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काव्य का उद्देश्य यश प्राप्ति- डाॅ. मोहन गुप्त



उज्जैन। लेखक की रचनाएं सबके बीच जाना चाहिए क्योंकि काव्य का एक
उद्देश्य यश प्राप्त करना भी होता है। गजलकार रामप्रकाश गुप्त की गजलें
प्रारंभ से अंत तक स्तरीय हैं किन्तु लिखने के साथ लेखक को मार्जन भी
स्वयं करते आना चहिये।
ये विचार साहित्य मंथन के तत्वावधान में आयोजित गजल संग्रह ‘दास्तान ए
जिंदगी‘ के विमोचन प्रसंग पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व कुलपति और
पूर्व संभागायुक्त डाॅ. मोहन गुप्त ने व्यक्त किये। अध्यक्षता करते हुए
एमआईटी ग्रुप के चेयरमेन प्रवीण वशिष्ठ ने कहा कि रामप्रकाश गुप्ता के
रूप में आज एक नए साहित्यकार का उदय हुआ है जिसका साहित्य जगत में स्वागत
किया जाना चहिये। विमोचन प्रसंग के विशेष अतिथि आचार्य शैलेन्द्र पाराशर
ने कहा कि हिन्दी गजल ने एक लम्बी यात्रा तय की है और गजल संवेदनाओं की
अभिव्यक्ति है तथा गुप्ता ने अपने संग्रह में जीवन के अनेक पक्षों को छुआ
है। विशिष्ट अतिथि संयुक आयुक्त, साहित्यकार प्रतीक सोनवलकर ने श्री
गुप्ता के संग्रह का स्वागत करते हुए उनकी गजल का सस्वर पाठ, शैलेन्द्र
भट्ट ख्तबला, सी.के. नामजोशी बांसुरी, के साथ  किया। गजल संग्रह की
समालोचना डाॅ. विजयकुमार सुखवानी ने करते हुए कहा कि लेखक का यह पहला और
उम्दा प्रयास है तथा ये गजलें तरन्नुम में होकर कसावट भरी हैं। संगीतज्ञ
विवेक बंसोड ने गुप्ता जी की गजलों को गायकी के लायक बताते हुए उनकी एक
गजल को स्वर दिया। स्वागत भाषण साहित्य मंथन के अध्यक्ष डाॅ. हरीशकुमार
सिंह ने दिया। अतिथि स्वागत साहित्य मंथन के महासचिव मुकेश जोशी, गौरव
गुप्ता, पिलकेंद्र अरोरा, अशोक भाटी, राजेश सक्सेना आदि ने किया। आयोजन
में डाॅ. हरिमोहन बुधोलिया, डाॅ. शैलेन्द्र शर्मा ,श्रीराम दवे, बी. एल.
आच्छा, जफर महमूद, गड़बड़ नागर, संदीप सृजन, दौलतसिंह दरबार, कमलेश व्यास,
डाॅ. पंकजा सोनवलकर, डाॅ. प्रेमलता चुटैल, डाॅ. प्रतिष्ठा शर्मा, डाॅ.
उर्मी शर्मा, डाॅ. पुष्पा चैरसिया, डाॅ. क्षमा चैरसिया, डाॅ. अभिलाषा
शर्मा, राहुल शर्मा, अनिल कुरेल सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित
थे। संचालन डाॅ. ए.सी. शुक्ला ने किया एवं आभार रामप्रकाश गुप्ता ने
माना।

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