गंभीर जलाशय एवं शिप्रा नदी का जल संरक्षित
उज्जैन @ उज्जैन शहर की जलप्रदाय व्यवस्था का मुख्य स्त्रोत गंभीर जलाशय है और इसकी पूर्ण जल संग्रहण क्षमता 2250 एमसीएफटी है। वर्तमान में 19 सितबंर तक गंभीर जलाशय में 1031 एमसीएफटी पानी संग्रहित हुआ है। इस दृष्टि से जलाशय में कम जल संग्रहण को ध्यान में रखते हुए उज्जैन शहर की जल प्रदाय व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पानी सुरक्षित रखा जाना आवश्यक हो गया है। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री संकेत भोंडवे ने म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 में उपलब्ध प्रावधानों के अनुसरण में जन साधारण एवं घरेलू प्रयोजन के लिए जल उपलब्ध कराने हेतु गंभीर जलाशय एवं शिप्रा नदी के जल को संरक्षित घोषित किया है।
तीन तहसीलों के 24 ग्रामों में सिंचाई एवं औद्योगिक प्रयोजन के उपयोग हेतु निषिद्ध
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री संकेत भोंडवे ने उज्जैन तहसील के ग्राम फाजलपुरा, खंरेट, नवला,सेमदिया, असलाना, खेमासा, एरवास, कंडारिया, भेरूखेड़ा, पारदीखेड़ा, अजराना, टकवासा तथा घट्टिया तहसील के ग्राम अंबोदिया, बड़वई और बड़नगर तहसील के ग्राम कंथारखेड़ी, बमनापाती, मतांगना, छानखेड़ी, खड़ोदिया, चिकली, भेंडवास, ब्राहमण बड़ोदिया, निंबोदिया, नहारखेड़ी आदि को केवल पेयजल के लिए प्रयोग की अनुमति देते हुए म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 4 में उपलब्ध प्रावधानों के तहत गंभीर जलाशय और शिप्रा नदी के जल को अन्य किसी प्रयोजन यथा सिंचाई, औद्योगिक प्रयोजन के उपयोग के लिए निषिद्ध किया है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले की उक्त तीनों तहसीलों के उक्त ग्रामों के क्षेत्रीय कृषकों द्वारा गंभीर जलाशय एवं शिप्रा नदी से सीधे अवैध पंपिग कर सिंचाई की जाती है। साथ ही निजी नलकूप एवं कुंए बावड़ी इत्यादि द्वारा भी सिंचाई की जाती है। जबकि ये स्त्रोत भी अप्रत्यक्ष रूप से गंभीर जलाशय एवं शिप्रा नदी से रिचार्ज होते है।