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दो वरिष्ठ संस्कृत आचार्यों का स्मरण किया गया


 

उज्जैन | साहित्य अकादमी नईदिल्ली द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय के सहयोग से विगत 27 जून को अपराह्न 3 बजे ‘मेरे झरोखे से’ कार्यक्रम का आयोजन सिंधिया प्राच्यविद्या शोध प्रतिष्ठान के कालिदास सभागार में किया गया। लब्धप्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान आचार्य बच्चूलाल अवस्थी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नईदिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो.राधावल्लभ त्रिपाठी ने आचार्य अवस्थी के जीवन के विभिन्न पक्षों और उनके साहित्यिक अवदान पर विचार प्रकट करते हुए उन्हें इस सदी का महान नैयायिक, दार्शनिक एवं वैयाकरण निरूपित किया।
   इसी क्रम में उज्जयिनी के मूर्धन्य संस्कृत विद्वान महामहोपाध्याय आचार्य श्रीनिवास रथ के व्यक्तित्व और कृतित्व पर सम्बोधित करते हुए वाराणसी के आचार्य कमलेशदत्त त्रिपाठी ने कहा कि आचार्य श्रीनिवास रथ के संस्कृत के क्षेत्र में किये गये योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। समूचे विश्व में उनकी शिष्य परम्परा फैली हुई है। संस्कृत कविसमवाय का शुभारम्भ आचार्य श्रीनिवास रथ से ही माना जाता है। अखिल भारतीय कालिदास समारोह को उच्चतम स्तर तक पहुंचाने का श्रेय भी आचार्य श्रीनिवास रथ को ही है।
   कार्यक्रम का संयोजन आचार्य बालकृष्ण शर्मा ने किया। कार्यक्रम में उज्जैन नगर के वरिष्ठ साहित्यकार, संस्कृतानुरागी और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। यह जानकारी उपाचार्य श्री शीतांशु रथ ने दी।

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