दीक्षा महोत्सव में रात में हुआ ‘भगवन पथ का राही संत’ नाटक का मंचन
उज्जैन। श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के 50वें मुनि दिक्षा महोत्सव के अंतर्गत गुरुवार को प्रातः 6 बजे श्री जिनेंद्र प्रभु के अभिषेक शांतिधारा एवं आचार्यश्री की संगीतमय पूजा प्रज्ञा कला मंच द्वारा प्रारंभ हुई। पूजा विधान में लोगों ने बड़े उत्साह के साथ झूमते हुए गाते हुए आचार्य श्री की पूजा की। आचार्य श्री के जीवन पर आधारित कार्यक्रम हुआ जिसमें संस्मरण सुनाओ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में सभी लोगों ने अपने स्मरण सुनाए।
जैन समाज के सचिव सचिन कासलीवाल के अनुसार अष्ट द्रव्य की थाल सजाने की प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार खुशबू अशोक जैन चायवाला को प्राप्त हुआ। द्वितीय पुरस्कार लीना कासलीवाल एवं रीना जैन को प्राप्त हुआ। स्मरण सुनाओ मैं प्रथम पुरस्कार दक्षिता दीपक जैन, देषणा अमित जैन, अतिषय जैन को प्राप्त हुआ एवं प्रमुख रुप से विजेंद्र जैन सुपारी वाले, शैलेंद्र जैन शाह, कमल बड़जात्या, जिनेंद्र जैन, धर्मेंद्र सेठी, देवेंद्र तलाटी, दिनेश जैन, पंकज जैन, फूलचंद छाबड़ा, शैलेन्द्र एस जैन एवं अर्चना सिंघई ने आचार्यश्री की भक्ति भरे भजनों से सभी को भावविभोर कर दिया। रात में आचार्य श्री के दीक्षा का प्रसंग पर आधारित ‘भगवन पथ का राही संत’ नाटक का मंचन पंचायती मंदिर फ्रीगंज में हुआ। जिसमें आचार्य विद्यासागर पाठशाला शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर लक्ष्मी नगर के बच्चों ने प्रस्तुति दी। नाटक का निर्देशन अर्चना सिंघई सिंह ने किया।
आज महाआरती, भक्तिमय पूजा
आज शुक्रवार प्रातः 6 बजे जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, आचार्यश्री की संगीत के साथ भक्तिमय पूजा, शाम को महाआरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत आचार्य विद्यासागर पाठशाला फ्रीगंज की विशेष प्रस्तुति होगी।
विद्या का अपार भंडार आचार्य विद्यासागर महाराज
मुनिश्री का बचपन से ही जैन धर्म के प्रति गहरा लगाव, आत्मचिंतन, विश्लेषण, प्रवचनों के माध्यम से तिर्थंकरों के दिये गये मार्ग सिध्दांतो का अपने जीवन में सही अर्थों में उतारने का, संयम, तप, त्याग आदि से इस नश्वर शरीर पर नियंत्रण करने का, जैनागम के अनुसार ढालने का प्रशस्त मार्ग पर चलने की राह दिखाई है। ऐसे महासंत की अमृतमयी वाणी से हम ने कई बार धर्म लाभ लिया है। विद्यासागर नाम से ही ऐसा प्रतित होता है कि इस सागर में विद्या का अपार भंडार है। हम तो सभी गुरूभक्त रहें है ओर देव शास्त्र गुरू की परिभाषा भी समझते है। गहराई से चिंतन, आत्मसमाधान भी चाहते है। बचपन से लेकर वृध्दावस्था तक कई मोडों पर से हमें गुजरना पडता है ओर इसमें सुखों, आराम ऐश्वर्य के साथ साथ अपनी काया का भी ध्यान रखना पडता है, यह सभी जानते है। इस जीवन में हम अपने लाभ के लिये कुछ भी कर सकते है लेकिन गुरूभक्ति का ख्याल अक्सर वृध्दावस्था में ज्यादा ही आता है क्योंकि इसारे पास सभी संसाधन होने के बाद भी पारिवारिक कारणों से, अपने मित्रों से, रिश्तेदारों से कभी ना कभी आहत तो होते ही है ओर उपभोग नही कर पाते इसका कारण हमेशा परिस्थियां सकारात्मक ही होगी इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है। कभी नकारात्मक स्थितियों के लिये भी तन मन धन से तैयार रहना पडता है। समय, अलग अलग विचारधारायें कब करवट बदल दें कोई सुनिश्चितता नहीं रहती है। यह बाते सब दुर देखने को मिलती है। हम सभी श्री 108 विद्यासागरजी के द्वारा समय समय पर दिये गये आत्मकल्याण के सिध्दांतों को जीवन में उतारने के कोशिश करते रहें है।
यह रहे उपस्थित
इस अवसर पर संयम स्वर्ण महोत्सव समिति के संरक्षक अशोक जैन चायवाले, अध्यक्ष विजेन्द्र जैन, नरेन्द्र बिलाला, अरविंद बुखारिया, महामंत्री धर्मेन्द्र सेठी, मंत्री सुनील जैन ट्रांसपोर्ट, सहमंत्री सचिन कासलीवाल, समन्वय शैलेन्द्र शाह, कार्यकारिणी पार्षद राजेश सेठी, करूणा जैन, सुशील छाबड़ा, प्रसन्न बिलाला, कमल बड़जात्या, तेजकुमार विनायका, अनिल बुखारिया, योगेन्द्र बड़जात्या, जिनेन्द्र जैन चना, देवेन्द्र तलाटी, अशोक जैन गुना, देवेन्द्र सिंघई घड़ी, पंकज जैन, दिनेश जैन सुपरफार्मा, कमल बड़जात्या, ताराचंद, राकेश बुखारिया, मनीष पांड्या, राजेन्द्र लुहाड़िया, लालचंद जैन, दिनेश जैन, ओम जैन आदि उपस्थित थे। इस आयोजन में जैन मित्र मंडल, नारी चेतना मंडल, दिगंबर जैन सोशल ग्रुप, दिगंबर जैन सोशल ग्रुप आदिनाथ, दिगंबर जैन महिला परिषद अवंति, दिगंबर जैन महिला महासमिति, दिगंबर जैन सोशल ग्रुप मेन, दिगंबर जैन सोशल ग्रुप सीनियर सिटीजन, जैन इंजीनियर्स सोसाइटी आदि का सहयोग रहा।