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समाज में संस्कार की जरूरत, शुरूआत घर से हो- संत अनिरूध्दाचार्य


उज्जैन @ समाज में बिगड़ते माहौल को देखते हुए संस्कार की सख्त जरूरत है। इसकी शुरूआत घर से होना चाहिये। धर्म और प्राचीन ग्रंथ विज्ञान से बहुत आगे हैं। आज जो वैज्ञानिक कह रहे हैं वो तो बात बरसों पहले हमारे धार्मिक गुरू कह चुके हैं। हवा से वायुमंडल साफ होता है एवं प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। भक्ति में ही शक्ति है। सच्चे मन से भगवान को याद करने वाले को दर्शन अवश्य होते हैं। 

यह बात कृषि उपज मंडी में चल रही भागवत गीता के चैथे दिन शनिवार को संत अनिरूध्दाचार्य महाराज ने वर्तमान में नारियों के साथ दुराचार एवं बलात्कार विषय पर बोलते हुए कही। आपने कहा कि आज की द्रोपदी अगर सच्चे मन से कृष्ण को याद करें तो उसकी लाज को बचाने के लिए भी भगवान आ सकते हैं लेकिन आज ना तो भक्ति है ना ही सच्चे मन से पुकार है। कथा में शनिवार को कृष्ण जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया। इस दौरान कृष्ण भक्ति के गीतों से पंडाल गूंज उठा। भक्तों ने भी नाचगाकर कृष्ण जन्म की खुशी जाहिर की। महाराज ने देशभक्ति गीत भी सुनाए जिस पर हजारों भक्तों ने भारत माता की जय से पंडाल गूंजा दिया। कथा विश्रांति के बाद आरती यजमान रामप्रताप, शकुंतला राठौर, राकेश खन्निवाल, नरहरी राठौर, मूलचंद राठौर, किशोर राठौर, निशा राठौर, अनंतनारायण मीणा, जयसिंह दरबार, महेश परमार, माणकलाल गिरिया, यशवंत जैन, योगेन्द्र नागर, अशोक गर्ग, राधेश्याम गर्ग, हजारीलाल मालवीय, सतीश राजवानी, राकेश अग्रवाल, आलोक अग्रवाल, मुकेश रघुवंशी आदि ने की। 

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