डॉ.मोहन गुप्त के जन्म दिवस के अवसर पर वरिष्ठजनों का सम्मान समारोह आयोजित
उज्जैन । वृद्धजनों का ज्ञान सदैव नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करता है। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं संस्कृत साहित्य के विद्वान डॉ.मोहन गुप्त द्वारा अपने जन्म दिवस के अवसर पर शहर के वृद्धजनों का सम्मान समारोह रखकर निश्चित ही एक नई पहल की गई है। संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने यह बात अन्तर्राष्ट्रीय वरिष्ठजन दिवस की पृष्ठभूमि में महाश्वेता नगर में आयोजित वरिष्ठजन सम्मान समारोह के अवसर पर कही। इस अवसर पर संयुक्त आयुक्त श्री प्रतीक सोनवलकर सहित नगर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं सांस्कृतिक मनीषी मौजूद थे।
11 वरिष्ठजनों का सम्मान उनके परिजनों से करवाया गया
सेवा निवृत्त आइएएस अधिकारी एवं उज्जैन संभाग के पूर्व संभागायुक्त डॉ.मोहन गुप्त के जन्म दिवस पर आयोजित समारोह में उज्जैन शहर के एवं अन्य शहरों के कुल 11 वरिष्ठजनों का सम्मान किया गया। यह सम्मान वरिष्ठजनों के स्वयं के परिवार के लोगों द्वारा शाल एवं श्रीफल भेंटकर करवाया गया। जिन विभूतियों का सम्मान इस अवसर पर किया गया, उनमें सर्वश्री रमेशचन्द्र गुप्ता, पं.श्रीधर व्यास, श्रीमती पूनम व्यास, श्री माखनलाल गोयल, डॉ.शिव चौरसिया, डॉ.हरीश प्रधान, डॉ.केदारनाथ शुक्ल, श्री सुरेश उपाध्याय, श्री राधेश्याम शर्मा व श्री गोविन्दनारायण शुक्ला शामिल हैं। कार्यक्रम के आरम्भ में डॉ.मोहन गुप्त का सम्मान उनके पुत्र श्री पंकज मित्तल एवं परिवार के लोगों द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री राजेन्द्र व्यास ने कविता पाठ किया।
समाज में जो बड़ा है, वहीं सबसे ज्यादा जिम्मेदार है
डॉ.मोहन गुप्त ने इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में जो बड़ा है, वह सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है। पीढ़ियों में अन्तर बढ़ता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए बुजुर्गों व उनके परिजनों को आपस में मिलाने के लिये इस आयोजन की पहल की गई है। उन्होंने कहा कि यहां सभा में मौजूद सभी व्यक्ति उदभट विद्वान हैं और अपने आप में एक संस्था हैं। डॉ.गुप्त ने कहा कि वह बुजुर्ग बुजुर्ग नहीं है जो धर्म की बात न करे और वह सभा सभा नहीं है जिसमें बुजुर्ग नहीं हो। विद्वानों में पराजय सहने की क्षमता होना चाहिये, तभी वे नई पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकेंगे।
ये पल अविस्मरणीय रहेंगे
संस्कृति और संस्कृति के समाराधक डॉ.मोहन गुप्त ने अपना जन्म दिवस वृद्धजन सम्मान एवं संवाद दिवस के रूप में मनाया। यह अपने तरीके का अनूठा अवसर था, जब उन्होंने अपने साथ कई वरिष्ठनों का सम्मान उनके परिजनों से करवाते हुए बुजुर्ग और नई पीढ़ी के मध्य संवाद संभव किया। उनका कहना है कि नई पीढ़ी वृद्धजनों का सम्मान तो करे, लेकिन बुजुर्गजन भी नई पीढ़ी पर विश्वास करे। दोनों की आपसदारी के बिना समाज की गतिमयता संभव नहीं है।
कार्यक्रम में 11 बुजुर्गों का सम्मान उनके परिजनों द्वारा किया गया। इस सम्मान समारोह में लगभग सभी बुजुर्ग भावुक हो गये एवं उन्होंने एक स्वर में स्वीकारा कि यह पल उनके लिये अविस्मरणीय रहेंगे। वरिष्ठजन श्री रमेशचन्द्र गुप्ता का सम्मान उनके परिजनों द्वारा करने पर वे अभिभूत हो गये। उनकी बेटी ने कविता पढ़ते हुए कहा कि कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता। सारी बातों को अपने में रखते हुए खुला आसमान हैं पिता। जाने-माने संगीतकार पं.श्रीधर व्यास ने कहा कि यूं तो बहुत सम्मान हुआ है पर आज जिस तरह से सम्मानित हुआ हूं, वह अपने आप में यादगार पल है। नृत्यांगना श्रीमती पूनम व्यास ने कहा कि उन्हें सदैव डॉ.मोहन गुप्त का मार्गदर्शन मिलता रहा है। डॉ.शिव चौरसिया ने कहा कि विद्या के कारण जो विनय डॉ.मोहन गुप्त को मिला है, उसी के फलस्वरूप उन्होंने अपने जन्मदिन पर दूसरों को सम्मान देना उचित समझा है। बड़ा व्यक्ति वही होता है जो दूसरों का सम्मान करता है। इसी तरह के उद्गार डॉ.हरीश प्रधान, श्री केदारनाथ शुक्ल, श्री सुरेश उपाध्याय व श्री राधेश्याम शर्मा द्वारा प्रकट किये गये। डॉ.एसएल पारख ने कहा कि डॉ.मोहन गुप्त सरस्वती पुत्र हैं एवं उनके हृदय में शिवभक्ति बसती है।
कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक संस्था जीवन उद्घोष द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन जयपुर से आये संस्था के अध्यक्ष श्री प्रकाश व्यास एवं सचिव श्री पंकज मित्तल द्वारा किया गया। इस अवसर पर शहर के लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार, पत्रकार एवं विद्वतजन मौजूद थे।