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शोभायात्रा के साथ हुआ शुभारंभ-8 दिनों तक चलेंगे महामांगलिक, सिध्दचक्र मंडल विधान पूजन


संयम एवं तपस्या का पर्व अष्टान्हिका महापर्व प्रारंभ

उज्जैन। संयम एवं तपस्या के पर्व अष्टान्हिका महापर्व का उद्घाटन शुक्रवार सुबह मंगल कलश की शोभायात्रा के साथ हुआ। शोभायात्रा में 11 मंगल कलश, स्वर्ण ध्वजा एवं पंच परमागम ग्रंथ लेकर महिलाएं चल रही थीं। जैन धर्म का यह महापर्व 8 दिनों तक चलेगा जिसमें महामांगलिक, सिध्दचक्र मंडल विधान पूजन का विशेष महत्व है।
जम्बू जैन धवल के अनुसार शोभायात्रा सौधर्म इंद्र बने अरूण कासलीवाल के निवास से प्रारंभ हुई जो विभिन्न मार्गों से होती हुई क्षीरसागर स्थित सीमंधर दिगंबर जैन मंदिर पहुंची। यहां राजेश मंगला जैन द्वारा ध्वजारोहण, ध्वज पूजन किया गया। विशाल मंडल विधान, जिन वेदी का उद्घाटन अनिल ज्योति जैन द्वारा किया गया। 1008 भगवान वासूपूज्य स्वामी की प्रतिमा स्थापित की गई। पश्चात मंगल कलश हुकुमचंद सुलोचना देवी परिवार एवं 11 अन्य साधर्मियों ने किया। पंच परमागम ग्रंथों की स्थापना भी की गई। विधान पूजन बाल ब्रह्मचारी महेन्द्र भैया, बाल ब्रह्मचारी सुकमाल झांझरी द्वारा कराई जाएगी। मुख्य आकर्षण देश के ख्याति प्राप्त बाल ब्रह्मचारी सुमतप्रकाश द्वारा प्रातः 9 से 10 एवं रात्रि 8.30 से 10 बजे तक महान ग्रंथ समयसार पर प्रवचन दिये जाएंगे। विधान पूजन हेतु 16 इंद्र-इंद्राणी की इंद्र प्रतिष्ठा भी की गई। इस अवसर पर प्रमुख रूप से विमलचंद्र झांझरी, केवलचंद्र उमराजवाले, चांदमल जैन, विमलचंद्र जैन, अशोकजैन चायवाला, प्रकाश झांझरी, जैन युवा फेडरेशन, सम्यक तरंग महिला मंडल व मुमुक्षु मंडल के सदस्य सहित समाज के गणमान्यजन उपस्थित थे।
चढ़ाया निर्वाण लाडू
आज जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमीनाथ के मोक्षकल्याणक पर पूजन के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाया गया तथा मोक्ष कल्याणक पर दादा मिलचंद्र झांझरी द्वारा संबोधन दिया गया। सुंदर मंडल विधान की रचना चावल चूरी पर आकर्षक रंगों द्वारा ललित जैन के निर्देशन में नितीन डोसी, ललित पाटनी, कीर्ति टोंग्या, आकृति जैन, सुनील कासलीवाल, नीता धवल द्वारा की गई।
16 इंद्र भगवानों को करेंगे दृव्य समर्पित
8 दिनों तक 8 वलय की रचना पर आठ मंगल दृव्य द्वारा 16 इंद्रों द्वारा सिध्द भगवानों को दृव्य समर्पित किये जाएंगे। इस अवसर पर नियमित प्रातः एवं सायंकाल प्रवचन होंगे।

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