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गुरु पूर्णिमा पर सव्य साँची विद्यापीठ में ‘गुरु-महोत्सव’ का गरिमामय सारस्वत आयोजन


उज्जैन गुरु पूर्णिमा पर सव्य साँची विद्यापीठ में आचार्य शैलेन्द्र पाराषर की अध्यक्षता एवं प्राचार्य प्रेम छाबड़ा के मुख्य आतिथ्य में ‘गुरु-महोत्सव’ का गरिमामय सारस्वत आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. प्रेम छाबड़ा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरुमहोत्सव मनाने की परम्परा अति प्रचीन काल से चली आ रही है । गुरु अपने षिष्य को ज्ञान प्रदान कर पूर्णता का अनुभव करता है । षिक्षकों एवं विद्यार्थियों को प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से प्रेरणात्मक षिक्षा के महत्व को समझाया।
आचार्य शैलेन्द्र पाराषर ने महर्षि सांदीपनि एवं श्रीकृष्ण, बलराम एवं सुदामा की गुरु षिष्य परम्परा का महत्व बताते हुये गुरु मुख को प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता का स्त्रोत बताया । जिससे श्रुति परम्परा में षिष्य जीवन मूल्यों एवं संस्कारों को सीखता है । गुरु षिष्य के जीवन के अंधकार मिटा देता है । षिक्षा के माध्यम से सर्वोच्च लक्ष्य पाये जा सकते है । गुरु महोत्सव ज्ञान आराधना का परिचायक है ।
अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप-दीपन किया गया । महैन्द्र गुआ के निर्देषन में छात्राओं द्वारा माँ सरस्वती की आराधना एवं गीतों की सांगीतिक प्रस्तुति देकर सुमधुर स्वर लहरियाँ बिखेरी।
स्वागत भाषण सुश्री रचिता छाबड़ा ने दिया। अतिथियों द्वारा अणुव्रत संस्था द्वारा आयोजित नैतिक एवं देषभक्ति गायन प्रतियोगिता में विद्यापीठ की विजेता विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किये।
अतिथियों का विद्यापीठ द्वारा गुरु सम्मान शॉल-श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर श्रीमती सीमा छाबड़ा, सुश्री रचिता छाबड़ा, एवं प्राचार्य सेकतचन्द्रा द्वारा किया गया । इस अवसर पर षिक्षक, विद्यार्थी, एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन तनवीदेवलेकर ने किया एवं आभार प्राचार्य सेकतचन्द्रा ने माना।

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