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सनातन धर्म संस्था ने किया बाबा महाकाल की सवारी में परंपरा तोड़ने का विरोध


उज्जैन @ 17 जुलाई को निकली बाबा महाकाल की सवारी में परंपरा को तोड़ते हुए भजन मंडलियों के क्रम को तोड़ने के विरोध में तथा भविष्य में निकलने वाली महाकाल की सवारियों में समुचित व्यवस्था करने के संबंध में सनातन धर्म संस्था ने एक ज्ञापन कलेक्टर के नाम सौंपा। 

       सनातन धर्म संस्था के हरिसिंह यादव, अजीत मंगलम एवं रवि राय के नेतृत्व में सौंपे ज्ञापन में कहा कि 17 जुलाई को भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में पहली बार यह देखने में आया कि वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़ा गया। नियमित रूप से सवारी में भजन मंडलियां धार्मिक परंपरानुसार पालकी के आगे चलती है तथा झांझ, मजीरे, डमरू बजाकर ओम नमः शिवाय का जाप एवं भजन करती हुई आगे चलकर बाबा महाकाल के आने का संदेश देती है। परंतु पहली बार जिला प्रशासन व पुलिस द्वारा उक्त परंपरा को ध्वस्त किया गया एवं पालकी को आगे तथा भजन मंडलियों को भगवान की पालकी के पीछे किया गया जो कि अनुचित है। ज्ञापन देने के दौरान पार्षद मांगीलाल कड़ेल, पं. अनिरूध्द पांडे, पूर्व बार अध्यक्ष योगेश व्यास, बार एसोसिएशन उपाध्यक्ष अखिलेश पाल, प्रभु प्रेमी संघ के अध्यक्ष अजय पांडे, एडवोकेट भवेन्द्र शर्मा, ओमप्रकाश रामी, पं. नितीन शर्मा, अनुदीप गंगवार, आनंद गोयल, राहुल नागर, गौरव बैरागी, अभिषेक शर्मा, आकाश तिवारी, हितेश शुक्ल, कृष्णपाल शर्मा, रमेशचंद्र शर्मा, रामस्वरूप वर्मा, मोहन खाती, अर्जुन गुज्जर, शोभित दुबे, प्रयाग त्रिवेदी, अविनाश पाराशर, दिलीप सांगते आदि उपस्थित थे। 

       अजीत मंगलम के अनुसार सवारी में भजन मंडलियों, भक्त मंडल के अलावा कई बार मुख्यमंत्री, विधायक, मंत्रीगण, सांसद, जनप्रतिनिधि शामिल होते हैं। पुलिस ने 17 जुलाई को सवारी में श्रध्दालुओं तथा जनप्रतिनिधियों के साथ धक्का मुक्की कर अव्यवस्था फैलाई तथा अनेक भक्तों को बेइज्जत किया। इतना ही नहीं पालकी को बिना किसी वजह के दौड़ाया गया। परिणाम स्वरूप पालकी अपने नियत समय से 45 मिनिट पूर्व महाकाल मंदिर पहुंच गई। बाबा महाकाल की सवारी से 10 गुना अधिक भीड़ जगन्नाथपुरी में रहती है परंतु वहां का प्रशासन बिना परंपरा को खत्म किये माकुल व्यवस्था जुटाता है। 

       हरिसिंह यादव, अजीत मंगलम, रवि राय सहित ज्ञापन देने पहुंचे लोगों ने मांग की कि भजन मंडलियों को भगवान की पालकी के पीछे करने का आदेश किसका था इस संबंध में जांच समिति का गठन किया जाए क्योंकि महाकालेश्वर प्रबंध समिति की बैठक में उक्त निर्णय नहीं लिया गया था। पूर्व में भी जब भी परंपरा ध्वस्त की गई कोई ना कोई हादसा हुआ है। कुछ वर्ष पूर्व सोमवती अमावस्या पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगदड़ होने से अनेक श्रध्दालुओं की मौत हो गई थी। अतः उज्जैन में समस्त भक्तगण, श्रध्दालुगण यह अपील करते हैं कि प्रशासन परंपरा का निर्वाह करते हुए व्यवस्था बनाये जिससे की अनहोनी नहीं हो। बावजूद इसके प्रशासन व्यवस्था आदि को नहीं मानता है तो भक्तों को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। 

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