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गुरूपूर्णिमा पर्व पर 125 से अधिक लोगों ने ली दीक्षा



12 साधकों ने एक मासिक चंद्रायण ब्रत का संकल्प लिया-किया पौधारोपण
उज्जैन। गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर गायत्री शक्तिपीठ पर गुरूदेव एवं माताजी के तात्विक प्रतीकों प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा पर विशेष पूजन अभिषेक के बाद दो पारियों में करीब 120 लोगों ने गुरुदीक्षा ली। यज्ञ की 6 पारियों में 300 से अधिक याजकों ने आहुतियां दी। यज्ञ के साथ पुंसवन, मुंडन, विद्यारंम्भ संस्कार भी कराए गए। उपक्षोन समन्वयक महाकालेश्वर श्रीवास्तव ने गुरू पूर्णिमा पर्व संकल्प कराते हुए श्रद्धालुओं से नियमित समयदान करने का अनुरोध किया।
प्रचार-प्रसार सेवक देवेन्द्र श्रीवास्तव के अनुसार रविवार को पूर्णिमा से ही देशव्यापी एक मासिक चंद्रायण साधना के लिए नगर के 12 साधकों ने संकल्प लिया जो पूरे सावन के माह मंत्र जप, स्वाध्याय के क्रम को अपनाते हुए चंद्रमा की कलाओं के अनुसार घटते बढ़ते क्रम में आहार करेंगे। महापुरशचरण के प्रथम दिन दो सौ से अधिक साधकों ने भागीदारी का संकल्प लिया। दोपहर बाद ग्राम आकासौदा में रामेश्वर पटेल के सहयोग से पौधारोपण के तहत सुरक्षित स्थान 20 पौधे लगाए।
गायत्री परिवार नौ बर्षीय युग परिवर्तनकारी नवरात्रियां मनाएगा
गायत्री परिवार द्वारा इस गुरूपूर्णिमा 9 जुलाई 2017 से नो वर्षीय युग परिवर्तनकारी नवरात्रियां मनाई जाएगी। इनके तहत नो वर्षीय मातृशक्ति श्रद्धांजलि नवसृजन महापुरषचरण आरंभ किया गया है। वर्ष 2026 युग श्रृषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा बसंत पंचमी 1926 को प्रज्वलित किए गए अखंड दीपक तथा वंदनीया माताजी भगवती देवी शर्मा की जन्म की शताब्दी वर्ष है। यही वर्ष महर्षि अरविंद की भागबत सिद्धी (24 नवम्बर 1926) और उनकी 1950 तक अखंड साधना की घोषणा का वर्ष भी था। इन नौ वर्षों में गायत्री परिवार के वर्तमान 12 करोड़ साधकों के साथ और 12 करोड़ साधक जुड़ जाएगें और नवयुग-सतयुग का प्राकट्य और समीप दिखाई देने लगेगा। इस पूरी 9 वर्ष की अवधि में त्रिविध साधना उपक्रम चलेंगे। ये उपासना, साधना एवं आराधना प्रधान होंगे। इनके तीन-तीन वर्ष के तीन चरण बनाए गए हैं। प्रथम चरण 9 जुलाई 2017 से 5 जुलाई 2020 तक के कार्यक्रमों की घोषणा अभी की गई है। पहले तीन वर्षों के त्रिविध साधना क्रम इस प्रकार होंगे।
उपासना- प्रति सूर्योदय से पूर्व उठकर नया जन्म- नयी शुरूआत का ध्यान रात्रि में सोते समय तत्व बोध की हर रात्रि नयी मोत की साधना करेंगे। प्रतिदिन स्नान के बाद 5 माला गायत्री महामंत्र जप या 50 मंत्र लेखन या 5 गायत्री चालीसा का पाठ करना है। 15 मि. प्राणसंचार की या पंचकोष जागरण ध्यान संपन्न करना है। इस प्रकार प्रथम चरण में प्रतिवर्ष 1 लाख 82 हजार 5 सौ मंत्रों तथा तीन वर्ष में 5 लाख 47 हजार 5 सौ मंत्रो का जप प्रति साधक द्वारा किया जाएगा, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या होगी।
साधना- इस क्रम में सकारात्मक विचारों में निरंतर विचरण हेतु श्रेष्ठ ग्रन्थों का नियमित स्वाध्याय का क्रम रहेगा। साप्ताहिक उपवास का क्रम भी रहेगा।
आराधना- इस क्रम में युवाशक्ति, नारीशक्ति तथा प्रज्ञा परिजनों के लिए प्रचार सृजन एवम संघर्ष के प्रकल्प चलाए जाएगे।

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