रबी मौसम में अमानक खाद, बीज का विक्रय न हो
अमानक पाये जाने पर निलम्बन नहीं लायसेंस रद्द किये जायें
रबी में 1533 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में क्षेत्राच्छादन होगा
कृषि उत्पादन आयुक्त ने संभागीय समीक्षा बैठक ली
उज्जैन । कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पीसी मीना ने कहा है कि रबी मौसम में अमानक खाद, बीज व दवाई का विक्रय बिलकुल न हो, यह सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा है कि दवाई खाद के नमूने यदि अमानक पाये जाते हैं तो विक्रेताओं के लायसेंस निलम्बित न करते हुए उन्हें लायसेंस रद्द कर देना चाहिये। उन्होंने संभाग के सभी जिला कलेक्टरों को इस विषय पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये हैं। रबी फसल की तैयारियों के सम्बन्ध में जानकारी दी गई कि इस बार संभाग के सभी जिलों में मिलाकर 1533 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में क्षेत्राच्छादन किया जायेगा, जबकि गत वर्ष 1562 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल बोई गई थी। कम बारिश के कारण बैठक में कम पानी की फसलों को बोने पर जोर दिया गया। कृषि उत्पादन आयुक्त ने आज संभागीय समीक्षा बैठक में खरीफ फसल की समीक्षा की एवं रबी फसल की तैयारियों को लेकर विचार-विमर्श किया। बैठक में प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा, आयुक्त एवं पंजीयक सहकारिता श्री आशुतोष अवस्थी, मार्कफेड के प्रबंध संचालक श्री ज्ञानेश्वर पाटिल, संचालक उद्यानिकी श्री सत्यानन्द, संभाग के जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, उप संचालक कृषि एवं उपायुक्त सहकारिता मौजूद थे।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि संभाग के जिलों में औसत वर्षा हुई है इसलिये आकस्मिक कार्य योजना की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि भावान्तर योजना लागू की गई है। इसमें कृषकों के अधिक से अधिक पंजीयन करवाने चाहिये। उज्जैन संभाग गेहूं उत्पादकता के लिये जाना जाता है, किन्तु इस बार बारिश में कमी होने के कारण चना, मसूर, सरसो का रकबा बढ़ाया जाना चाहिये। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि संभाग के जिलों में कहीं भी खाद एवं बीज की कमी नहीं है। उन्होंने निर्देश दिये कि जिलों में 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर के मध्य किसान सम्मेलन आयोजित किये जायें। इन किसान सम्मेलनों में खेती-किसानी, फसल चक्र में परिवर्तन व उत्पादकता पर विशेष जोर दिया जाये। उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिले में किसान सम्मेलन की समीक्षा करने के लिये एक-एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नियुक्त किया जायेगा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने संभाग के सभी उप संचालक कृषि को निर्देशित किया है कि वे रबी सीजन में बीज की जरूरत का पूर्व से ही ऑर्डर बीज निगम को दे।
बैठक में प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा ने बताया कि संभाग के सभी जिलों में सूखे का कोई प्रभाव नहीं है। सोयाबीन की उत्पादकता पर समय पर बारिश नहीं होने के कारण प्रभाव पड़ सकता है, किन्तु पिछली खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन बहुत अच्छा हुआ था। डॉ.राजौरा ने कहा कि क्रॉप डायवर्शन का पैटर्न संभाग में अच्छा नहीं है, इसमें सुधार की आवश्यकता है। बैठक में बताया गया कि संभाग में बीज की पर्याप्त व्यवस्था है। वर्ष 2017-18 में तीन लाख 35 हजार 249 क्विंटल बीज आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष तीन लाख 34 हजार 448 क्विंटल बीज उपलबध करवाया गया था। इस बार संभाग में दो लाख नौ हजार मैट्रिक टन यूरिया एवं 39 हजार 500 मैट्रिक टन डीएपी का भण्डारण किया गया है। उर्वरक की कमी नहीं आने दी जायेगी।
खेतों की मेड़ पर फलदार एवं अन्य वृक्षारोपण किया जायेगा
बैठक में प्रमुख सचिव कृषि द्वारा बताया गया कि नर्मदा बेल्ट में खेतों की मेड़ पर किये गये वृक्षारोपण के अच्छे परिणाम आने पर इस योजना का विस्तार अब प्रदेश के सभी 51 जिलों में किया जा रहा है। मनरेगा के तहत बांस, छायादार, फलदार, कटहल, खमेर, आंवला, इमली, जामुन, नीम, करंज जैसे पौधों को मेड़ पर लगाने के लिये तीन वर्ष के दौरान किसानों को एक लाख 87 हजार रूपये की राशि दी जायेगी। परियोजना में प्रति पौधा योजना का मानक 938 रूपये है।
भावान्तर योजना में पंजीयन कराने वाले किसानों को ही लाभ मिलेगा
प्रमुख सचिव कृषि ने बताया कि भावान्तर योजना का पंजीयन 11 अक्टूबर तक किया जायेगा। भावान्तर योजना में पंजीयन कराने वाले किसानों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा। उन्होंने संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों से आग्रह किया है कि वे भावान्तर योजना में अधिक से अधिक पंजीयन करवायें।
बैठक में आयुक्त एवं पंजीयक सहकारिता श्री आशुतोष अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक आपदा में अल्पावधि ऋण को मध्यावधि ऋण में बदला गया है। राज्य शासन द्वारा शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसानों को ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संभाग के 78 प्रतिशत किसानों ने समय पर ऋण लौटाया है। मुख्यमंत्री कृषक सहकारी ऋण योजना अन्तर्गत किसानों को 10 हजार रूपये का अनुदान प्रदान किया जाता है।
संचालक उद्यानिकी श्री सत्यानन्द ने बैठक में जानकारी देते हुए बताया कि उज्जैन संभाग में कुल पांच फूड प्रोड्यूसर संगठन बनाये गये हैं। संभाग में प्याज भण्डार गृह के डेढ़ सौ प्रकरण स्वीकृत किये गये हैं। उन्होंने बताया कि आगामी 3, 4 एवं 5 नवम्बर को इंडिया गेट दिल्ली पर वर्ल्ड फूड फेयर आयोजित हो रहा है। इसमें विभिन्न जिलों से उन्नत कृषकों एवं अधिकारियों को भेजा जाना प्रस्तावित है।
संभाग में उज्जैन जिला अग्रणी
कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा आयोजित संभागीय समीक्षा में उज्जैन जिला कई योजनाओं में आगे चल रहा है। जिले में खरीफ मौसम में संभाग में सर्वाधिक 20 हजार अऋणी कृषकों का बीमा करवाया गया। जिला प्रशासन की इस पहल से इस खरीफ मौसम में होने वाले नुकसान से हजारों किसानों को फसल बीमा का लाभ मिल सकेगा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने इस पहल पर उज्जैन के जिला कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे की प्रशंसा की। इसी तरह भावान्तर योजना के पंजीयन में भी उज्जैन जिला आगे चल रहा है। यहां पर 32 हजार कृषकों का पंजीयन अब तक हो चुका है, जबकि अन्य जिले 15 हजार पंजीयन के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाये हैं।
बैठक में उज्जैन जिले की कृषि गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे ने बताया कि जिले में नवाचार के रूप में मल्टीपरपज गोडाउन की योजना लागू की गई है। इसमें 50, 75 एवं 100 मैट्रिक टन के गोडाउनों में प्याज के साथ-साथ अन्य फसलें भी किसान स्टोर कर सकेंगे। कलेक्टर ने कहा कि इस बार कम बारिश होने से गंभीर एवं अन्य जलाशयों के कैचमेंट एरिया में फसल चक्र में परिवर्तन एवं कम पानी की फसलें बोने के लिये किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार सरसो का एरिया गत वर्ष 6.86 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 20 हजार हेक्टेयर ले जाने का प्रावधान किया गया है। इसी तरह चना भी 120 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 225 हजार हेक्टेयर में बोते हुए उज्जैन जिले में गेहूं का रकबा 45 प्रतिशत कम करने की योजना लागू की जायेगी।