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सोयाबीन की फसल बोने के पहले कृषि विभाग द्वारा अंकुरण परीक्षण करने की सलाह दी गई


 

उज्जैन |  सोयाबीन की खेती उज्जैन संभाग में प्रधानता से की जाती है। संभाग के सभी जिलों में मानसून की तैयारी हो चुकी है। ऐसे में जैसे ही पर्याप्त नमी होती है, किसान सोयाबीन की बोवनी शुरू कर देंगे। कृषि विभाग द्वारा सोयाबीन की बोवनी के पूर्व किसानों को क्या-क्या सावधानी रखना चाहिये, किस किस्म के बीज का उपयोग करना चाहिये और बीजोपचार के लिये किन दवाओं का उपयोग होना चाहिये, आदि को लेकर विस्तृत सलाह दी गई है। कृषि कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक श्री डीके पाण्डेय एवं आत्मा परियोजना की उप संचालक श्रीमती नीलमसिंह पंवार ने अपने-अपने स्तर से किसानों को उपयोगी सलाह जारी की है।
    किसानों को कहा गया है कि सोयाबीन के बीज का आकार एवं पूर्ण अंकुरण क्षमता के अनुसार छोटे दाने वाली प्रजाति के बीज की बीज दर 55 से 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, मध्यम आकार के सोयाबीन का 60 से 65 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं बड़े दाने वाली किस्म के बीज का 70 से 75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से बोना चाहिये। किसानों से कहा गया है कि बुवाई के पहले उपलब्ध बीज की अंकुरण क्षमता की जांच अनिवार्य रूप से कर ली जाये। कम से कम 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाला बीज ही बोवनी के लिये उपयोग किया जाना चाहिये। किसान यदि कहीं और से उन्नत बीज खरीदकर लाते हैं तो उसकी विश्वसनीयता को भी परखना अनिवार्य है। बीज खरीदने के पहले पक्का बिल अवश्य लें।
सोयाबीन के बीज की किस्म
    कृषि विभाग द्वारा सोयाबीन के उन्नत बीज की किस्मों की अनुशंसा की गई है। इनमें जेएस 9560, जेएस 9305, नवीन किस्मों में जेएस 2034, जेएस 2029 और आरबीएस 200104 है।
बीज उपचार
    बीज की बुवाई से पूर्व बीजोपचार करना आवश्यक है। इस हेतु जैविक फफूंदनाशक ट्रायकोडर्मा वारीडी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या अन्य फफूंदनाशक कार्बोऑक्सीन प्लस थायरम या कार्बन डाईजिम से दो-तीन ग्राम प्रति किलो बीज के मान से उपचारित किया जाये। इसके बाद राइजोबियम एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज के मान से उपयोग करें।
उर्वरक
    किसानों को सलाह दी गई है कि वे पांच टन गोबर की खाद अथवा दो से तीन टन वर्मी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर के अतिरिक्त नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश एवं सल्फर की मात्रा क्रमश: 20:60:30:20 के मान से उपयोग करें। किसान एनपीके 200 किलोग्राम एवं 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर का उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह डीएपी 111 किलोग्राम एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 50 किलोग्राम और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट उपयोग किया जाना चाहिये।
बुवाई
    वर्षा की अनिश्चितता एवं सूखे की समस्या के कारण सोयाबीन की फसल में होने वाली संभावित उत्पादन में कमी को देखते हुए बीबीऍफ़  सीडड्रिल, फर्ब्स  सीडड्रिल  का उपयोग कर सोयाबीन की बुवाई की जाना चाहिए। इन मशीनों की उपलब्धता ना होने पर सुविधानुसार 6 से 9 कतारों के पश्चात देशी हल चलाकर नमी  संरक्षण के लिए नालियां बनाए जा सकती है ।सोयाबीन की बोनी करते समय बीज की गहराई अधिकतम 3 सेंटीमीटर होना चाहिए जिससे अंकुरण प्रभावित नहीं होता है। सोयाबीन की बोनी अनुसूचित कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर होना चाहिए सोयाबीन की फसल में पोषण प्रबंधन हेतु अनुशंषित पोषक तत्व की मात्रा 25 बटा 7 बटा 40 बटा 20 किलोग्राम  प्रति हेक्टर नत्रजन  का उपयोग बोवनी के समय ही सुनिश्चित किया जाना चाहिए। बोनी  के तुरंत बाद उपयोग में लाए जाने वाले अनुसूचित खरपतवार को जैसे डायक्लोसूलम , 26 ग्राम प्रति हेक्टर या सल्फेन्ट्राजोन 750 मिलीलीटर प्रति हेक्टर या पेंडीमेथिलीन 3.25 लीटर प्रति हैक्टर की दर से किसी एक खरपतवारनाशक का चयन कर 500 लीटर पानी के साथ फ्लडजेट या फ्लैटकेन जल का उपयोग कर समान रुप से खेत में छिड़काव किया जाना चाहिए। एकल पद्धति की तुलना में सोयाबीन की अंतर्वर्ती खेती आर्थिक रुप से अधिक लाभकारी होती है। अतः सलाह दी गई है कि सोयाबीन और मक्का ज्वार अथवा अरहर अथवा कपास को 4/2 के अनुपात में 30 सेंटीमीटर कतारों से कतारों की दूरी पर बोवनी करें। अंतरवर्ती फसल की स्थिति में केवल पेंडीमेथिलीन खरपतवार का प्रयोग किया जाना चाहिए।

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