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नये दुग्ध मार्गों को चिन्हांकित करें दुग्ध समितियों से अपात्र व्यक्तियों को हटाया जाये



कृषि उत्पादन आयुक्त ने संभागीय समीक्षा बैठक में दिये निर्देश
    उज्जैन । शासन द्वारा दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा नवीन दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है। इसके तहत कलेक्टर्स अपने जिलों में नये दुग्ध मार्गों को चिन्हांकित करें। पूर्व से गठित दुग्ध सहकारी समितियों के अपात्र सदस्यों को हटाया जाये। यह निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पीसी मीना ने संभागीय समीक्षा बैठक में दिये। उज्जैन में आयोजित इस बैठक के द्वितीय सत्र में मत्स्य उत्पादन तथा पशुपालन विभागों की समीक्षा की गई। इनसे जुड़े नवीन प्रावधानों और योजनाओं से बैठक में अवगत कराया गया। बैठक में प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा, आयुक्त एवं पंजीयक सहकारिता श्री आशुतोष अवस्थी, मार्कफेड के प्रबंध संचालक श्री ज्ञानेश्वर पाटिल, संचालक उद्यानिकी श्री सत्यानन्द, संभाग के जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, उप संचालक कृषि एवं उपायुक्त सहकारिता उपस्थित थे।
    बैठक में पशु चिकित्सा सेवा विभाग के संचालक ने बताया कि दुग्ध उत्पादन तथा दुग्ध सहकारी समितियों के विस्तार के लिये एक वृहद योजना के तहत कार्य किया जा रहा है। जो गांव दुग्ध मार्गों से अछूते हैं, जिन गांवों में सौ लीटर या इससे ज्यादा प्रतिदिन दुग्ध संग्रहण किया जा सकता है, उन गांवों में दुग्ध सहकारी समितियां गठित की जाना है। इन गांवों को दुग्ध मार्गों के नक्शे पर शामिल किया जायेगा। उज्जैन जिले में ऐसे गांवों को चिन्हांकित कर 500 के करीब समितियां गठित कर दी गई हैं। इन डेयरी सहकारी समितियों में सक्रिय सदस्यों को ही शामिल किया जायेगा। दुग्ध मार्ग पर स्थानीय व्यक्तियों का चयन कर दुग्ध उत्पादन तथा समितियों के कार्यों को विस्तार दिया जायेगा। शहरी क्षेत्र में मिल्क पार्लरों की स्थापना के लिये कलेक्टर्स को निर्देश दिये गये कि पार्लरों के लिये स्थान आवंटित किये जायें और पात्र व्यक्तियों का चयन कर मिल्क पार्लर संचालित किये जायेंगे। गत दिनों उज्जैन में दुग्ध उत्पादन पर संभागायुक्त उज्जैन श्री एमबी ओझा की पहल पर आयोजित कार्यशाला के निष्कर्षों से भी कृषि उत्पादन आयुक्त को बैठक में अवगत कराया गया। संभागायुक्त ने सभी जिला कलेक्टर्स को निर्देश दिये कि आधुनिक तरीकों से डेयरी स्थापनाओं पर जोर दिया जाये। डेयरी स्थापना में मैकेनिज्म को आज की जरूरत के मुताबिक बढ़ावा दिया जाये, जिसमें मेनपॉवर का इस्तेमाल कम हो, क्योंकि आज के युग में युवा व्यवसाई साफ-सुथरे तरीकों से डेयरी उद्योग स्थापना में ज्यादा रूचि रखते हैं। उन्होंने चिलिंग प्लांट्स की संख्या में भी वृद्धि हेतु योजना बनाने के निर्देश दिये।
    बैठक में मत्स्य उत्पादन द्वारा किसानों की आय में वृद्धि पर भी समीक्षा की गई। कृषि उत्पादन आयुक्त ने निर्देश दिये कि उज्जैन संभाग में मत्स्य उत्पादन वृद्धि के लिये जिलेवार कार्य योजना तैयार की जाये। संभाग में 13 प्रतिशत जल क्षेत्र है, परन्तु सम्पूर्ण जल क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन नहीं किया जा रहा है। तालाबों की संख्या में भी वृद्धि की जाना चाहिये। इससे मत्स्य उत्पादन के अलावा जल संग्रहण, वाटर रिचार्ज के लाभ भी मिलेंगे। नवीन हैचरिज निर्माण के भी निर्देश दिये गये। कलेक्टरों को मत्स्य उत्पादन की साप्ताहिक समीक्षा के लिये कहा गया। मछुआ सहकारी समितियों के अक्रिय सदस्यों को बाहर करने के निर्देश दिये गये। दुर्घटना बीमा योजना की जानकारी देते हुए शत-प्रतिशत मछुआरों को इसके कवरेज में लाने के निर्देश भी दिये गये। एक हेक्टेयर तालाब निर्माण योजना की जानकारी देते हुए बताया गया कि इसमें 50 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है। कृषि उत्पादन आयुक्त ने पूरे संभाग में मत्स्योत्पादन में वृद्धि हेतु ज्यादा प्रयास करने पर जोर दिया। बैठक में बताया गया कि मत्स्य विभाग द्वारा एक नया साफ्टवेयर बनाया जा रहा है, जिसमें मत्स्य उत्पादन तालाबों की जियोमेपिंग रहेगी। मछुआ सहकारी समितियों की जानकारी भी समाविष्ट रहेगी।

 

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