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आत्मा की शुद्धि करने का काम करता है शास्त्रीय संगीत – विश्व मोहन भट्‌ट


ujjain : हमारा भारतीय शास्त्रीय संगीत पांच हजार साल पुराना परम्परागत संगीत है और हमारी परम्परा अभी भी जारी है। शास्त्रीय संगीत आध्यात्मिक संगीत है जो हमारी आत्मा की शुद्धि करने का काम करता है। यह बात उज्जैन में पद्मविभूषण और ग्रेमी अवार्ड प्राप्त पंडित विश्वमोहन भट्‌ट ने खास बातचीत में कहीं।

विश्वमोहन भट्‌ट ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत ध्यान, योग, नादयोग और मेडिटेशियन की स्थिति में लेकर जाता है। संगीत से हाईमेंटर लेवल के आनंद की अनुभूति होती है। जो कि दिल में सुकून पैदा करता है। यह संगीत की ही शक्ति है जो दिलो में प्यार, मोहब्बत और इज्जत के भाव जागृत करती है।

       उन्होंने कहा कि बड़ी खुशी की बात है कि हमारे देश में 40 साल पुरानी एक संस्थान स्पीक मैके कलाकारों को स्कूल, कॉलेज, इंस्ट्रीट्यूट व यूनिवर्सिटी में भेजती है और कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए उनके कार्यक्रम आयोजित करती है। इस संस्थान को सभी कलाकारों सहयोग देते है। क्योंकि देश के युवाओं को प्रसिद्ध कलाकारों से प्रेरणा मिलती है। युवा इससे विमुख होते है लेकिन उन्हें यह समझाना जरूरी है कि हमारी कला और हमारा संगीत कितना महान है। इसमें बहुत सफलताएं मिली है।

       पंडित भट्‌ट ने यह भी कहा कि कोई भी विधा आने वाली पीढ़ी अपनाती है तो बहुत खुशी होती है। मेरे बेटे सलिल ने मोहन वीणा में परिवर्तन कर सात्विक वीणा का आविष्कार किया है। मैं 80 से ज्यादा देशों में प्रस्तुति देने गया हुं। कहीं न कहीं अद्भूत कलाकार मिलते है जो दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ा रहे है।

       संगीत में आने वाले युवाओं को सीख देते हुए उन्होंने कहां कि संगीत को व्यवसाय न बनाएं। युवाओं को पहले अपनी डिग्री, अपनी पढ़ाई को पुरा करना चाहिए। संगीत को सहायक के रूप में रखा जाना चाहिए। युवा अगर ये सोचकर चलेगे की संगीत से रोजी रोटी मिल जाएगी तो यह थोड़ा भ्रम है। अच्छे टैलेंट से ही मुकाम हासिल किया जा सकता है। इसमें भी शुरू में काफी कठिनाईयों का सामना करना होता है। संगीत एक पवित्र चीज है और उसकी पवित्रता कायम रहना चाहिए।

       अपने वाद्य यंत्र मोहनवीणा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह गिटार का एक परिष्कृत रूप है। इसका भारतीय करण मैंने किया है। इसमें कुल 20 तार और तुम्बा लगाया गया है। साथ ही लयकारी तान के प्रकार, गमक और तीयाऊ का प्रयोग सहित कई चीजों का उसमें समावेश होता है।

     बातचीत के दौरान पंडित विश्वमोहन भट्‌ट के पुत्र सलिल भट्‌ट ने कहा कि स्कूलों में जिस तरह से अंग्रेजी, हिंदी या दूसरी भाषाओं को अनिवार्य किया जाता है उसी तरह से स्कूल शिक्षा में संगीत को अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए। हमारे समाज और पीढ़ी को संगीत और संस्कार मिलना जरूरी है। संस्कारविहीन समाज के काफी पूरे परिणाम देखने को मिले है। उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार ने अनुरोध किया है कि हमारे देश में बहुत बडे-बडे कार्य हो रहे है तो देश के सभी स्कूलों में संगीत शिक्षा को अनिवार्य करें। 

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