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नानाजी देशमुख जी की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर ग्राम्य विकास और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय स्तर पर मंथन हुआ


नानाजी देशमुख जी की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर ग्राम्य विकास और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय स्तर पर मंथन हुआ, इसमें देश भर से 400 से अधिक ग्रामीण क्षेत्र के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं.

नानाजी का ऐसा व्यक्तित्व था जो कि राजनीति में सक्रिय होते हुए अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया और कहा कि राजनीति में सक्रिय व्यक्ति को 60 वर्ष की आयु के पश्चात् राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए तथा अपना शेष जीवन देश की जनता के हित में समर्पित कर देना चाहिए.

नानाजी का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों ही बड़े प्रेरणास्पद हैं.

नानाजी ने अपनी 60 वर्ष  की आयु के पश्चात् राजनीति की चकाचोंध त्याग कर अपने आप को ग्राम सुधार और ग्राम विकास के लिए समर्पित कर दिया.

नानाजी देशमुख एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने चिंतन, मंथन और कल्पना भी की, लेकिन सिर्फ कल्पना ही नहीं की उस कल्पना को धरती पर मूर्त रूप देने का काम भी किया, जो आज चित्रकूट, गौडा, वीड जैसे प्रकल्प साक्षात उदहारण हैं.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहा है कि हमें एकांकी विचार नहीं बल्कि समुच्य विचार करना चाहिए, अगर यह हुआ होता तो गांव समस्या मुक्त हो जाते.

अगर गांव को गरीबी मुक्त, बीमारी मुक्त, शिक्षित और स्वावलम्बी बनाना है, तो गांव के व्यक्ति को प्रतिष्ठा देनी होगी, इसलिए सरकार से साथ सारे समाज को इस काम में लगना होगा.

प्रधानमंत्री जी के स्वप्न का नया भारत बनाना है तो सबसे पहले गांव को गरीबी से मुक्त करना होगा.

गांव को गरीबी से मुक्त करने के लिए गांव के स्वाभिमान को जगाने की आवश्यकता है.

इसके लिए प्रेरणा, प्रेरक, प्रशिक्षण, परिश्रम और प्रौद्योगिकी चाहिए.

यदि हम समुच्य विचार करेंगे तभी हम नानाजी देशमुख, महात्मा गाँधी जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का भारत बनाने में सफल रहेंगे और हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नए भारत निर्माण को मूर्त रूप देने में योगदान करने में सक्षम होंगे.

 

 

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