शिव की नगरी उज्जयिनी में प्रदेश के मुखिया शिवमय हुए, भगवान महाकाल ने 3 रूपों में भक्तों को दिये दर्शन
सवारी में राजाधिराज के हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिया
राजाधिराज का राजा इन्द्र ने भी वर्षा कर अभिषेक किया
उज्जैन । शिव की नगरी उज्जयिनी में श्रावण मास के तीसरे सोमवार को आज बाबा महाकालेश्वर की सवारी में प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान शिवमय हो गये। उन्होंने भगवान महाकाल की सवारी के पूर्व श्री महाकाल मन्दिर में भगवान महाकाल का पूजन-अर्चन किया। पूजन-अर्चन में उनके माता-पिता तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सभा मण्डप में भगवान महाकाल के पूजन-अर्चन पश्चात निर्धारित समय से भगवान महाकाल की पालकी को नगर भ्रमण की ओर रवाना किया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान अपनी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ सवारी में झांझ-मजीरे बजाते हुए भगवान महाकाल के गुणगान करते हुए चल रहे थे। श्रावण माह के तीसरे सोमवार को भगवान महाकालेश्वर पालकी में आज चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में विराजित थे।
आज भगवान श्री महाकाल शिवतांडव स्वरूप में गरूड़ पर सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन दिये। हाथी पर मनमहेश विराजित थे। पालकी मन्दिर के जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंची वहां पर भगवान महाकाल का सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने सलामी दी। सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल का दर्शन कर पुष्प अर्पित कर दर्शन लाभ लिया। सभा मण्डप में विधिवत पूजन-अर्चन पं.घनश्याम पुजारी ने सम्पन्न करवाया। श्री महाकालेश्वर सवारी महाकाल मन्दिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची। महाकाल मन्दिर से रामघाट तक मुख्यमंत्री एवं उनकी पत्नी सवारी के साथ-साथ चल रहे थे। रामघाट पर भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से अभिषेक कर पूजन-अर्चन किया गया। पूजन-अर्चन के अवसर पर रामघाट पर मुख्यमंत्री एवं उनकी पत्नी शामिल हुए। सवारी में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ विधायक डॉ.मोहन यादव, श्री अनिल फिरोजिया, मप्र जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय, श्री इकबालसिंह गांधी, श्री श्याम बंसल, श्री अशोक प्रजापत, अन्य जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों में संभागायुक्त श्री एमबी ओझा, एडीजी श्री व्ही.मधुकुमार, कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे, एसपी श्री सचिन कुमार अतुलकर सहित आला अधिकारी थे। सवारी में विभिन्न भजन मण्डलियां भक्तिमय होकर भगवान महाकाल के गुणगान एवं आराधना करते हुए चल रही थीं।