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घट्टिया में मीडिया संगोष्ठी आयोजित


उज्जैन । किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य न मिलने तथा उनकी परेशानियों का मुख्य कारण है इस जानकारी का अभाव कि उन्हें कौन-सी फसल बोना चाहिए, किस तरह की तकनीक का उपयोग करना चाहिए तथा किस प्रकार अपनी फसल को बाजार में ले जाना चाहिए। मीडिया का यह दायित्व है कि वह समाचार-पत्रों व अन्य संचार माध्यमों के माध्यम से किसानों तक यह जानकारी पहुंचाए। साथ ही यह भी उजागर करे कि इस काम में शासन तंत्र में कौन अपना दायित्व ढंग से नहीं निभा पा रहा है।

‘मौजूदा दौर में किसानों को आ रही परेशानियां तथा उनको दूर करने में संचार माध्यमों की भूमिका’ विषय पर उज्जैन जिले की घट्टिया तहसील में आज गुरूवार को आयोजित मीडिया संगोष्ठी में उक्त विचार प्रकट किए गए। संगोष्ठी में प्रेस क्लब उन्हेल के श्री दिनेश सोलंकी, उप संचालक जनसम्पर्क उज्जैन श्री पंकज मित्तल, घट्टिया के श्री ताहिर मंसूरी, श्री प्रकाशचन्द्र बाली, श्री नासिर बेलीम, श्री प्रेम डोडिया, श्री कमलेश जाटवा आदि उपस्थित थे।

मीडिया संगोष्ठी में मौजूदा दौर में किसानों को आ रही समस्याएं तथा उनके निदान में मीडिया की भूमिका पर गहन विचार-विमर्श किया गया तथा निष्कर्ष निकाले गये। उन्हेल के श्री दिनेश सोलंकी ने कहा कि किसानों को यह भी जानकारी नहीं रहती है कि किसान क्रेडिट कार्ड पर क्रेडिट लेने पर उन्हें कितना ब्याज देना है। मीडिया के द्वारा किसानों को आवश्यक जानकारियां दी जानी चाहिए। उन्हें किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाना चाहिए।

उप संचालक जनसम्पर्क श्री पंकज मित्तल ने शासकीय योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने में मीडिया के अधिक से अधिक सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने जनसम्पर्क विभाग की पत्रकार कल्याण की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। ग्रामीण पत्रकारों के सूचीकरण के लिए प्रत्येक स्थान की पत्रकारों की सूची उपलब्ध कराए जाने की बात कही।

मीडिया संगोष्ठी में उन्हेल के श्री इसरार कुरैशी ने कहा कि किसानों तक सरकार की बात पहुंचाने के लिए मीडिया सेतु का काम करे। उन्होंने कहा कि किसान इतने जागरूक तथा आत्मनिर्भर हों, जिससे उन्हें ऋण लेने की आवश्यकता ही न पड़े, क्योंकि किसानों की समस्या का प्रमुख कारण उनका ऋणग्रस्त होना होता है। उन्होंने अपने क्षेत्र के एक किसान का उदाहरण दिया, जिसकी 25 बीघा जमीन है, परन्तु उसने कभी कर्ज नहीं लिया और उसे खेती से अच्छा मुनाफा होता है। नागदा के श्री रशीद खान ने कहा कि किसान फसल उगाने में देखादेखी न करें। उनके खेत की मिट्टी तथा क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार खेती करें। कई तरह की फसल लेंगे तो परेशानी नहीं होगी।

घट्टिया के श्री राजेश पुष्पक ने कहा कि मीडिया को पहले से ही किसानों की समस्याओं को उठाना चाहिए। कोई घटना घटने अथवा आन्दोलन होने के बाद कलम उठाना समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। किसान उत्पादन का संतुलन बनाएं। यदि कृषि विभाग किसानों को सही मार्गदर्शन अथवा सलाह नहीं दे पा रहा है तो मीडिया इस बात को उठाए। किसान बहुत मेहनत से फसल उगाता है, परन्तु जब उसकी उगाई फसल बर्बाद होती है तो उसे बहुत कष्ट होता है। उन्हें ऐसा रास्ता बताया जाना चाहिए, जिससे उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य मिले। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति तथा मांग के हिसाब से ही फसल लगाई जानी चाहिए। ग्राम पंचायत घट्टिया के श्री कालू काका ने कहा कि कृषि आदान महंगा होने के कारण किसानों को समस्या आती है। पत्रकार किसानों से मिले एवं उनकी समस्याएं जानें। तराना के श्री सुनील यादव ने मीडिया के संरक्षण तथा सुरक्षा की बात उठाई। घट्टिया के श्री रोहित परमार ने कहा कि उन कारणों पर विचार किया जाना चाहिए, जिनके कारण हम किसानों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पा रहे। रूपाखेड़ी के श्री गोविन्द सोलंकी ने कहा कि पत्रकार बिना किसी दबाव अथवा भय में आए किसानों के हित में समाचार प्रसारित करें। श्री रमेशचन्द्र शर्मा ने मांग की कि किसानों की कर्ज माफी यदि होती है तो उसमें किसी प्रकार का भेदभाव न हो, 05 बीघा से कम भूमि वाले सभी किसानों की कर्ज माफी हो।

तराना के श्री मुकेश शर्मा ने कहा कि सरकार को फसलों का मूल्य निर्धारण करना चाहिए, जिससे कि किसानों को अपनी फसल का एक निर्धारित मूल्य मिल सके। नकली खाद एवं बीज पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए। इस बात पर गहन विचार-विमर्श होना चाहिए कि किसानों की स्थिति क्यों बिगड़ रही है। श्री नासीर बेलीम ने कहा कि सरकार द्वारा तत्परता से किसानों का प्याज समर्थन मूल्य पर खरीदे जाना सराहनीय कदम है। किसानों को फसलों का विविधिकरण करना चाहिए। श्री राहुल नाना ने कहा कि किसानों को अपनी मिट्टी का परीक्षण कराना चाहिए तथा उसके अनुसार फसलें बोना चाहिए। श्री कमलेश जाटवा ने कहा कि किसानों को निराशा में नहीं आना चाहिए तथा सकारात्मक रूप से शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर कृषि करना चाहिये। किसी भी प्रकार का चक्काजाम अथवा आन्दोलन समस्या का हल नहीं है। श्री निजाम कुरैशी ने कहा कि किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा अत्यन्त आवश्यक है, अक्सर सिंचाई के साधन जुटाने में ही किसान ऋणग्रस्त होता है।

संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान ‘जन मन गण’ के साथ हुआ। इसके पहले गत दिनों हुए आन्दोलन में मृत कृषकों को 02 मिनिट का मौन रखकर हार्दिक श्रद्धांजली दी गई। संगोष्ठी का प्रारम्भ सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। संचालन श्री प्रकाशचन्द्र बाली ने किया।

मीडिया संगोष्ठी के निष्कर्ष

1.किसान एक फसल पर आश्रित न रहें, फसलों का विविधीकरण हो।

2.किसानों की फसलों का शासन द्वारा मूल्य निर्धारित किया जाए।

3.किसान फसल उगाने में देखादेखी न करें। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति व मांग के हिसाब से फसल उगाएं।

4.अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण कराएं, इसका उपचार कराएं व मिट्टी के अनुसार फसल बोएं।

5.अपनी आवश्यकता के अनुसार ही ऋण लें, अधिक नहीं।

6.किसानों की परेशानी का मुख्य कारण है उनका ऋणग्रस्त होना।

7.किसानों को अपनी फसलों को संरक्षित करने व उनका प्रसंस्करण करने का प्रशिक्षण दिया जाए।

8.कृषि, उद्यानिकी आदि विभाग समय से किसानों को कृषि उपयोगी जानकारी व मार्गदर्शन दें।

9.मीडिया किसानों तक आवश्यक जानकारियां पहुंचाए तथा उनकी समस्याओं को प्रमुखता से उठाए।

10.मीडिया को पहले से ही किसानों की समस्याओं के विषय में लिखना चाहिए, कोई घटना घटित होने अथवा आन्दोलन होने का इंतजार नहीं करना चाहिए।

11.नकली खाद एवं बीज पर सख्ती से रोक लगे।

12.किसानों के लिए सिंचाई की अच्छी व्यवस्था हो।

13.किसान निराशा में न आएं तथा सकारात्मक रूप से शासकीय योजनाओं का लाभ लें व खेती करें।

14.नई पीढ़ी खेती से जुड़े तथा उसकी उन्नत तकनीकों का उपयोग करे तथा अपने अभिभावकों को बताए।

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