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30 अप्रैल 2017 को जो परियोजनाएं अपूर्ण थीं, वे रेरा के अधीन आयेंगी-चेयरमेन श्री डिसा


 

उज्जैन | 30 अप्रैल 2017 को जो भी रेसिडेंशियल, नॉन रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट अपूर्ण थे, वे सब ‘रेरा’ भू-सम्पदा नियंत्रण अधिनियम के अन्तर्गत आयेंगे तथा ऐसे अपूर्ण प्रोजेक्ट्स का ‘रेरा’ के तहत पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। नये प्रोजेक्ट तभी शुरू हो पायेंगे, जब रेरा के तहत डेवलपर इनको पंजीकृत करा देंगे। 31 जुलाई तक सभी डेवलपर्स को अपने-अपने प्रोजेक्ट का पंजीयन ऑनलाइन कराना आवश्यक है। 31 जुलाई के बाद पंजीयन कराने वालों पर पैनल्टी लगाई जायेगी एवं कार्यवाही की जायेगी। यह बात रेरा के चेयरमेन श्री अंटोनी डिसा ने आज शनिवार को रूद्राक्ष होटल में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में कही। कार्यशाला में महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल, संभागायुक्त श्री एमबी ओझा, अपर आयुक्त डॉ.अशोक कुमार भार्गव, कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे, डेवलपर्स, आर्किटेक्ट्स, इंजीनियर्स, शासकीय अधिकारी तथा जिले के सभी एसडीएम मौजूद थे।
एग्रीमेंट में किये सभी वादे पूरे करना होंगे
केवल कारपेट एरिया को आधार बनाया जायेगा

   ‘रेरा’ चेयरमेन श्री अंटोनी डिसा ने स्पष्ट किया कि रेरा एक्ट के तहत डेवलपर को भवनों के लिये केवल कारपेट एरिया के आधार पर ही मार्केटिंग करना होगी। बिल्टअप एरिया, सुपर बिल्टअप एरिया अब नहीं चलेंगे। डेवलपर को प्रोजेक्ट की मार्केटिंग करते समय किये गये एग्रीमेंट की शर्तों का शत-प्रतिशत पालन करना होगा। सेम्पल फ्लेट या सेम्पल हाउस के अनुसार उसमें दिखाई गई समस्त सुविधाएं उपभोक्ताओं को देना होंगी। डेवलपर उपभोक्ताओं पर एकतरफा शर्त नहीं थोप सकेगा। पेमेंट की किश्त डिले होने पर जितना प्रतिशत हर्जाना उपभोक्ता को भरना होगा, उतना ही प्रतिशत डेवलपर को पजेशन देने में देरी होने पर उपभोक्ता को देना होगा।
   डेवलपर को प्रोजेक्ट की डिटेल रेरा की वेब साइट पर डालना होगी तथा हर तीन माह में इसको अपडेट करना होगा। प्रोजेक्ट में व्यय की स्थिति भी निरन्तर पारदर्शिता के साथ दर्शाना होगी। प्रोजेक्ट के लिये अलग से एक खाता खोलना होगा। इसमें उपभोक्ताओं से प्राप्त किश्तें जमा होंगी। इस धनराशि में से 70 प्रतिशत राशि बिल्डर को उसी प्रोजेक्ट पर खर्च करना होगा। आवंटन-पत्र एवं एग्रीमेंट के अनुसार निर्मित किये गये भवन की पांच वर्ष की गारंटी डेवलपर को देना होगी। साथ ही अन्य सुविधाओं की गारंटी भी पांच वर्ष की होगी। प्रचार-प्रसार के लिये उपयोग किये गये ब्रोशर्स को भी रेरा की वेब साइट पर अपलोड करना होगा एवं ब्रोशर में किये वादों का पूर्ण करना होगा। बुकिंग के समय आवंटियों को सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना होगी।
   श्री अंटोनी डिसा ने बताया कि मध्य प्रदेश में भी रेरा एक्ट एक मई 2017 से लागू किया गया है। यह गर्व की बात है कि मध्य प्रदेश इस अधिनियम के क्रियान्वयन में आगे है। प्रदेश में रेरा की इंटरेक्टिव वेब साइट प्रारम्भ की गई है। रेरा एक्ट के तहत 500 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र में विकसित हो रही कॉलोनी एवं मल्टी को शामिल किया गया है। यह कानून हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण एवं ऐसे नगर निगमों पर लागू होगा, जहां पर भवन एवं भूखण्ड की मार्केटिंग की जा रही हो। श्री डिसा ने कहा कि रेरा कानून के आने के बाद रियल इस्टेट सेक्टर में पुन: तेजी आयेगी।
एजेन्टों को भी पंजीयन कराना होगा
   रियल इस्टेट क्षेत्र में भूखण्ड एवं मकान बेचने वाले एजेन्टों एवं ब्रोकर्स को भी रेरा के तहत पंजीयन कराना होगा। रेरा के तहत पंजीकृत एजेन्ट को आचार संहिता का पालन करते हुए प्रोजेक्ट की समस्त जानकारी सच्चाई के साथ उपभोक्ताओं को बताना होगी। उपभोक्ताओं से झूठ बोलने एवं धोखा करने की स्थिति में एजेन्ट्स पर भी कार्यवाही की जा सकेगी।
   ‘रेरा’ के सचिव श्री चन्द्रशेखर वालिंबे ने कहा कि रेरा एक्ट के प्रावधानों का पालन करने से रियल इस्टेट क्षेत्र में गैरजिम्मेदार बिल्डर समाप्त हो जायेंगे और सम्पूर्ण क्षेत्र में विश्वसनीयता कायम होगी। उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और इससे खरीदी बढ़ेगी। सेक्टर पुनर्जीवित होगा और निवेश भी बढ़ेगा। रेरा के तहत पंजीकृत होने वाले प्रोजेक्ट की पूर्णता तिथि बिल्डर को बताना होगी। यह पूर्णता तिथि फेजवाइस भी हो सकती है। बिल्डर को फर्स्ट फेज में ही समस्त आवश्यक सुविधाएं, जिसमें पानी, बिजली आदि शामिल हैं, विकसित करना होगी। कार्यक्रम में स्मार्ट सिटी उज्जैन पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। रेरा के आईटी एक्सपर्ट द्वारा रेरा की वेब साइट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम के प्रारम्भ में क्रेडाई उज्जैन के अध्यक्ष श्री महेश कानड़ी ने अतिथियों का स्वागत किया तथा उज्जैन के बिल्डर एवं डेवलपर्स द्वारा रेरा एक्ट के तहत पंजीयन कराने की बात कही। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बिल्डर डेवलपर एवं ब्रोकर्स मौजूद थे।
प्रेस से चर्चा की
   रेरा के चेयरमेन श्री अंटोनी डिसा ने सर्किट हाऊस पर प्रेस से चर्चा की। प्रेस से चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि उनके द्वारा अब तक पांच शहरों में कार्यशाला आयोजित कर रेरा की प्रक्रिया के बारे में स्थानीय बिल्डर्स, डेवलपर्स व इंजीनियर्स को जानकारी दी गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि रेरा का उद्देश्य मकानों व भूखण्डों की कीमतों पर नियंत्रण करना नहीं है। कीमत डेवलपर अपने हिसाब से रख सकता है, किन्तु उसके द्वारा किये जाने वाले वादे पूरे नहीं होने पर रेरा को कार्यवाही करने का अधिकार है। श्री डिसा ने कहा कि रेरा बनने के बाद से अब तक 70 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं और इनमें से तीन केसेस का निराकरण भी हो चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 30 अप्रैल पूर्व के ऐसे प्रोजेक्ट, जिनको पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया है, रेरा के दायरे में नहीं आयेंगे। ऐसे प्रोजेक्ट्स में यदि किसी को असुविधा है तो वह उपभोक्ता फोरम या सिविल कोर्ट में जा सकता है। अपूर्ण प्रोजेक्ट्स में यदि किसी मामले में उपभोक्ता फोरम में केस चल रहा है और व्यक्ति रेरा से राहत पाना चाहता है तो वह उपभोक्ता फोरम से केस वापस लेकर रेरा में जा सकता है। श्री डिसा ने कहा कि रेरा समय-समय पर रियल इस्टेट सेक्टर में सुधार के लिये राज्य शासन को सुझाव देता रहेगा।
मकान बुक करने से पहले बिल्डर से पूछें कि ‘रेरा’ में पंजीयन है कि नहीं
   श्री अंटोनी डिसा ने कहा कि यह कानून मुख्य रूप से आम उपभोक्ता को वाजिब दामों पर गुणवत्तायुक्त घर/प्रॉपर्टी उपलब्ध कराने के लिये है। उपभोक्ता घर/प्रॉपर्टी खरीदने से पहले बिल्डर से पूछें कि क्या उसने ‘रेरा’ के अन्तर्गत पंजीयन कराया है। यदि पंजीयन नहीं कराया है तो उपभोक्ता उस बिल्डर के यहां घर/प्रॉपर्टी की बुकिंग न करे।
विज्ञापन में भी नम्बर दर्ज हों
   श्री डिसा ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि मीडिया भी बिल्डर का विज्ञापन छापने अथवा प्रसारित करने से पूर्व बिल्डर से कहे कि वह अपना ‘रेरा’ पंजीयन क्रमांक विज्ञापन में दर्ज कराये।

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