कथक महा उत्सव की अंतिम संध्या पर जयपुर और बनारस घराने के गुंज उठे घुंघरू
उज्जैन। भारत सरकार के कथक केन्द्र नई दिल्ली की संगीत नाटक अकादमी की घटक इकाई और प्रतिभा संगीत कला संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले चार दिवसीय कथक महाउत्सव 2017 की चौथी व अंतिम संध्या में जहां कथक की नृत्यांगनाओं ने मंच पर तबले की ताल की बड़ती लय के साथ अपने पैरों में बंधे घुंघरुओं की खनक से थाट, आमद टुकड़े, चक्कर, तिहाईयां वरन छोटे तिहायों की आदाकारी प्रस्तुत की। संस्थान की निदेशक प्रतिभा रघुवंशी ने बताया की कार्यक्रम की शुरुआत कथक केन्द्र दिल्ली के निदेशक बीबी चुग, जयपुर घराने के प्रसिद्ध गुरु राजेन्द्र गंगानी, जर्मनी से आई दुर्गा आर्य, पंडित श्रीधर व्यास जी ने मां सरस्वती और नटराज के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर की। कार्यक्रम का संचालन पद्मजा रघुवंशी ने किया। आभार प्रतिभा संगीत कला संस्थान की निदेशक प्रतिभा रघुवंशी ने माना। महा कथक उत्सव 2017 की आखरी संध्या की शुरूआत में जर्मनी से भारत आई वरिष्ठ नृत्यांगना दुर्गा आर्य ने अपने गुरु पं बिरजु महाराज के बनारस घराने की प्रस्तुति दी। कथक के इस महा उत्सव में महाकाल की नगरी में सबसे पहले काल को नमन करते हुए आपने शिव वंदना की प्रस्तुति दी। इसके बाद आपने तीन ताल कुछ बंदिशे, धमार, आदि से मंत्रमुग्ध कर दिया। भगवान श्री कृष्ण की शिक्षण स्थली में श्री कृष्ण की नटखट लीलाओं पर भाव अभिनय प्रस्तुत किया तो सभा गृह में बैठे श्रोता थीरक उठे। जैसे ही बांजी रे बंसी सुहाई मन भाई.. रिझाई रे.. सखी रे बांजी रे बंसी सुहाई.... का भाव अभिनय सामने आता गया, वैसे वैसे श्रोता मंत्रमुग्ध होते चलते गए। श्री कृष्ण लीलाओं के साथ आपने आगे ताल धमार और तीन ताल में कुछ बंदिशे प्रस्तुत की। सुर ताल के साथ दिखी कदमों की जुगलबंदी तबले के साथ जुगलबंधी हो या अमध तोड़े तुकड़े या फिर चक्कर उनके सधे कदम और नृत्य पर गहरी पकड़। कहते है की गुरु तो गुरु ही होता है, इसका न कोई पर्यावाची शब्द न बना है और न ही इनकी जगह कोई ओर लेगा, यह सब महाकथक उत्सव 2017 की आखरी संध्या पर नजर आया। देश भर में लाखों शिष्यों को कथक की शिक्षा दे रहे जयपुर घराने के प्रसिद्ध कथक नर्तक गुरु राजेन्द्र ने भोलेनाथ को समर्पित बंदिश प्रस्तुत की क्योकि नटराज की आराधना के बिना बात नही बन सकती इसे लेकर अपने डमरू हर कर बाजे त्रिशूल धार भस्म रामत की प्रस्तुति दी। इसके बाद अपने तीन ताल में बंदिशे गुरुओ की रचनाएं वागेश्वरी में छंद प्रस्तुत किया। इसके बाद आने द्रुत के साथ से तीन ताल से प्रस्तुति का समापन किया। इसके पूर्व केंद्र के कलाकारों ने ग्रुप में शिव स्तुति के प्रस्तुति दी। इसके बाद अपने तलायन की प्रस्तुति दी प्रस्तुति में विश्व दीप, मुकेश गंगानी, जया भट, शिप्रा जोशी की प्रस्तुति से सभाग्रह गूंज उठा गंगानी की प्रस्तुति में नजर आया।