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जनपद पंचायतों में ऑडिट आपत्तियों के कारण चिन्हांकित किये गये


संभागायुक्त ने आपत्तियों पर प्रभावी रोक के लिये बिन्दुवार जारी किये दिशा-निर्देश

      उज्जैन । संभाग की जिला तथा जनपद पंचायतों में परिलक्षित ऑडिट आपत्तियों पर प्रभावी रोक के लिये संभागायुक्त श्री एमबी ओझा द्वारा गहन मंथन पश्चात कारणों को चिन्हांकित किया गया है। उनके द्वारा इस सम्बन्ध में बिन्दुवार निर्देश जिला पंचायत तथा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को जारी किये गये हैं। यहां उल्लेखनीय है कि संयुक्त आयुक्त विकास श्री प्रतीक सोनवलकर द्वारा संभाग की जिला तथा जनपद पंचायतों के रोस्टर निरीक्षणों में पाया गया है कि निकायों द्वारा प्राय: एक ही किस्म की त्रुटियां प्रतिवर्ष की जाती हैं, जिससे स्थानीय निधि संपरीक्षा व महालेखाकार के अंकेक्षण में एक जैसी आपत्तियों की कंडिकाएं अधिक संख्या में लम्बित होती हैं। इस सम्बन्ध में संयुक्त आयुक्त द्वारा अभिलेखों एवं महालेखाकार व स्थानीय निधि संपरीक्षा के अंकेक्षण प्रतिवेदनों का गहन अवलोकन किया गया।

      ऑडिट आपत्तियों पर प्रभावी रोक के लिये संभागायुक्त द्वारा बिन्दु निर्धारित कर जिला पंचायतों तथा जनपद पंचायतों को विस्तृत दिशा-निर्देश प्रत्येक बिन्दु पर जारी किये गये हैं। संभागायुक्त ने यह चिन्हांकित किया है कि अग्रिमों के समायोजन के सम्बन्ध में निकायों द्वारा विभिन्न प्रयोजना, व्यवस्थाओं आदि के लिये अग्रिम प्रदान किया जाता है, परन्तु अग्रिम का समायोजन कई सालों तक नहीं किया जाता। यह अंकेक्षण की कंडिकाओं का निराकरण भी नहीं होने का एक कारण होता है। इसलिये अग्रिम पंजी का संधारण किया जाकर दिये गये अग्रिमों में वसूली की कार्यवाही तथा समायोजन तीन माह या अधिकतम उसी वित्तीय वर्ष में करने के निर्देश निकायों को दिये गये हैं। इसी तरह जनपद पंचायतों द्वारा स्वयं के स्वामित्व के भवनों, दुकानों आदि किराये पर दिया जाता है, लेकिन किराया राशि समयावधि में जमा नहीं होती है। किराये की राशि ज्यादा लम्बित होने पर अनावश्यक रूप से न्यायालय की शरण में जाना पड़ता है। संभागायुक्त ने किराये की राशि प्रतिमाह जमा करवाने, नियमानुसार किराया वृद्धि समय-समय पर करने तथा किराया जमा नहीं करने वाले के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं, जिससे निकाय की आय में भी बढ़ौत्री हो सकेगी।

बिना सक्षम स्वीकृति के नियुक्ति नहीं की जाये

      पंचायत निकायों को निर्देश दिये गये हैं कि बिना सक्षम स्वीकृति या बजट प्रावधान के दैनिक वेतनभोगी आदि की नियुक्ति नहीं की जाये। यह निरीक्षण अंकेक्षण आदि में अनियमितता की श्रेणी में आता है। संभागायुक्त ने निकायों का प्रशासकीय ढांचा व स्वीकृत बजट स्टाफ को दृष्टिगत रखते हुए ही कर्मचारियों की नियुक्ति करने के निर्देश दिये हैं। कई ऐसे पद जो प्रशासकीय ढांचे में नहीं हैं, उनकी नियुक्ति नहीं की जाये।

पेंशन हितग्राहियों के जीवित होने का प्रमाण लें

      संभागायुक्त द्वारा यह भी चिन्हांकित किया गया है कि पेंशन हितग्राहियों की मृत्यु या स्थाई रूप से गांव छोड़कर चले जाने के बाद भी उनकी पेंशन राशि लगातार जमा होती रहती है। स्थानीय निकायों को हरेक त्रैमास में ग्राम पंचायत के माध्यम से भौतिक सत्यापन करवा कर जीवित होने अथवा गांव में निवास करने का प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के निर्देश दिये गये हैं। इससे शासकीय धन की निगरानी हो सकेगी, अपव्यय से बचा जा सकेगा, अपात्रों को हटाया जायेगा।

खरीदी गई सामग्री को पंजी में दर्ज करें

      जनपद पंचायतों को निर्देश दिये गये हैं कि उनके द्वारा समय-समय पर क्रय की गई सामग्रियां स्टाक पंजी में दर्ज की जायें। प्राय: क्रय की गई सामग्री की यथा समय पंजी में प्रविष्टि नहीं की जाती है, जिससे अंकेक्षण में आपत्तियों की संख्या बढ़ जाती है। निकाय प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भुगतान आदेश के पहले विक्रेता के देयक पर निकाय के लेखापाल या सम्बन्धित कर्मचारी से स्टाक पंजी का पृष्ठ क्रमांक दिनांक आदि अंकित करवाया जाकर ही भुगतान आदेश जारी करें। पंजी में दर्ज सामग्री का भौतिक सत्यापन वर्ष की समाप्ति पर अवश्य किया जाये। सामग्री क्रय में मध्य प्रदेश भण्डार क्रय नियमों का पालन अनिवार्य रूप से करें।

देयकों से टीडीएस कटौत्रा करने के निर्देश

      प्राय: भुगतान देयकों से टीडीएस कटौत्रा आगामी देयकों से किये जाने की प्रत्याशा में नहीं किया जाता है। इससे कटौत्रा लम्बित रह जाता है। पंचायतों को शासन नियमानुसार देयकों से कटौत्रा करने के निर्देश दिये गये हैं। इसी तरह प्रत्येक निकाय को माह अन्त में बैंक समाधान विवरण आवश्यक रूप से तैयार करने को कहा गया है। इससे बैंक सम्बन्धी या अन्य लेखा सम्बन्धी त्रुटि होने पर यथासमय निराकरण किया जा सकेगा। इसके अलावा आवक-जावक शाखाओं में उपयोग किये जाने वाले डाक टिकिटों का माह की समाप्ति पर कर्मचारी से पंजी अनुसार भौतिक सत्यापन करवाने के निर्देश दिये गये हैं, जिससे त्रुटियों का समय-सीमा में सुधार हो सकेगा।

सेवा पुस्तिकाओं में वेतन निर्धारण की प्रविष्टि के निर्देश

      संभागायुक्त द्वारा अधिकारी-कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाओं में विभिन्न वेतनमान नियमों के तहत किये गये वेतन निर्धारण की प्रविष्टियां लेखा अवकाश एवं प्रतिवर्ष सेवा सत्यापन करने और वेतन निर्धारण पत्रक संलग्न करने के निर्देश दिये हैं। इससे अंकेक्षण के समय गणना आदि कार्यों में सुगमता रहेगी। निकायों को लेखा अभिलेखों का संधारण लेखा नियमानुसार करने के निर्देश दिये गये हैं। पाया गया है कि अधिकांश निकाय लेखा नियम में अंकित कई आवश्यक तथा महत्वपूर्ण पंजियों का संधारण नहीं करते हैं। इससे निरीक्षण अंकेक्षण आदि में वास्तविक जानकारी से अवगत नहीं करा पाते हैं, इसलिये लेखा नियम में उल्लेखित समस्त पंजियों एवं अभिलेखों का अद्यतन संधारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

वाहन भ्रमण की सक्षम स्वीकृति लें

      निकाय का वाहन बगैर सक्षम स्वीकृति के प्राय: खण्ड जिला या संभाग से बाहर ले जाया जाता है, जो अनियमितता की श्रेणी में आता है। संभागायुक्त ने निर्देशित किया है कि नियमानुसार सक्षम स्वीकृति अथवा कार्योत्तर स्वीकृति प्राप्त की जाना सुनिश्चित की जाये। वाहन उपयोगकर्ता अधिकारी से प्रतिमाह कटौत्रा कर राशि जनपद निधि में अनिवार्य रूप से जमा की जाये। निकायों के वर्षभर के क्रियाकलापों का वार्षिक लेखा तथा प्रशासनिक प्रतिवेदन तैयार कर सामान्य प्रशासन समिति से अनुमोदन के बाद साधारण सभा में रखने के निर्देश दिये गये हैं। वार्षिक लेखे प्रतिवर्ष 30 जून तक जिला पंचायत तथा संभागायुक्त को प्रेषित करने को कहा गया है।

 

विज्ञापन पर पाबन्दी

      निकाय द्वारा प्राय: राष्ट्रीय पर्व एवं अन्य अवसर जैसे- जन्मदिवस, आगमन आदि पर मीडिया व समाचार-पत्रों में शुभकामना आदि के विज्ञापन प्रसारित करवाये जाते हैं, जो अनियमितता की श्रेणी में आता है। संभागायुक्त ने निर्देशित किया है कि मप्र पंचायत लेखा नियम-1999 के प्रावधानों के अनुसार सक्षम स्वीकृति उपरान्त ही व्यय किया जाये। यथासंभव इस प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाये। इसी तरह संपरीक्षा शुल्क के बारे में निर्देशित किया गया है कि अंकेक्षण प्रतिवेदन प्राप्त होते ही अंकेक्षण शुल्क चालान से जमा करवा दिया जाये। बताया गया है कि निकायों का अंकेक्षण स्थानीय निधि संपरीक्षा द्वारा किया जाता है, जिसका अंकेक्षण शुल्क निकाय द्वारा कई सालों तक भुगतान नहीं किया जाकर लम्बित रखा जाता है।

नगदी को बैंक में जमा करने के निर्देश

      निकाय में करों, किराये, मत्स्य पट्टे आदि की राशि नगद जमा होती है, जिसे उसी दिन अथवा आगामी कार्यदिवस में बैंक में जमा किया जाना चाहिये, किन्तु निकाय द्वारा नगदी राशि कई दिनों तक अनावश्यक रूप से रखी जाती है, जो अंकेक्षण आपत्ति का विषय बनती है। लेखा एवं नगदी का कार्य करने वाले कर्मचारी की प्रतिभूति राशि नियमानुसार रखी जाती है, परन्तु निरीक्षणों में यह पाया गया है कि अधिकांश निकायों द्वारा इस प्रकार की कोई प्रतिभूति नहीं रखी गई है। इस प्रकार की कार्य प्रणाली में सुधार के लिये निर्देशित किया गया है।

आवंटन राशि का समय-समय पर आहरण

      निरीक्षण एवं रोस्टर निरीक्षण में यह देखा गया है कि शासन स्तर से अनुदान के रूप में वेतन भत्ते, कार्यालयीन व्यय, पंचायत पदाधिकारियों के मानदेय हेतु आवंटन प्रदाय किया जाता है, लेकिन कई डीडीओ द्वारा राशि का उपयोग नहीं किया जाता। इस कारण राशि लैप्स होती है, जो आपत्तिजनक है। संभागायुक्त ने आवंटन प्राप्त होने पर उसका समय-सीमा में उपयोग सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं। इसी तरह कई संस्थाओं द्वारा आवंटन पंजी का संधारण नहीं किया जाता है। संभागायुक्त ने आवंटन पंजी संधारण के साथ समय-समय पर अद्यतन प्रविष्टि के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही यह भी देखा गया है कि शासन स्तर से प्राप्त अनुदान राशि का उपयोग अन्य मद में किया जाता है, जो कि उपयुक्त नहीं है। जिस मद में आवंटन प्राप्त हुआ है, उसी मद में उपयोग करते हुए वित्तीय अनुशासन का पालन गंभीरता से करने के निर्देश संभागायुक्त द्वारा दिये गये हैं।

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