे। शास्त्रीय गायन की कड़ी में इसके बाद तराना ‘दानी दिय तनन देरे ना’ की प्रस्तुति मध्य लय तीन ताल में की गई। इसके पश्चात ताल कहरवा में ठूमरी सकल बृज धूममयी हहारे’ प्रस्तुत की गई।
शास्त्रीय गायन की आकर्षक प्रस्तुति के बाद नई दिल्ली से आयी सुश्री एस कनका के निर्देशन में उनके दल द्वारा माहाकवि कालिदास रचित महाकाव्य अभिज्ञान शाकुंतलम पर भरत नाट्यम शैली पर आधारित ‘शाकुंतलम’ नृत्य नाटिका का मंचन किया गया। इस संपूर्ण नृत्य नाटिका की प्रस्तुति 10 दृश्यों में की गई। जिसका सभी दर्शकगणों ने आनंद लिया। नाटिका में शकुतला का किरदार पवित्रा सैल्वम, दुश्यंत का किरदार सोहेल खान, प्रियंवदा का किरदार, मेत्रैई मांगू और अनुसूईया का किरदार मेघा मोहन दास ने निभाया। ध्वनि संचालन कृष्णा कुमारी ने किया और मंच का प्रबंधन श्रीकांत और स्वामी नाथन ने किया।