कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिये मिश्रित व समन्वित खेती करें
उज्जैन । कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये मिश्रित व समन्वित खेती करें। किसान कृषि के साथ ही उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, कृषि वानिकी, मधुमक्खी पालन, रेशम पालन तथा चारा उत्पादन जैसी गतिविधियां साथ में लें। इससे किसान को पूरे साल एक निश्चित आय मिलती रहेगी, जोखिम भी कम होगा।
उप संचालक कृषि ने बताया कि पिछले पांच सालों के रिकार्ड, मौसम, बारिश तथा प्राकृतिक प्रकोपों को दृष्टिगत रखते हुए जोखिम से बचने के लिये अन्तवर्ती फसलें लगाना चाहिये। फसल विविधिकरण यानी एक ही फसल को ज्यादा रकबे न लगाते हुए दो या दो से अधिक फसलें लगाना चाहिये। कृषि यंत्रों का उपयोग किया जाना चाहिये, जिससे समय और लागत दोनों में कमी आयेगी। टिकाऊ तथा स्थिर उत्पादन के लिये मिट्टी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। किसान रासायनिक उर्वरक तथा रासायनिक दवाईयों के उपयोग को कम करके जैविक उत्पादों के उपयोग करें। अपने खेतों में तालाबों का निर्माण कर वर्षा का जल संग्रहित करें। इससे उनकी सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी।