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आचार्यश्री के उपकार से ही धर्म को जान सके मालवावासी


उज्जैन। श्री ऋषभदेव छगनीराम जैन मंदिर पेढ़ी संस्थापक आचार्य देवेशचंद्र सागर सूरीजी मसा की जन्म जयंती पर मंगलवार सुबह 9.30 बजे से खाराकुआं जैन मंदिर पर गुणानुवाद सभा हुई। गच्छाधिपति आचार्य दौलत सागर सूरी व आचार्य नंदिवर्धन सागर सूरी महाराज की निश्रा में आचार्य हर्ष सागर सूरी महाराज ने बताया कि यहाँ विराजे गच्छाधिपति आचार्य चंद्रसागर सूरी की निश्रा में 22 साल तक संयम जीवन में रहे। उनके साथ के कई अनुभव उन्हें याद है। यदि चंद्रसागर सूरी मालवा क्षेत्र के जैन संघो में विचरण नहीं करते तो मालवावासी जैन धर्म को जान ही नहीं पाते। आज हम सब इस उपलक्ष्य में इतनी उपस्थिति में बैठे हैं यह उपकार भी आचार्यश्री का ही है जिन्होंने चतुर्विघ संघ को धर्म आराधना तप से जोड़कर आगामी पीढ़ियों को भी सुरक्षित किया। इसके पहले आचार्यश्री के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर वास्तक्षेप पूजन किया गया। 

       गुणानुवाद सभा में आचार्य हर्षसागर सूरी महाराज ने समाजजनों को प्रेरणा दी कि हम नित्य प्रभु के दर्शन पूजन आरती में शामिल हो। हम ऐसा करेंगे तो ही आने वाली पीढ़ी भी धर्म आराधना उसे जुड़ पाएगी। जन्म जयंती पर आचार्य चंद्र सागर सूरी को यही सच्ची भावांजलि होगी कि हम नित्य प्रभु भक्ति से जुड़े। पेडी ट्रस्ट अध्यक्ष महेंद्र सिरोलिया व सचिव जयंतीलाल तेलवाला के अनुसार जन्म जयंती के अवसर पर खाराकुआं मंदिर में स्थित गुरु मंदिर पर फूलों से आकर्षक सजावट की गई व विशिष्ट गुरुपूजन हुआ। सभा में डॉ. पारस मारू, संजय जैन ज्वेलर्स, तेजकुमार सिरोलिया, संतोष सर्राफ, अशोक भंडारी, प्रकाश नाहर, कांतिलाल संघवी, दिलीप सिरोलिया, राजेश डगवाला, सुभाष कोठारी, अभय सिरोलिया, रमेश बोहरा, प्रसन्न जैन, राजेश पटनी, राकेश नाहटा, अनिल कंकरेचा, अनुपम जैन आदि मौजूद रहे। संचालन राहुल कटारिया ने किया। आभार आष्टा से आये प्रभात धारीवाल ने माना।

इस अवसर पर आष्टा निवासी 29 वर्षीय भावनाबेन धारीवाल की जैन दीक्षा का मुहूर्त भी प्रदान किया गया। आष्टा श्रीसंघ व परिवारजनों की मौजूदगी में आचार्यश्री ने भावना की दीक्षा के लिए 14 मार्च 2018 की तारीख का मुहूर्त प्रदान किया। आष्टा नगर में यह दीक्षा महोत्सव आयोजित होगा और मुमुक्षु  भावना सांसारिक सुखों का त्याग कर साध्वी दीक्षा ग्रहण करेंगी। पेढ़ी ट्रस्ट की ओर से उनका व पिताजी वीरेंद्र धारीवाल, दादी प्रेमा बेन धारीवाल व अन्य परिजनों का शाल श्रीफल से बहुमान किया। इससे पहले अष्टमंगल मंजूषा के चढ़ावे भी बोले गए।

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