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आंतों की दुर्लभ बीमारी इलियोसिगमाईड नाॅट/डबल वालवुलस का उज्जैन में हुआ सफल आॅपरेशन


उज्जैन। 10 लाख लोगों में मात्र 4 से 5 लोगों को होने वाली दुर्लभ बीमारी इलियोसिगमाईड नाॅट/डबल वालवुलस का उज्जैन में सफल आॅपरेशन हुआ। गोवर्धनसिंह उम्र 65 वर्ष निवासी सोमवारिया कुछ दिनों से पेट दर्द व बुखार की समस्या से पीड़ित था। कई चिकित्सकों से इलाज के बाद भी जब उसे आराम न हुआ तब उसके परिजनों ने उसे चेरिटेबल अस्पताल में भर्ती कराया। वहां भी जब मरीज की स्थिति बिगड़ती गई तो उसे इंदौर व दिल्ली के लिए रैफर किया गया। मरीज के परिजनों ने फिर गुरूनानक अस्पताल में डाॅ. उमेश जेठवानी को दिखाया। डाॅ. जेठवानी ने जांच में पाया कि मरीज इलियोसिगमाईड नाॅट नामक आंतों की दुर्लभ बीमारी से ग्रसित था। आंतों के सड़ने व शरीर में जहर फैलने की वजह से मरीज का ब्लड प्रेशर 80/40 एमएमएचक्यू रह गया था। मरीज का इमरजेंसी में आॅपरेशन किया गया। जिसमें साढ़े 3 फीट की सड़ी आंतें व 3 लीटर जहर पेट से निकाला गया। मरीज को 3 दिन वेंटीलेटर पर आईसीयू में रखा गया तथा 3 यूनिट खून भी चढ़ाया गया। मरीज अब स्वस्थ है। 

       डाॅ. जेठवानी के अनुसार 10 लाख लोगों में से मात्र 4 या 5 लोगों को इलियोसिगमाईड नाॅट/डबल वालवुलस नामक बीमारी होती है। 18वीं शताब्दी से अब तक मात्र 400 मरीजों को ही यह बीमारी सामने आई है। इस बीमारी में छोटी बांत इलियम व बड़ी आंत सिगमाईड कोलान आपस में उलझ जाती है व गैंगीन हो जाती है। इस बीमारी में मरीज की बचने की संभावना 4 से 5 प्रतिशत ही होती है। अभी तक इस प्रकार की आंतों की दुर्लभ बीमारी का आॅपरेशन महानगरों के बड़े अस्पतालों व कारपोरेट अस्पतालों में ही हो पाता था तथा इलाज में भी 3-4 लाख का खर्चा आता था। वहीं गुरूनानक अस्पताल के डाॅ. जेठवानी ने यह आॅपरेशन उज्जैन में ही कम खर्च में कर दिखाया। 

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